नवरात्री के नौ दिन माँ के अलग-अलग भोग।
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1🌹 प्रथम नवरात्रि पर मां को गाय का शुद्ध घी या फिर सफेद मिठाई अर्पित की जाती है।
2🌹 दूसरे नवरात्रि के दिन मां को शक्कर का भोग लगाएं और भोग लगाने के बाद इसे घर में सभी सदस्यों को दें। इससे उम्र में वृद्धि होती है।
3🌹 तृतीय नवरात्रि के दिन दूध या दूध से बनी मिठाई, खीर का भोग मां को लगाएं एवं इसे ब्राह्मण को दान करें। इससे दुखों से मुक्ति होकर परम आनंद की प्राप्ति होती है।
4🌹 चतुर्थ नवरात्र पर मां भगवती को मालपुए का भोग लगाएं और ब्राह्मण को दान दें। इससे बुद्धि का विकास होने के साथ निर्णय लेने की शक्ति बढ़ती है।
5🌹नवरात्रि के पांचवें दिन मां को केले का नैवेद्य अर्पित करने से शरीर स्वस्थ रहता है।
6🌹नवरात्रि के छठे दिन मां को शहद का भोग लगाएं, इससे आकर्षण शक्ति में वृद्धि होती है।
7🌹सप्तमी पर मां को गुड़ का नैवेद्य अर्पित करने और इसे ब्राह्मण को दान करने से शोक से मुक्ति मिलती है एवं अचानक आने वाले संकटों से रक्षा भी होती है।
8 🌹अष्टमी व नवमी पर मां को नारियल का भोग लगाएं और नारियल का दान करें। इससे संतान संबंधी परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
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चैत्र नवरात्र 13 अप्रैल यानी मंगलवार से शुरू हो रहे हैं।
13 अप्रैल- प्रतिपदा - मां शैलपुत्री और घट स्थापना
14 अप्रैल- द्वितीया - मां ब्रह्मचारिणी
15 अप्रैल- तृतीया - मां चंद्रघंटा
16 अप्रैल- चतुर्थी - मां कूष्मांडा
17 अप्रैल- पंचमी - मां स्कंदमाता
18 अप्रैल- षष्ठी - मां कात्यायनी
19 अप्रैल- सप्तमी - मां कालरात्रि
20 अप्रैल- अष्टमी - मां महागौरी
21 अप्रैल- नवमी - मां सिद्धिदात्री, रामनवमी
22 अप्रैल- दशमी - व्रत पारण
*कलश स्थापना मुहूर्त*- 13 अप्रैल को सुबह 5:45 से 9:59 बजे तक और अभिजीत मुहूर्त पूर्वाह्न 11: 41 से 12:32 तक है।
*कलश स्थापना मन्त्र* -
कलश स्थापना के बाद,
हाथ जोड़कर कलश में वरुण देवता का आह्वान करें :-
ॐ तत्वा यामि ब्रह्मणा वंदमानस्तदा शास्ते यजमानो हविर्भिः।
अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुश गुं समा न आयुः प्र मोषीः॥
हाथ जोड़कर प्रणाम करें।
' ॐ अपांपतये वरुणाय नमः' बोलकर कलश पर अक्षत, पुष्प अर्पित करें।
अब कलश पर सब देवताओं का ध्यान कर आह्वान करें एवं चंदन, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित कर पूजन करें।
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