रविवार, 28 जून 2020

अस्थि विसर्जन के लिए हरिद्वार में 24 घंटे रुकने की अनुमति

हरिद्वार l गंगा में अस्थि विसर्जन के लिए आने वाले लोगोंके लिए राहत की खबर है। गंगा सभा के पदाधिकारियों और अस्थि विसर्जन के लिए बाहर से आने वाले लोगों की असुविधा को देखते हुए डीएम ने आज से नई व्यवस्था लागू की है। इसके तहत, अस्थि विसर्जन के लिए हरिद्वार आने वाले लोग अगर चाहेंगे तो अधिकतम 24 घंटे तक यहां प्रवास कर सकेंगे।


इस बार पित्र पक्ष के एक माह बाद शुरू होंगे नवरात्र

 


हर साल हम सब श्राद्ध के अगले दिन से नवरात्रि की पूजा शुरू हो जाती है। और कलश स्थापना से लेकर प्रथम देवी की अर्चना शुरू हो जाती है। लेकिन इस साल ऐसा नहीं हो रहा है। इस बार श्राद्ध समाप्त होते ही अधिकमास लग जाएगा। अधिकमास लगने से नवरात्रि 20-25 दिन आगे खिसक जाएंगे। इस साल दो महीने अधिकमास लग रहे हैं।


दरअसल लीप वर्ष होने के कारण ऐसा हो रहा है। इसलिए इस बार चातुर्मास जो हमेशा चार महीने का होता है, इस बार पांच महीने का होगा। ज्योतिष की मानें तो 160 साल बाद लीप ईयर और अधिकमास दोनों ही एक साल में हो रहे हैं। चतुर्मास लगने से विवाह, मुंडन, कर्ण छेदन जैसे मांगलिक कार्य नहीं होंगे। इस काल में पूजन पाठ व्रत उपवास और साधना का विशेष महत्व होता है। । इस दौरान देव सो जाते हैं। देवउठनी एकादशी के बाद ही देव जागते हैं। 


इस साल 17 सितंबर 2020 को श्राद्ध खत्म होंगे। इसके अगले दिन अधिकमास शुरू हो जाएगा, जो 16 अक्टूबर तक चलेगा। इसके बाद 17 अक्टूबर से नवरात्रि व्रत रखें जाएंगे। इसके बाद 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी होगी। जिसके साथ ही चातुर्मास समाप्त होंगे। इसके बाद ही शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन आदि शुरू होंगे।


 


विष्णु भगवान के निद्रा में जाने से इस काल को देवशयन काल माना गया है। चतुर्मास में नकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं। इस मास में दुर्घटना, आत्महत्या आदि जैसी घटनाओं की अधिकता होती है। दुर्घटनाओं से बचने के लिए मनीषियों ने चतुर्मास में एक ही स्थान पर गुरु यानी ईश्वर की पूजा करने को महत्व दिया है। इससे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।


ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु चार माह के लिए क्षीरसागर में योग निद्रा पर निवास करते हैं। इस दौरान ब्रह्मांड की सकारात्मक शक्तियों को बल पहुंचाने के लिए व्रत पूजन और अनुष्ठान का भारतीय संस्कृत में अत्याधिक महत्व है। सनातन धर्म में सबसे ज्यादा त्यौहार और उल्लास का समय भी यही है। चतुर्मास के दौरान भगवान विष्णु की पूजा होती है।


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भामा शाह जो बन गये दान और देश प्रेम की मिसाल

28 जून/जन्म-दिवस


*अनुपम दानी : भामाशाह*


 


दान की चर्चा होते ही भामाशाह का नाम स्वयं ही मुँह पर आ जाता है। देश रक्षा के लिए महाराणा प्रताप के चरणों में अपनी सब जमा पूँजी अर्पित करने वाले दानवीर भामाशाह का जन्म अलवर (राजस्थान) में 28 जून, 1547 को हुआ था। उनके पिता श्री भारमल्ल तथा माता श्रीमती कर्पूरदेवी थीं। श्री भारमल्ल राणा साँगा के समय रणथम्भौर के किलेदार थे। अपने पिता की तरह भामाशाह भी राणा परिवार के लिए समर्पित थे।


एक समय ऐसा आया जब अकबर से लड़ते हुए राणा प्रताप को अपनी प्राणप्रिय मातृभूमि का त्याग करना पड़ा। वे अपने परिवार सहित जंगलों में रह रहे थे। महलों में रहने और सोने चाँदी के बरतनों में स्वादिष्ट भोजन करने वाले महाराणा के परिवार को अपार कष्ट उठाने पड़ रहे थे। राणा को बस एक ही चिन्ता थी कि किस प्रकार फिर से सेना जुटाएँ,जिससे अपने देश को मुगल आक्रमणकारियों से चंगुल से मुक्त करा सकंे।


इस समय राणा के सम्मुख सबसे बड़ी समस्या धन की थी। उनके साथ जो विश्वस्त सैनिक थे, उन्हें भी काफी समय से वेतन नहीं मिला था। कुछ लोगों ने राणा को आत्मसमर्पण करने की सलाह दी; पर राणा जैसे देशभक्त एवं स्वाभिमानी को यह स्वीकार नहीं था। भामाशाह को जब राणा प्रताप के इन कष्टों का पता लगा, तो उनका मन भर आया। उनके पास स्वयं का तथा पुरखों का कमाया हुआ अपार धन था। उन्होंने यह सब राणा के चरणों में अर्पित कर दिया। इतिहासकारों के अनुसार उन्होंने 25 लाख रु. तथा 20,000 अशर्फी राणा को दीं। राणा ने आँखों में आँसू भरकर भामाशाह को गले से लगा लिया।


राणा की पत्नी महारानी अजवान्दे ने भामाशाह को पत्र लिखकर इस सहयोग के लिए कृतज्ञता व्यक्त की। इस पर भामाशाह रानी जी के सम्मुख उपस्थित हो गये और नम्रता से कहा कि मैंने तो अपना कर्त्तव्य निभाया है। यह सब धन मैंने देश से ही कमाया है। यदि यह देश की रक्षा में लग जाये, तो यह मेरा और मेरे परिवार का अहोभाग्य ही होगा। महारानी यह सुनकर क्या कहतीं, उन्होंने भामाशाह के त्याग के सम्मुख सिर झुका दिया।


उधर जब अकबर को यह घटना पता लगी, तो वह भड़क गया। वह सोच रहा था कि सेना के अभाव में राणा प्रताप उसके सामने झुक जायेंगे; पर इस धन से राणा को नयी शक्ति मिल गयी। अकबर ने क्रोधित होकर भामाशाह को पकड़ लाने को कहा। अकबर को उसके कई साथियों ने समझाया कि एक व्यापारी पर हमला करना उसे शोभा नहीं देता। इस पर उसने भामाशाह को कहलवाया कि वह उसके दरबार में मनचाहा पद ले ले और राणा प्रताप को छोड़ दे; पर दानवीर भामाशाह ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया। इतना ही नहीं उन्होंने अकबर से युद्ध की तैयारी भी कर ली। यह समाचार मिलने पर अकबर ने अपना विचार बदल दिया।


भामाशाह से प्राप्त धन के सहयोग से राणा प्रताप ने नयी सेना बनाकर अपने क्षेत्र को मुक्त करा लिया। भामाशाह जीवन भर राणा की सेवा में लगे रहे। महाराणा के देहान्त के बाद उन्होंने उनके पुत्र अमरसिंह के राजतिलक में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी। इतना ही नहीं, जब उनका अन्त समय निकट आया, तो उन्होंने अपने पुत्र को आदेश दिया कि वह अमरसिंह के साथ सदा वैसा ही व्यवहार करे, जैसा उन्होंने राणा प्रताप के साथ किया है।


 


सिरफिरे प्रेमी ने युवती व उसके पिता को गोली से भूना

मेरठ। शनिवार देर रात टीपीनगर की शिवपुरम कॉलोनी में  युवक ने अपने मौसेरे भाई के साथ मिलकर युवती, उसके पिता और भाई पर गोलियां बरसा दीं। युवती की मौके पर मौत हो गई, उसके पिता ने अस्पताल ले जाते हुए दम तोड़ दिया। वहीं, भाई की हालत भी गंभीर है।


शहर के शिवपुरम कॉलोनी निवासी आंचल की दो दिन बाद शादी थी। रात में घर पर गीत-संगीत चल रहा था। मोहल्ले में अपनी मौसी के घर रहने वाला सागर नामक युवक आंचल से एकतरफा प्यार करता था। सागर ने मौसेरे भाई अंकित के साथ मिलकर देर रात करीब 12 बजे आंचल के घर पर हमला कर दिया। हथियारों से लैस सागर ने सबसे पहले आंचल के सीने में गोली मार दी। इसके बाद तमंचा लोड कर एक और गोली उसे मारी।


बीच-बचाव में आए आंचल के पिता राजकुमार और भाई रमन को भी आरोपियों ने गोलियां मारी और हवाई फायर करते हुए फरार हो गए। वारदात के बाद पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन तब तक आंचल की मौत हो चुकी थी। राजकुमार और रमन को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन रास्ते में राजकुमार की मौत हो गई। रमन की हालत गंभीर है।


नई मंडी क्षेत्र में चोरी की वारदात से सनसनी

टीआर ब्यूरो l


मुजफ्फरनगर l चोरों के हौसले बुलंद शनिवार रात चोरों ने एक मकान पर हाथ साफ कर लिया l मकान में रखे दुल्हन  जेवर नक़दी व मोबाइल चोरी कर ले गए l


सूत्रों के अनुसार थाना नई मंडी क्षेत्र के बझेड़ी फाटक के पास स्थित एक मकान में शनिवार देर रात चोरों ने हाथ साफ कर लिया l चोरों द्वारा घर में रखी नगदी दुल्हन के जेवर व मोबाइल चोरी कर ले गए l सुबह उठे परिजनों ने जब घर में सामान बिखरा हुआ देखा तो उनके होश उड़ गए l तत्काल रुप से पुलिस को सूचना दी गई पुलिस ने मौके पर पहुंचकर आगे की कार्रवाई सुनिश्चित कीl


स्वास्थ्य विभाग की बड़ी उपलब्धि मेडिकल कॉलेज से आज होंगे 17 डिस्चार्ज

टीआर ब्यूरो l


मुज़फ्फरनगर l  डॉक्टरों का धमाल जारी है l आज 17 लोगों को L 1 हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किया जा रहा हैlलगभग डेढ़ दर्जन उपचार के बाद ठीक गये है l


मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ प्रवीण कुमार चौपड़ा के निर्देशन में मुजफ्फरनगर मेडिकल कॉलेज के सीएमएस डॉ कीर्ति गोस्वामी और प्रिंसीपल डॉ राणा सुरेंद्र सिंह की टीम द्वारा जिले में कोरोंना के मरीजों ठीक कर एक बड़ी उपलब्धि प्राप्त कर रहे है l जिले में एक बार तेजी से बढ़े आंकड़ों ने एक दहशत सी पैदा कर दी थी l मगर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की सतर्कता के चलते एक बार फिर से जिले में मरीजों की संख्या में भारी गिरावट आई है l


देश में 24 घंटे में रिकार्ड 20 हजार के करीब पहुँचा संक्रमितो का आंकड़ा, संख्या हुई 5.28 लाख के पार

टीआर ब्यूरो l


नई दिल्ली l केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में *19,906* नए मामले सामने आए हैं और 410 लोगों की मौत हुई है। इसके बाद देशभर में कोरोना पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या *5,28,859* हो गई है, जिनमें से 2,03,051 सक्रिय मामले हैं, 3,09,713 लोग ठीक हो चुके हैं या उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है और अब तक 16,095 लोगों की मौत हो चुकी है


यूपी के एक और विधायक कोरोना पॉजिटिव

सुलतानपुर । जिले के लम्भुआ विधानसभा क्षेत्र के विधायक देवमणि द्विवेदी कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं। शनिवार को लखनऊ में कोरोना संदिग्धों की जांच रिपोर्ट में विधायक के कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई है।


जिले के लम्भुआ विधान सभा क्षेत्र के विधायक एवं सूर्यभान पट्टी गांव निवासी देवमणि द्विवेदी का लखनऊ में ही सैम्पल लिया गया था। शनिवार को दोपहर में लैब से रिपोर्ट आई। जिसमें विधायक श्री द्विवेदी के कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई। विधायक के कोविड-19 पॉजिटिव पाए के बाद उन्हें एसजीपीजीआई में लखनऊ में कोरोना का इलाज के लिए आईसोलेट कर दिया गया।


शनिवार, 27 जून 2020

अपनी राशि में लौट रहे ब्रहस्पति : इन राशियों का करेंगे कल्याण

देवगुरु बृहस्पति 30 जून की प्रातः 5 बजकर 23 मिनट पर वापस अपनी राशि धनु में प्रवेश कर रहे हैं। इसी के साथ शनि और गुरु की युति भी समाप्त हो जाएगी किंतु, केतु और गुरु की युति पुनः प्रारंभ हो जाएगी। पं अतुलेश मिश्रा के अनुसार गुरु ज्ञान, धर्म-अध्यात्म और नैतिक कार्यों का कारक है। राशियों में इसे धनु और मीन राशियों का स्वामित्व प्राप्त है। इस परिवर्तन के चलते राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, हम आपको बताते हैं। 12 राशियों के लिए इनकी घर वापसी का प्रभाव कैसा रहेगा हैं।


 


मेष राशि– राशि से भाग्य भाव में बृहस्पति का आना आपकी परेशानियों में कमी लाएगा। शिक्षा प्रतियोगिता में अच्छी सफलता तथा संतान के दायित्व की पूर्ति के योग। धर्म-कर्म के मामलों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे। विदेश यात्रा और विदेशी नागरिकता के लिए आवेदन करना बेहतर रहेगा। अपनी योजनाओं को गोपनीय रखते हुए आगे बढ़ें।


 


वृषभ राशि– राशि से अष्टमभाव में स्वगृही गुरु आपके लिए पद प्रतिष्ठा की वृद्धि तो कराएंगे किंतु अत्यधिक व्यय के कारण आप आर्थिक तंगी का शिकार हो सकते हैं। वाहन सावधानी पूर्वक चलाएं, दुर्घटना से बचें। बेहतर रहेगा कि कोर्ट कचहरी के मामले बाहर ही सुलझा लें। आकस्मिक धन प्राप्ति योग और किसी महंगी वस्तु का क्रय करेंगे।


 


मिथुन राशि– गुरु की अनुकूलता आपके दांपत्य जीवन में मधुरता आएगी। शादी विवाह संबंधित वार्ता भी सफल रहेगी। दैनिक व्यापारियों के लिए समय किसी वरदान से कम नहीं है किंतु साझा व्यापार करने से बचें। केंद्र अथवा राज्य सरकार के प्रतिष्ठानों में किसी भी तरह का कार्य संपन्न करवाना हो तो अवसर अच्छा है लाभ उठाएं।


 


कर्क राशि– गुरु के शत्रु भाव में जाने से आपके पढ़े-लिखे गोपनीय शत्रु बढ़ेंगे। कार्यक्षेत्र में आपके विरोधियों का बोलबाला रहेगा किंतु वह आपका नुकसान नहीं कर पाएंगे। इस अवधि के मध्य किसी को अधिक धन के लेन-देन से बचें और वाद विवाद के मामले बाहर ही सुलझा लें तो बेहतर रहेगा। ननिहाल पक्ष से रिश्ते मजबूत होंगे।


 


सिंह राशि– राशि से पंचम भाव में बृहस्पति का गोचर आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है विशेषकर के विद्यार्थियों के लिए यह समय अनुकूल है। नव दंपति के लिए संतान प्राप्ति एवं प्रादुर्भाव के योग। आय के साधन बढ़ेंगे, रुका हुआ धन भी वापस मिलेगा किंतु परिवार के बड़े सदस्यों अथवा बड़े भाइयों से मतभेद न पैदा होने दें।


 


कन्या राशि– राशि से चतुर्थ भाव में गुरु का स्वराशि गोचर माता पिता के स्वास्थ्य के प्रति कुछ विपरीत हो सकता है किंतु आपके लिए बेहतर रहेगा। मकान वाहन के क्रय का संयोग बनेगा। मित्रों और संबंधियों से भी सहयोग मिलेगा। अपनी ऊर्जा शक्ति का पूर्ण उपयोग करते हुए कार्य करेंगे तो सफलता की संभावना सर्वाधिक रहेगी।


 


तुला राशि– राशि से पराक्रम भाव में बृहस्पति का गोचर आपके साहस एवं पराक्रम की वृद्धि तो कराएगा किंतु, कई बार अति उत्साही होने के कारण आप नुकसान भी उठा सकते हैं इसके लिए सावधान रहें। धर्म-कर्म के मामलों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे। संतान संबंधी चिंता से भी मुक्ति मिलेगी। विदेश यात्रा के लिए वीजा का आवेदन करना सफल।


 


वृश्चिक राशि– राशि से धन भाव में गुरु का आना आपका आर्थिक पक्ष मजबूत करेगा कहीं से भी रुका हुआ आपका धन आएगा जिसके चलते आप महंगी वस्तु का क्रय करेंगे। अपनी जिद एवं आवेश पर नियंत्रण रखते हुए कार्य करेंगे तो सफलता की संभावना सर्वाधिक रहेगी। शासन सत्ता का पूर्ण उपयोग करें और विवादों से भी दूर रहें।


 


धनु राशि– आपके राशि स्वामी गुरु का स्वयं ही अपनी राशि में प्रवेश करना आपके लिए सपने साकार होने जैसा है। इस अवधि के मध्य किसी भी तरह का बड़े से बड़ा कार्य आरंभ करना चाहें अथवा शिक्षा प्रतियोगिता से संबंधित कोई कार्य करना चाहे तो सर अच्छा है। संतान संबंधी चिंता दूर होगी। नव दंपति के लिए संतान प्राप्ति एवं प्रादुर्भाव के भी योग।


 


मकर राशि– राशि से द्वादश भाव में गुरु का स्वगृही होना धर्म-कर्म के प्रति आपकी रुचि बढ़ाएगा। यात्रा देशाटन का पूर्ण आनंद लेंगे। षड्यंत्र का शिकार होने से बचें गुप्त शत्रुओं से सावधान रहें। अपने साहस एवं शौर्य के बल पर विषम हालात को भी सामान्य कर लेंगे। माता पिता के स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें। परिवार में व्यर्थ विवाद ना पैदा होने दें।


 


कुंभ राशि– राशि से लाभ भाव में गुरु का गोचर आपके आय के साधन बढ़ाएगा किंतु, कोई न कोई व्यक्ति आप को विश्वास में लेकर आर्थिक हानि पहुंचा सकता है। परिवार के बड़े सदस्यों अथवा भाइयों से मतभेद ना पैदा होने दें। नौकरी में पदोन्नति एवं नए अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के योग बेहतर। विद्यार्थियों के लिए समय और भी उत्तम रहेगा।


 


मीन राशि– राशि से कर्म भाव में गुरु का गोचर आपके लिए पद और गरिमा की वृद्धि कराएगा। आपके द्वारा लिए गए निर्णय और किए गए कार्यों की सराहना भी होगी। कार्यक्षेत्र का विस्तार होगा। विलासिता संबंधी वस्तुओं पर तो व्यय होगा ही मकान आदि का क्रय भी करना चाह रहे हों तो अवसर अच्छा है अपनी योजनाओं को अंतिम रूप दें।


भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष पद से मुक्त होंगे संजीव बालियान, किसे मिलेगी जिम्मेदारी


लखनऊ। यूपी में भारतीय जनता पार्टी की नई प्रदेश टीम के गठन की सुगबुगाहट तेज हो गई है। सामाजिक समीकरण साधने और नए चेहरों को तरजीह देने के साथ करीब एक दर्जन पदाधिकारियों की छुट्टी होने की चर्चा ने भाजपाइयों की बेचैनी बढ़ा दी है। माना जा रहा है कि संगठन में एक व्यक्ति एक पद फार्मूला सख्ती से लागू करने की तैयारी है। प्रदेश कमेटी ही नहीं क्षेत्रों व जिलों में भी यही फार्मूला अमल में लाया जाएगा।


सूत्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह और महामंत्री संगठन सुनील बंसल द्वारा स्थानीय स्तर पर विमर्श के बाद राष्ट्रीय नेतृत्व को भेजी गई संभावित प्रदेश कार्यकारिणी को कुछ बदलाव एवं सुझावों के साथ हरी झंडी मिल गई है। माना जा रहा है कि कोई बड़ा पेंच नहीं फंसा तो जुलाई के प्रथम सप्ताह तक कमेटी घोषित हो जाएगी। साथ ही क्षेत्रीय अध्यक्ष व मोर्चा अध्यक्षों की नियुक्ति भी कर दी जाएगी ताकि विधानपरिषद और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारी मजबूती से हो सके।


मंत्री बने पदाधिकारी होंगे जिम्मेदारी मुक्त : केंद्र सरकार में मंत्री व प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव बालियान के अलावा योगी सरकार में मंत्री अशोक कटारिया व नीलिमा कटियार का संगठन की जिम्मेदारी से मुक्त होना तय है। इसके अलावा सरकारी निगम, आयोग व बोर्ड में दायित्व संभालने वाले जेपीएस राठौर, नवाब सिंह नागर, जसवंत सिंह, बीएल वर्मा व धर्मवीर प्रजापति से भी संगठन या सरकार में से किसी एक को चुनने को कहा गया है। इसके अलावा सांसद बनी कांता कर्दम व सुब्रत पाठक का भी संगठन मेें बने रखना आसान नहीं दिख रहा। सूत्र बताते हैं कि शिवनाथ सिंह यादव, सुधीर हलवासिया, रामरतन पांडेय, संजय राय और शंकर गिरी के लिए मुश्किलें बढ़ी हैं। आधा दर्जन से अधिक पदाधिकारियों को पदोन्नत किया जाना भी चर्चा में है। प्रदेश मंत्री अनूप गुप्ता, अमरपाल मौर्य, संतोष सिंह, कौशलेंद्र पटेल, त्रयंबक तिवारी व वाईपी सिंह को तरक्की मिलने की उम्मीद है तो मीडिया व प्रवक्ताओं की टीम में से भी कई को अपना ओहदा बढ़ने की आस है। सूत्रों का कहना है कि छह क्षेत्रीय अध्यक्षों में से आधे बदल सकते है, वहीं तीन मोर्चो के अध्यक्षों को मुख्य संगठन में समायोजित किया जाना भी तय है।


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