रविवार, 18 जून 2023

खेती और गांवों के विकास पर सार्थक परिचर्चा


मुजफ्फरनगर । ग्रामीण भारत का एजेंडा को लेकर "रूरल वॉयस" और "सॉक्रेटस फाउंडेशन" का एक दिवसीय परिचर्चा हेतू एक सम्मेलन मुज़फ़्फ़रनगर के होटल सोलिटेयर में हुआ।इस सम्मेलन में रूरल वॉयस के चेयरमैन हरवीर सिंह चौधरी, सॉक्रेटस फाउंडेशन के चेयरमैन प्रचुर गोयल, कृषि विशेषज्ञ देवजीत (उड़ीसा) पीजेंट के चेयरमैन अशोक बालियान, भाकियू (अ) के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक, कृषि विशेषज्ञ डॉ अशोक पाँवर (शामली) रेणु तोमर (मुज़फ़्फ़रनगर) नरेंद्र पाल वर्मा (मुज़फ़्फ़रनगर) डॉ अशोक अहलूवालिया (मुज़फ़्फ़रनगर), केवीसी बघरा की प्रभारी सविता आर्य, शुगर मिल एक्सपर्ट केपी सिंह,प्रोग्रेसिव किसान अरविंद मलिक, अंकित बालियान व योगेश बालियान आदि ने अपने विचार रखे। 

     ग्रामीण भारत का एजेंडा के सेमिनार में पीजेंट के चेयरमैन अशोक बालियान ने अपनी एक रिपोर्ट रखते हुये कहा कि आज  इस परिचर्चा हमे "ग्रामीण भारत के विकास का एजेंडा कैसा होना चाहिए?" पर ग्रामीण इलाकों के लोगों के अनुभवों, चुनौतियों और आकांक्षाओं के बारे में जानकारी मिली है। इन संस्थाओं की देश के विभिन्न राज्यों में इस तरह की होने वाली अनूठी परिचर्चा की श्रृंखला की यह पहली कड़ी थी। इन परिचर्चाओं के निष्कर्ष को देश के नीति निर्धारकों के साथ भी साझा किया जाएगा। अपने पहलू में अनमोल सांस्कृतिक विरासत और विविधता को समेटने वाले भारत के करीब साढ़े छह लाख गाँवों को शहरों की तुलना में हमेशा ही अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। कृषि में उन्नत बीज व अच्छा पेस्टीसाइड उपलब्ध होना चाहिए। फ़ार्टिलाईजर व पेस्टीसाइड के प्रयोग को धीरे-धीरे रेगुलेट किया जाए।  कृषि में सर्विस सेक्टर को बढ़ाना होगा। अर्थात् उत्पादन से बाज़ार तक सर्विस सेक्टर।कृषि में अखिल भारतीय सेवा का कैडर होना चाहिए।कृषि को संविधान की समवर्ती सूची में शामिल में शामिल किया जाए।

   कृषि में सभी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य  नहीं मिलता। जिन फसलों का एमएसपी तय नहीं होता उनके लिए बाज़ार हस्तक्षेप योजना को समय से लागू किया जाना चाहिए।न्यूनतम समर्थन मूल्य में लाभ का प्रतिशत और अधिक होना चाहिए।अनियोजित ग्राम-से-शहर प्रवासन (विशेष रूप से बेहतर आर्थिक अवसरों की तलाश में) शहरी सुविधाओं पर गंभीर दबाव डाल रहा है, इसलिए स्मार्ट ग्राम योजना को लागू करने की आवश्यकता है। इसके लिए कुछ ग्रामों को मिलकर एक स्मार्ट गाँव बनाया जा सकता है, जहाँ सभी सुविधाए उपलब्ध हो।   

    वर्ष 1991 में उदारीकरण के बाद कृषि जैसे प्राथमिक क्षेत्र के उत्पादों की मांग में इज़ाफा हुआ है। लेकिन हम इस सेक्टर में अभी तक अधिक लाभ नहीं ले पा रहे है, जबकि इसके अधिक लाभ लेने से गाँवों के विकास को और गति मिलेगी। इसलिए अनुबंध खेती (Contract Farming) को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

    ग्रामीण स्कूलों के छात्रों की डिजिटल लर्निंग, कंप्यूटर शिक्षा और गैर-शैक्षणिक पुस्तकों जैसे उन्नत शिक्षण साधनों तक पहुँच नहीं है अथवा बेहद सीमित पहुँच है। इसको बढाये जाने की जरूरत है। तथा ग्रामीण क्षेत्र के ग़रीब युवाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी और वैश्विक मानकों के मुताबिक कार्यबल में तब्दील करने की जरूरत है। ग्रामीण इलाकों के अवसरों की पहुंच में सुधार करना महत्वपूर्ण है।

    ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना को प्रोत्साहन प्रदान किया जाना चाहिये और प्रसंस्करण को कुशल मूल्य शृंखलाओं के माध्यम से परिवहन से जोड़ा जाना चाहिये। इनका उत्पादन  उपज के आधार पर उसी ग्रामीण क्षेत्र के लिए रिजर्व रहना चाहिए। अर्थात ग्रामीण युवाओं के लिए ग्रामीण उद्यमिता से रोजगार के अधिक अवसर पैदा होंगे। और ग्रामीण भारत का विकास होगा।  ग्रामीण क्षेत्रों में विकास, कृषि आधारित औद्योगीकरण द्वारा संचालित होना चाहिए। गांवों के जीवन और अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए खेत से बाजार की पहुँच, उपज के लिए स्टोर और वितरण की परतों को कम करना इत्यादि आवश्यक बिंदु है। किसानों और फसल वैज्ञानिकों के बीच ज्ञान की विशाल खाई को पाटना होगा। राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) के द्वारा कृषि उत्पादों के लिये बेहतर कारोबारी अवसर उपलब्ध होने चाहिए। इसके अंतर्गत वे सभी सेवाएँ सम्मिलित की जाती हैं, जो कृषि उपज को खेत से लेकर उपभोक्ता तक पहुँचाने के दौरान करनी पड़ती हैं। ग्रामीण उत्पादों की ब्रांडिंग और पैकेजिंग पर भी विशेष ध्यान दिया जाय। और उन उत्पादों को बाजार मुहैया कराने के लिए रूरल लॉजिस्टिक्स को बढ़ावा देना होगा।

   ग्रामीण पर्यटन का विकास होने से गाँव के प्राकृतिक परिवेश और सरल जीवन में पर्यटकों को आत्मिक आनंद मिलता है। ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा मिलने से रोज़गार व आमदनी के साथ-साथ गाँव का सांस्कृतिक व सामाजिक विकास भी होता है। वर्तमान में, इस क्षेत्र में सभी संभावनाओं को तलाशने का प्रयास तेज किया जान चाहिए।  डिजिटल पेमेंट, कैश ऑन डिलीवरी और गाँव की चौपाल तक डिलीवरी बॉय की पहुँच ग्रामीण भारत में और बढनी चाहिए। ताकि ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के अवसर प्राप्त हो सके।  महिलाएं, भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में हो रहे सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन की धुरी हैं। यह आवश्यक है कि ग्रामीण युवाओं खासकर महिलाओं को लेकर भी बराबर की योजनाये बनाई जाये। देश में स्वास्थ्य सेवाओं पर बढ़ते खर्च के बावजूद जानकारी के अभाव में काफी ग्रामीण आबादी स्वास्थ्य बीमा कवर से महरूम है। इसलिए इसको कम प्रिमियम दर या शून्य दर पर बढाया जाना चाहिए। गैर सरकारी संगठन व फार्मर प्रोडूसर्स आर्गेनाइजेशन (FPO) को बिजनेस स्कूलों के साथ गठजोड़ कर के एक मजबूत उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र विकसित किया जा सकता है। जिससे एक जीवंत ग्रामीण अर्थव्यवस्था का निर्माण हो सकेगा। 

   ग्रामीण भारत में कृषि के अलावा आजीविका के प्रमुख स्रोत के रूप में, सौर पंप, आटा मिल, डेयरी, जूट के उत्पाद, विलेज होम स्टे और कोल्ड स्टोरेज आदि, आय पैदा करने वाले व्यवसाय हो सकते हैं। कृषि और गैर-कृषि क्षेत्रों के बीच एक मजबूत संबंध विकसित करने की आवश्यकता है। हमे अपने बच्चों में भारतीय संस्कृति का बोध कराकर देश के प्रति प्रेम को जोड़ने का काम करना चाहिए। जीवन को मजबूत करने के लिए शिक्षा सबसे जरूरी है। स्किल इंडिया व् ग्रामीण क्षेत्र कृषि स्टार्ट-अप शिक्षा से ही सम्भव है। किसानों को प्रौद्योगिकी के बारे में सीखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।युवाओं में एल्कोहल एक बड़ी प्रॉब्लम बनती जा रही है।इस पर भी सभी को सोचना होगा।

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