शनिवार, 29 अक्तूबर 2022

क्या आप जानते हैं बीज मंत्रों का रहस्य

 बीज मन्त्रों के रहस्य 



शास्त्रों में अनेकों बीज मन्त्र कहे हैं, आइये बीज मन्त्रों का रहस्य जाने


1 ) "क्रीं" इसमें चार वर्ण हैं! [क,र,ई,अनुसार] क--काली, र--ब्रह्मा, ईकार--दुःखहरण।

अर्थ ब्रह्म-शक्ति-संपन्न महामाया काली मेरे दुखों का हरण करे।


2 ) "श्रीं" चार स्वर व्यंजन [श, र, ई, अनुसार]=श-महालक्ष्मी, र-धन-ऐश्वर्य, ई तुष्टि, अनुस्वार-- दुःखहरण।

अर्थ धन- ऐश्वर्य सम्पति, तुष्टि-पुष्टि की अधिष्ठात्री देवी लाष्मी  मेरे दुखों का नाश कर।


3 )"ह्रौं" [ह्र, औ, अनुसार]  ह्र-शिव, औ-सदाशिव, अनुस्वार--दुःख हरण।

अर्थ शिव तथा सदाशिव कृपा कर मेरे दुखों का हरण करें।


4 ) "दूँ" [ द, ऊ, अनुस्वार]-द दुर्गा, ऊ--रक्षा, अनुस्वार करना।

अर्थ माँ दुर्गे मेरी रक्षा करो, यह दुर्गा बीज है।


5 ) "ह्रीं" यह शक्ति बीज अथवा माया बीज है।

[ह,र,ई,नाद, बिंदु,] ह-शिव, र-प्रकृति,ई-महामाया, नाद-विश्वमाता, बिंदु-दुःख हर्ता।

अर्थ शिवयुक्त विश्वमाता मेरे दुखों का हरण करे।


6 )"ऐं" [ऐ, अनुस्वार]-- ऐ- सरस्वती, अनुस्वार-दुःखहरण।

अर्थ हे सरस्वती मेरे दुखों का अर्थात अविद्या का नाश कर।


7 )"क्लीं" इसे काम बीज कहते हैं![क, ल,ई अनुस्वार]-क-कृष्ण अथवा काम,ल-इंद्र,ई-तुष्टि भाव, अनुस्वार-सुख दाता।


अर्थ कामदेव रूप श्री कृष्ण मुझे सुख-सौभाग्य दें।


8 )"गं" यह गणपति बीज है। [ग, अनुस्वार] ग-गणेश, अनुस्वार-दुःखहरता।

अर्थ श्री गणेश मेरे विघ्नों को दुखों को दूर करें।


9 ) "हूँ" [ ह, ऊ, अनुस्वार]-ह--शिव, ऊ- भैरव, अनुस्वार-- दुःखहरता] यह कूर्च बीज है।

अर्थ असुर-सहारक शिव मेरे दुखों का नाश करें।


10 ) "ग्लौं" [ग,ल,औ,बिंदु]-ग-गणेश, ल-व्यापक रूप, आय-तेज, बिंदु-दुखहरण।

अर्थात व्यापक रूप विघ्नहर्ता  गणेश अपने तेज से मेरे दुखों का नाश करें।


11)  "स्त्रीं" [स,त,र,ई,बिंदु]-स-दुर्गा, त-तारण, र-मुक्ति, ई-महामाया, बिंदु-दुःखहरण।

अर्थात दुर्गा मुक्तिदाता, दुःखहर्ता,, भवसागर-तारिणी महामाया मेरे दुखों का नाश करें।


12)  "क्षौं" [क्ष,र,औ,बिंदु] क्ष-नरीसिंह, र-ब्रह्मा, औ-ऊर्ध्व, बिंदु-दुःख-हरण।

अर्थात ऊर्ध्व केशी ब्रह्मस्वरूप नरसिंह भगवान मेरे दुखों कू दूर कर।


13)  "वं" [व्, बिंदु]व्-अमृत, बिंदु दुःखहरत।

[इसी प्रकार के कई बीज मन्त्र हैं]  [शं-शंकर, फरौं-हनुमत, दं-विष्णु बीज, हं-आकाश बीज,यं अग्नि बीज, रं-जल बीज, लं पृथ्वी बीज, ज्ञं--ज्ञान बीज, भ्रं भैरव बीज।

अर्थात हे अमृतसागर, मेरे दुखों का हरण कर।


14 ) कालिका का महासेतु "क्रीं", 

त्रिपुर सुंदरी का महासेतु "ह्रीं", 

तारा का  "हूँ", 

षोडशी का  "स्त्रीं", 

अन्नपूर्णा का "श्रं", 

लक्ष्मी का "श्रीं"  


15 ) मुखशोधन मन्त्र निम्न हैं।

गणेश ॐ गं

त्रिपुर सुन्दरी श्रीं ॐ श्रीं ॐ श्रीं ॐ।

तारा ह्रीं ह्रूं ह्रीं।

स्यामा क्रीं क्रीं क्रीं ॐ ॐ ॐ क्रीं क्रीं क्रीं।

दुर्गा ऐं ऐं ऐं।

बगलामुखी ऐं ह्रीं ऐं।

मातंगी ऐं ॐ ऐं।

लक्ष्मी श्रीं।

जय सीताराम ।।आज के दर्शन ।।जय महादेव ।।

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

बीए की छात्रा से ट्यूबवेल पर गैंगरेप

मुजफ्फरनगर। तमंचे की नोक पर बीए की छात्रा से गैंगरेप के मामले में रिपोर्ट दर्ज की गई है।  बुढ़ाना कोतवाली क्षेत्र के एक गांव में कॉफी पिलाने ...