मंगलवार, 30 नवंबर 2021

नई मंडी थाना क्षेत्र में फर्जी आई0डी0 पर लोन पास कराकर गाडी निकालने वाले गैंग का पुलिस ने किया पर्दाफाश




मुजफ्फरनगर । पुलिस ने फर्जी लोन कराकर निकाली गयी 70 लाख रुपये की कीमत की लक्जरी गाडियां की बरामद, 04 अभियुक्त गिरफ्तार किये। 

 जनपद में संदीप कुमार पुत्र स्व0 ब्रजपाल सिंह एडवोकेट द्वारा थाना नई मण्डी अपने आधार कार्ड व पेन कार्ड के कुटरचित दस्तावेज बनाकर फर्जी तरीके से 1,19,556 रुपये का क्रेडिट कार्ड एवं 17,50,243 रुपये का आटो लोन कराया गया। आटो लोन पर एक टाटा हेरियर (chasis no-MZBEU813LLN085485/EN. NO-D4FALM977087) को निकाला गया है। उपरोक्त सम्बन्ध में थाना नई मण्डी पर CN-601/21 US-420,467,468,471 IPC पंजीकृत कर टीम का गठन कर पुलिस द्वाराअभियुक्तगण की तलाश की गयी। आज पुलिस लाइन में प्रेसवार्ता आयोजित कर एसपी सिटी अर्पित विजयवर्गीय व सीओ सदर वैभव कृष्ण ने घटना का खुलासा किया और बताया कि

उपरोक्त *गैंग का पर्दाफाश करते हुए दिनांक 29.11.2021 को थाना नई मण्डी पुलिस द्वारा 04 शातिर अभियुक्तगण* को गिरफ्तार किया गया।


*गिरफ्तार अभियुक्तगण का नाम पता --*

*1-* अंकुश त्यागी पुत्र श्री मुकेश त्यागी निवासी 1028/8 रामपुरी थाना कोतवालीनगर मु0नगर 

*2-* आलोक त्यागी पुत्र बिजेन्द्र त्यागी निवासी एकता बिहार रुडकी रोड थाना कोतवालीनगर मु0नगर 

*3-* संदीप कुमार पुत्र जयभगवान निवासी गली नं0-22 गाधी कालोनी थाना नई मंडी मु0नगर 

*4-* सुधीर कुमार पुत्र रामपाल सिह निवासी म0न0-17 घ गाधीनगर थाना नई मंडी मु0नगर है

पुलिस ने अपराधियों से

*1.* गाडी KIA SELTOS नम्बर UK07DS4871 

*2.* HUNDAI VENUE बिना नम्बर जिसका चैसिंस नम्बर-MALFC81DLLM138651

*3.* गाडी टाटा हेरियर जिसका चैसिंस संख्या MZBEU813LLN085485 तथा इंजन नं0 D4FALM977087  

*4.* क्रेटा रंग सफेद न0 UP12BC6856 

*5.* 1700/- रुपये बरामद की गई

पुलिस द्वारा बरामद गाडियां लगभग 5-6 महीने पहले कम्पनी से निकाली गयी है जिनकी कीमत लगभग 70 लाख रुपये है।

अपराधियो का घटना करने का तरीका अलग तरह का है यह गैंग फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड व फर्जी फोटो बनाकर बैंक मे कागज जमा कर लोन पास कराकर नई गाडी कम्पनी से खरीद लेते है । यह लोग अब तक करीब 15 गाडियो का फर्जी फाईनेंन्स करा चुका है। एक गाडी को खरीदने के लिये गाडी की कीमत का 20 प्रतिशत बैंक मे जमा कराते है जिसमे फर्जी पता होने के कारण बैंक उसे ट्रेश नही कर पाता है। इस गैंग मे एक फाईनेन्सर होता है और दो तीन लोग फर्जी कागज तैयार करते है तथा फर्जी फोटो देते है । इस गैंग की बैंक कर्मियो से मिलीभगत होती है। यह लोग खरीदी हुई गाडी को गाडी खरीदने बैचने का काम करने वाली डीलरों को पूरे रेट मे बेच देते है। इस गैंग मे गाडी बेचने पर आये हुए रुपयों को अपना एक हिस्सा होता है और आपस मे पैसे बेचने के बाद बांट लेते है।

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