बुधवार, 6 अक्तूबर 2021

ये है जीवन मरण की असली तस्वीर, काशी में होता है ये योग

 


वाराणसी । महाश्मशान मणिकर्णिका घाट के साथ कई किवदंतियां जुड़ी हुई हैं। कहा जाता है कि यहां जिसका भी दाह संस्कार होता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। उसकी आत्मा को जीवन मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। दुनिया में यह अकेली जगह है जहां चौबीसों घंटे चिताएं जलती रहती हैं। खुद काशी विश्वनाथ साल में एक दिन अपने गणों के साथ यहां जलती चिताओं के भस्म से होली खेलते हैं। नगर वधुएं भी साल में एक दिन यहां पूरी रात नृत्यांजलि पेश करती हैं। अपनों की मृत्यु पर शोक संतृप्त परिजन भी जब इस घाट पर आते हैं तो खुद को मोह-माया से दूर पाते हैं। काशीवासी भी यहां की अद्भुत लीलाओं से गाहे-बगाहे परिचित होते रहते हैं। एक मामला बीएचयू के पूर्व डॉक्टर के साथ हुआ है। मणिकर्णिका घाट पर उनके कैमरे से ली गई चिताओं की तस्वीरों ने कौतुहल पैदा कर दिया है। ऐसा केवल एक बार नहीं हुआ है। कई बार उनके साथ ऐसा हुआ है। ऐसी ही दो तस्वीरों को बुधवार को डाक्टर ने अपने ट्वीट अकाउंट पर ट्वीट भी किया। उन्होंने तस्वीरों के साथ लिखा कि जब भी मैंने, घाट वॉक पर मणिकर्णिका महातीर्थ के फोटो लिये तो कुछ ना कुछ अलग ही दिखा। ईश्वर ही जाने, अपनी माया। पहली फ़ोटो, पिछले वर्ष की है और दूसरी कल की।असल में डॉक्टर मिश्र ईश्वर की जिस माया का जिक्र कर रहे हैं वह जलती चिताओं से निकलते धुएं में बनती आकृतियां हैं। इस बारे में डॉक्टर मिश्र कहते हैं कि चार साल पहले हम लोगों ने घाट वॉक शुरू किया है। इस दौरान मणिकर्णिका के सामने से गुजरते हुए हर दूसरे तीसरे दिन तस्वीरें खींचता रहता हूं। हमेशा तस्वीरों में कुछ ऐसा दिखाई देता है कि मैं खुद चौंक जाता हूं। चिताओं के ऊपर अलग अलग तरह की आकृतियां दिखाई देती हैं। कुछ लोग कहते हैं कि फास्फोरस है तो कुछ लोग लाइट की चमक बताते हैं। कुछ लोग परालौकिक भी कहते हैं। सच्चाई यही है कि लोग इसके बारे में ठीक-ठीक नहीं जानते लेकिन चिताओं के ठीक ऊपर कोई चीज दिखती जरूर है।

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