शुक्रवार, 27 अगस्त 2021

इस बार रोहिणी नक्षत्र में जन्मेंगे कान्हा

 



श्री कृष्ण जन्माष्टमी

सप्तमी तिथि समाप्त दिनांक 29-8-2021 दिन रविवार रात 11 बजकर 26 मिनट पर तत्पश्चात अष्टमी तिथि प्रारंभ 

अष्टमी तिथि समाप्त दिनांक 30-8-2021 दिन सोमवार देर रात 2 बजे 

श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत सबका दिनांक 30-8-2021 दिन सोमवार (*श्री कृष्ण जन्मोत्सव, रोहिणी नक्षत्रयुता अष्टमी*)

रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ दिनांक 30-8-2021 दिन सोमवार सुबह 6 बजकर 39 मिनट पर 

रोहिणी नक्षत्र समाप्त दिनांक 31-8-2021 दिन मंगलवार सुबह 9 बजकर 44 मिनट पर 

श्री कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। वहीं इस साल भी भगवान कृष्ण के जन्म के समय रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि विधमान रहेगी साथ ही चन्द्रमा वृष राशि में होने से दुर्लभ संयोग भी बनेगा ऐसे में इसबार जन्माष्टमी का महत्व और भी बढ़ जायेगा।

*🚩जानें व्रत नियम और पूजा विधि*

जन्माष्टमी के व्रत से पहले रात को हल्का भोजन करें और अगले दिन ब्रह्मचर्य का पूर्ण रूप से पालन करें

उपवास के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि कार्यों से निवृत होकर भगवान कृष्ण का ध्यान करें

भगवान के ध्यान के बाद उनके व्रत का संकल्प लें और पूजा की तैयारी करें

इसके बाद भगवान कृष्ण को माखन-मिश्री, पाग, नारियल की बनी मिठाई का भोग लगएं

फिर हाथ में जल, फूल, गंध, फल, कुश हाथ में लेकर

*🌱ममखिलपापप्रशमनपूर्वकं सर्वाभीष्ट सिद्धये, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये॥🌱*

रात 12 बजे भगवान का जन्म होगा, इसके बाद उनका पंचामृत से अभिषेक करें. उनको नए कपड़े पहनाएं और उनका शृंगार करें

भगवान का चंदन से तिलक करें और उनका भोग लगाएं. उनके भोग में तुलसी का पत्ता जरूर डालना चाहिए.

नन्द के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की, कहकर कृष्ण को झूला झुलाए

इसके बाद भगवान कृष्ण की घी के दीपक और धूपबत्ती से आरती उतारें.


*🚩पूजा की विधि*

स्नान करने के बाद पूजा प्रारंभ करें.

इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बालस्वरूप की पूजा का विधान है.

पूजा प्रारंभ करने से पूर्व भगवान को पंचामृत और गंगाजल से स्नान करवाएं.

इसके बाद नए वस्त्र पहनाएं और शृंगार करें.

भगवान को मिष्ठान और उनकी प्रिय चीजों से भोग लगाएं

भोग लगाने के बाद गंगाजल अर्पित करें. इसके बाद कृष्ण आरती गाएं.

*🚩जन्माष्टमी के दिन करें ---

*चांदी की बांसुरी अर्पित करें*

कृष्ण जन्माष्टमी पर पूजा-अर्चना, भोग और कीर्तन जैसे कार्यक्रम के साथ आप कान्हा जी को चांदी की बांसुरी अर्पित करें. इससे आप पर कान्हा की विशेष कृपा हो सकती है. इसके लिए आप अपनी सामर्थ्य के अनुसार छोटी या बड़ी बांसुरी बनवाएं.

*छप्पन भोग लगाएँ*

धार्मिक मान्यता के अनुसार जन्माष्टमी के अवसर पर कान्हा की पूजा-अर्चना करने के बाद अगर उनको छप्पन भोग लगाया जाए, तो इससे भी कान्हा प्रसन्न होते हैं और उनकी विशेष कृपा होती है. साथ ही भक्तों की सारी मनोकामनाएंँ पूरी होती हैं.

*पारिजात के फूल चढ़ाएं*

जन्माष्टमी केdin श्रीकृष्ण को पारिजात के फूल चढ़ाने से भी उनकी कृपा बरसती रहती है.

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