मुजफ्फरनगर । राष्ट्रीय हिन्दी परिषद (पंजी) मेरठ (उ0प्र0) के तत्वाधान में एक अंतर्राष्ट्रीय ऑनलाइन कवि सम्मेलन का सुंदर आयोजन कल शाम किया गया। ड़ा रणवीर सिंह जी के सुंदर संयोजन में इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की श्री गजेन्द्र पाल जी ने। मुख्य अतिथि के रूप में श्री बी.बी चौरसिया जी (एस. पी., पी. ए. सी अलीगढ़) उपस्थित रहे।
सम्मेलन में देश विदेश से अनेकों कवि-कवियित्रियों ने सुमधुर काव्य पाठ किये।
ऑस्ट्रेलिया से ड़ा भावना कुँवर जी ने पढ़ा...
नयी दुनिया बसाने में बड़ी ही देर लगती है।
पुराने दिन भुलाने में बड़ी ही देर लगती है।।
अमेरिका से जुड़ी डॉ शशी गुप्ता जी ने सुनाया...
तुम न आये अगर हुस्न की बज़्म में,
ख़ुशबुओं के ज़नाज़े निकल जाएँगे,
हिज्र की रात गुज़रेगी कैसे भला,
दिल के अरमान सारे फिसल जाएँगे।
कार्यक्रम का सुंदर संचालन करते हुए श्रीमती प्रतिभा त्रिपाठी जी ने सुंदर प्रस्तुति दी कि...
शब्द पटल को भेद दूँ जीत लूँ मैं संग्राम ।
जीवन तो संक्षेप है क्यों कर लूँ फिर विश्राम।
मु 0नगर से सुप्रसिद्ध कवि एवं समाजसेवी श्री पं0 रामकुमार शर्मा रागी जी ने अपनी पंक्तियाँ पढ़ी कि...
मन में तो उल्लास बहुत है
मुझको तुझसे आस बहुत है
नदी किनारे चलते- चलते
थका हुआऔर प्यास बहुत है
वरिष्ठ साहित्यकार श्री कीर्तिवर्धन जी ने मानव के स्वार्थ पर चोट करते हुए पढ़ा...
ख़त्म होने लगे सम्बन्ध, अर्थ की नीव पर जब,
संबंधों के अर्थ को, परिवार में बचाये रखना।
सुप्रसिद्ध कार्टूनिस्ट एवं साहित्य प्रेमी श्री किशोर श्रीवास्तव जी कहते हैं...
अलग-अलग अब घर में घर।
मिलते नहीं किसी के स्वर।
रहते इक छत के नीचे,
लेकिन जाने किधर-किधर।
मध्य प्रदेश से जुड़े श्री शरद नारायण जी ने भी सुंदर काव्यपाठ किया।
नेपाल से श्री जयप्रकाश जी ने सुंदर रचना पाठ करते हुए कहा..
घड़ी सा लटका दिया दीवारों पर ।
आता नहीं ग़ुस्सा क्यों ग़द्दारों पर ।
बेलगांव कर्नाटक से जुड़े डॉ सुनील कुमार परीट जी ने अपनी पंक्तियों में कहा...
सुसत्य सुदृश्य आंखों से देखा नहीं ।
अब मंद होगी नजर तेरी धीरे-धीरे ।।
ड़ा प्रमोद मिश्र ने पति और पत्नी के प्रेमभाव को उकेरता सुंदर लोरी गीत प्रस्तुत किया...
बादल का पलना है, बिजुरिया की डोरी... सो जा रे साजन प्रिया गाये लोरी...
मु 0नगर से ही युवा कवि पं0 पंकज शर्मा ने अपनी रचना में कवि के आत्म सम्मान को यूँ पढ़ा..
तुम निभा न सकोगे मैं वो रीत हूँ,
आदतों के तुम्हारी मैं विपरीत हूँ...
कामनाओं का कड़वा सा हो मौन तुम,
तो मैं संतुष्टि का मीठा संगीत हूँ...
कार्यक्रम में लगभग 80-90 प्रतिभागियों ने अपनी उपस्थिति दी...
कार्यक्रम के अंत मे कार्यक्रम संयोजक डॉ रणवीर सिंह ने कवि सम्मेलन में उपस्थित कवियों का आभार व्यक्त किया और अपनी रचना
हर पल एक तेरा ही ख्याल रहता है
शायद यही प्यार है।
तुझे हर खुशी देने को ये दिल बेकरार रहता है
शायद यही प्यार है।।
तुझसे दूर कभी न रह पाऊँ
शायद यही प्यार है।।
तेरा मुझसे लड़ना,झगड़ना ,मेरी फिक्र करना ।
शायद यही प्यार है।
प्यार की कोई परिभाषा तो नही।।
एक दूसरे की परवाह करना,।
छोटी छोटी बातों पर रूठना ।मनाना ।।
आखिर ये क्या है।
शायद यही प्यार है।।प्रस्तुत की।
इस सुंदर, सफल आयोजन में कार्यकारिणी सदस्यों श्री सुंदर पाल सिंह जी, श्री जसबीर राणा जी, श्री महेश पाल जी, श्री कुलदीप सिवाच जी, रचना सिंह जी, श्री यशपाल जी श्री विश्वबंधु जी, श्री प्रवेंद्र दहिया जी, श्री अनिल शास्त्री जी, श्री विकास भार्गव जी, श्री चंद्रवीर जी, श्री संजीव काकरान जी, श्री सोहनपाल जी,विपिन त्यागी ,श्री अनिल आर्य जी, श्री रजनीश कुमार जी, एवं श्री संदीप मलिक जी का विशेष सहयोग एवं योगदान रहा।
सुंदर एवं सफल आयोजन के लिए सभी को हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनाएं...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें