लखनऊ l कोरोना काल में आम लोगों की मजबूरी का फायदा उठा कर शोषण करने वाले अस्पतालों व निजी नर्सिंग होम पर शिकंजा और कसा जाएगा। इसके लिए अब सभी जिलों में इस तरह की शिकायतों को संज्ञान लेकर जांच कराई जाएगी।
शासन ने अब सभी जिलों के डीएम व सीएमओ को पत्र भेज कर कहा है कि वह अपने यहां हुई इस तरह की शिकायतों की निष्पक्ष जांच कराएं। शिकायत सही पाए जाने पर जवाब-तलब करें और दोषी पाए जाने पर अस्पताल का लाइसेंस निरस्त कर दें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मरीजों के प्रति ऐसी संवेदनहीनता दिखाने वाले व भ्रष्टाचार करने वाले अस्पतालों व चिकित्सकों पर कार्रवाई करने को कहा है। सूत्र बताते हैं कि शिकायतों की तादाद बढ़ रही है। कई मरीज व उनके परिजन सीएमओं के यहां इस बाबत शिकायत कर रहे हैं। हालांकि कुछ मामलों में शिकायतें सही नहीं पाई गई।
असल में कोरोना संक्रमण का दौर काफी तेज था, तब बेड, आक्सीजन की उपलब्धता को लेकर निजी अस्पतालों ने मनमाने रेट वसूले। इलाज में लापरवाही के मामले भी सामने आए। यही रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर भी खूब अनियमिताएं आईं। सबसे ज्यादा मनमानी विभिन्न प्रकार की जांच कराने में आई। यहां मेडिकल जांच के तय रेट बढ़ा दिए गए। साथ ही इनके साथ इमरजेंसी सर्विस के नाम पर वसूली की गई।
यह मामले जांच के घेरे में
- बस्ती के एक अस्पताल को शिकायत के बाद बंद किया गया। बाद में साक्ष्य न मिलने पर उसे पुन: संचालित करने की छूट दी गई
- आगरा के पांच अस्पतालों से 80 हजार से लेकर 4 लाख रुपये की रकम मरीजों को वापस कराई गई
- औरया के एक अस्पताल की शिकायत की जांच के लिए जांच समिति बनाई गई है।
- कानपुर देहात के एक अस्पताल द्वारा इलाज में लापरवाही की जांच चिकित्साधिकारी द्वारा की जा रही है।
- बागपत के एक अस्पताल ने कोविड मान्यता मिलने से पहले ही एक कोविड मरीज को भर्ती कर लिया
- हाथरस में पहले शिकायत की जांच की गई, लेकिन शिकायतों की पुष्टि नहीं हो पाई
- मथुरा में 21 शिकायतें आई। इस मामले 18 लोगों से स्पष्टीकरण मांगे गए हैं।
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