रविवार, 4 अप्रैल 2021

बच्चों को हथियार थमाना चाहते हैं वे :नरेश टिकैत


गाजियाबाद। सरकार किसानों को हल्के में लेने की भूल न करे। हम अहिंसक होकर ही आंदोलन चलाते रहेंगे चाहे सरकार कोई भी हथकंडा क्यों न अपनाए लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि किसान कमजोर है। किसानों के धैर्य की परीक्षा सरकार लेना बंद करे। आखिर केंद्र सरकार किसान आंदोलन को हिंसा की ओर क्यों धकेलना चाहती है। अलवर में भाजपा के छात्र संगठन एबीवीपी के कार्यकर्ताओं से हमला कराया गया। बच्चों के हाथों में भी ये हथियार थमाना चाहते हैं। हमने तो उन्हें भी माफ किया। 

ये उद्गार भाकियू अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने रविवार को यूपी गेट (गाजीपुर बॉर्डर) पर किसान पंचायत के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने कहा 300 किसान शहीद हो गए। सरकार एक शब्द भी नहीं बोली। सरकार के इशारे पर किसान आंदोलन को हिंसक बनाने की लगातार कोशिशें हो रही हैं, लेकिन आप बहुत सहन करने वाले हो। इनका पाप का घड़ा भर लिया। हम हिंसा के कतई पक्षधर नहीं हैं। जितनी मदद हमने इस सरकार की करी, इतनी किसी का ना करी। अब या सरकार ही सामने आ रही है। हम टकराव नहीं चाहते। गुमराह मत होना। हमारी पूरी जत्थेबंदी एकदम मजबूत है। 

उन्होंने कहा आंदोलन से सरकार भी किरकिरी हो रही है। भाजपा के सांसद और विधायक गांवों में जाते हुए डर रहे हैं। ऐसा नहीं नहीं है कि हमने सांसदो और विधायकों का विरोध करने का कोई आव्हान किया हो, लेकिन वे गांवों में जाएंगे तो गांव वाले सवाल तो पूछेंगे ही, वही हो रहा है। भाजपा के सांसद खुद ही फंसा महसूस कर रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि सरकार ने गलत किया है। किसानों का काम धंधे का समय है, सरकार किसानों की और परीक्षा न ले। भाकियू अध्यक्ष के आगमन को देखते हुए गाजीपुर बार्डर पर हजारों की संख्या में किसान पहुंचे थे। रविवार को बार्डर पर युवाओं के मुकाबले बुजुर्गों की संख्या ज्यादा रही। नरेश टिकैत ने रविवार को सुकमा हमले की निंदा करते हुए शहीद हुए जवानों को अपनी श्रद्घांजलि अर्पित की, मंच से उनके आव्हान पर आंदोलनकारियों ने दो मिनट का मौन रखा।

खाप चौधरियों के साथ आंदोलन स्थल पर पहुंचे चौधरी नरेश टिकैत ने कहा कि सरकार किसान आंदोलन को हिंसा के रास्ते पर ले जाना चाहती है। किसानों को सरकार हिंसा में धकेलने की साजिश कर रही है, सरकार ऐसा न करे। हम अहिंसा में विश्वास रखने वाले लोग हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने 11-12 बार किसानों को वार्ता के नाम पर बुलाकर मजाक करती रही। जब सरकार को पता चल गया कि किसान यह समझ रहे हैं कि वार्ता के नाम पर उनके साथ मजाक हो रहा है, सरकार ने वार्ता बंद कर दी। सरकार साफ मन से बात करे तो ऐसी कोई बात नहीं है जिसका हल ना हो। 

भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि सरकार खामखां बात का बतंगड़ बना रही है। सरकार का मकसद आंदोलन को दूसरी राह पर ले जाने का है। किसान को नक्सलवाद की ओर क्यों धकेलना चाहती है सरकार। हम टकराव नहीं चाहते। जब सरकार साफ मन से वार्ता करना चाहे तो हम हमेशा वार्ता के लिए तैयार हैं। किसान की समस्या इतनी बड़ी बात नहीं है, ये किसान को कम आंक रहे, सरकार ऐसी भूल न करे। एमएसपी पर कानून बनाने और तीन कृषि कानूनों की वापसी की ही तो बात है। सरकार इतनी बड़ी-बड़ी समस्याएं हल करती है, इसमें क्या है। किसानों का भी काम-धंधे का समय है, सरकार हमारी मांग मान ले और हम भी अपने काम धंधे से लगें। खाप चौधरियों के साथ बैठक के अलावा भाकियू अध्यक्ष दिल्ली-मेरठ पर चल रहे आंदोलन के मंच से आंदोलनकारियों को भी संबोधित किया।

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किसानों के मन में भाजपा के प्रति घृणा पैदा हो रही तो कौन वोट देगा

भाकियू अध्यक्ष ने कहा कि किसानों ने सबसे ज्यादा इस सरकार को बनाने में अपना सहयोग दिया और सरकार अब किसानों के साथ ऐसा कर रही है। किसानों में सरकार और भाजपा के प्रति घृणा पैदा हो रही है। अब कौन वोट देगा इन्हें। बड़ी दिक्कत यह है कि यह सरकार किसी की सुनना ही नहीं चाहती। सरकार नू चाह कोई बोलै ना इसके आगे, थारे सामने कोई बोल्लै ही ना, भई क्यों न बोल्लै, ऐसा थोड़ा होता है। हम शांतिपूर्वक 35 वर्षों से संगठन के जरिए किसानों की आवाज उठा रहे हैं और ये हमले करा रहे। किसान के मन में घृणा पैदा हो रही है तो चुनाव में इसका नुकसान को भाजपा को होगा ही। 

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छात्रों के भविष्य का सवाल है, हम कार्रवाई नहीं चाहते

एक सवाल के जबाब में भाकियू अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि अलवर में  राकेश टिकैत के काफिले पर हुए हमले में नामजद हुए छात्रों पर कोई कार्रवाई हम नहीं चाहते। वे थोड़ी-थोड़ी उम्र के बच्चे हैं उन्हें आंदोलन और दूसरी बातों से क्या लेना। हमने राजस्थान सरकार से भी कहा है कि उन बच्चों को माफ करो। लेकिन भाकियू अध्यक्ष यहीं नहीं रूके। उन्होंने कहा कि वे जिन लोगों ने बहकाकर हमला करने भेजे थे, उनकी क्या मंशा थी। बात साफ भी हो गई है कि भाजपा से जुड़े लोग ही उनके पीछे थे। छात्र भी एबीवीपी के थे, जो भाजपा से जुड़ा संगठन है। हम कह रहे बच्चों के पढ़ने का समय उन्हें पढ़ने दो। मुकदमे बाजी में फंसकर उनका भविष्य खराब हो जाएगा, बच्चों के साथ ऐसा न करो।

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किसानों का त्याग बड़ा है

अप्रैल के महीने में जब किसान के पास रिश्तेदारी में भी जाने का समय नहीं होता, तब हजारों किसान गाजीपुर बार्डर पर पड़े हैं, सिंघू बार्डर पर पड़े हैं, टीकरी बार्डर पर पड़े हैं। 15 मई तक किसानों का समय बड़ा व्यस्त होता है, जब कोई घर बाहर निकलने को तैयार नहीं है तक किसान सड़कों पर पड़े हैं, इससे बड़ा त्याग और क्या होगा। जो किसान खेत में काम कर रहा है, उसका मन भी यहीं है। हर किसान चाह है कि एक घंटे का समय निकालकर ही आंदोलन में होकर आऊं। देखूं तो वहां क्या हाल है?

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