गुरुवार, 25 फ़रवरी 2021

टैगोर जैसा दिखने के लिए दाढ़ी बढा रहे मोदी : नरेश टिकैत


नई दिल्ली । भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत का कहना है कि किसान आंदोलन जाटों का आंदोलन है। टिकैत ने कहा कि प्रधानमंत्री की दाढ़ी प बंगाल चुनाव तक सुरक्षित रहेगी। इसके पीछे राज है। पीएम ने ये दाढ़ी बंगाल चुनाव के लिए रखी है। वे वहां चुनाव में अपना रूप वे टैगोर की तरह बनाने की कोशिश कर रहे हैं। नरेश टिकैत ने गुरुवार को श्रीरामलला व हनुमानगढ़ी में दर्शन-पूजन के बाद पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि रामलला से केंद्र सरकार की सद्बुद्धि के लिए कामना की है, जिससे किसानों को उनका अधिकार मिल सके। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीरामलला हमारे पूर्वज हैं। कहा कि हमें आंदोलन से उठने का रास्ता नहीं मिल रहा है। सरकार ईमानदारी से बात करे, किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस हों और कानून में कुछ संशोधन करें तभी बात बनेगी।

भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने बुधवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को “पिंजरे में बंद तोता” कहा और कहा कि अगर उन्हें किसानों के साथ बात करने की आजादी दी जाए तो किसानों के मुद्दों को हल किया जा सकता है। उन्होंने भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार पर तीन नए कृषि कानूनों को लेकर “जिद्दी” होने का आरोप लगाया। मालूम हो कि किसान यूनियनें इन्हें रद्द कराना चाहती हैं।टिकैत ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसान भी अपनी मांगों को लेकर पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। टिकैत ने कहा,“सरकार ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को एक ‘ पिंजरे का तोता ’ बना दिया है। अगर उन्हें किसानों से बात करने की आजादी दी जाती है, तो मैं गारंटी दे सकता हूं कि कोई फैसला होगा और भाजपा की प्रतिष्ठा भी बरकरार रहेगी। ”

उन्होंने कहा कि किसान रक्षा मंत्री का सम्मान करते हैं, लेकिन उन्हें मौका नहीं दिया जा रहा है। टिकैत ने बाराबंकी में किसानों की “महापंचायत” को संबोधित किया और मीडिया से भी बात की। टिकैत ने दावा किया कि केंद्र कानूनों का विरोध कर रहे किसानों की ओर ध्यान नहीं दे रहा है। सरकार जिद्दी है और किसानों की बात सुनने के लिए तैयार नहीं है। सरकार को अपना रवैया बदलना चाहिए।

नरेश टिकैत ने कहा कि अगर पीएम कानूनों को रद्द करने के लिए तैयार नहीं हैं, तो हम भी पीछे नहीं हटेंगे। किसान बर्बाद हो जाते हैं और उनकी उपज का सही मूल्य नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि बिजली, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी का असर उन पर भी पड़ा है। अगर यह सरकार लंबे समय तक चलती है तो किसानों को कृषि छोड़नी होगी।

बीकेयू नेता ने कहा कि उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल का रास्ता बाराबंकी से होकर जाता है और अगर यहां के किसानों को नए कानूनों के असर के बारे में बताया जाता है, तो वे उस क्षेत्र के किसानों को इसके बारे में बता पाएंगे। यह सरकार किसानों को बदनाम कर रही है। उन्हें आतंकवादी और खालिस्तानी बता रही है और हम इस पर चुप नहीं रह सकते।

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