मंगलवार, 26 जनवरी 2021

क्या किसान आंदोलन खालिस्तान समर्थकों और समाज विरोधी तत्वों ने हाइजैक कर लिया है?





नई दिल्ली। क्या किसान आंदोलन को खालिस्तान समर्थकों और समाज विरोधी तत्वों ने हाइजैक कर लिया है। क्या जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ कर किसान नेताओं की जवाबदेही खत्म हो गई है। 

दिल्ली में उपद्रव के दौरान ट्रैक्टर से बैरिकेट तोड़ दिए गए, कहीं रास्ते में खड़े किए गए बसों को पलट दिया गया तो कहीं पुलिस पर तलवार से हमला कर दिया गया। पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दागे तो कुछ जगहों पर हल्का लाठीचार्ज किया गया। पुलिस ने मंगलवार को लगभग 90 मिनट तक चली अफरातफरी के बाद प्रदर्शनकारी किसानों को लालकिला परिसर से हटा दिया। किसान अपनी ट्रैक्टर परेड के निर्धारित मार्ग से हटकर इस ऐतिहासिक स्मारक तक पहुंच गए थे जहां उन्होंने अपने झंडे लगा दिए। बाद में, पुलिस ने लालकिला परिसर को खाली कराने के लिए लाठीचार्ज किया। इससे पहले लगातार उद्घोषणा की जा रही थी कि प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण तरीके से लालकिले से हट जाएं। 

इससे पहले, प्रदर्शनकारी ट्रैक्टर परेड के निर्धारित मार्ग से हटकर आईटीओ पहुंच गए। जब उन्होंने वहां से लुटियंस क्षेत्र की ओर बढ़ने की कोशिश की तो पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा। किसानों ने ट्रैक्टर परेड के निर्धारित समय से काफी पहले ही दिल्ली के भीतर बढ़ना शुरू कर दिया था। पुलिस संयम तोड़ कर गोली चला देती तो क्या होता? आंदोलन पर पहले और अब जमालो की तरह गलेबाजी कर रहे नेताओं की हकीकत भी सामने आ गई है।

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