*कार्तिक पूर्णिमा*
इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर्व 30 नवंबर को मनाया जाएगा और इसी दिन देव दीपावली भी मनाई जाएगी. कार्तिक मास की पूर्णिमा का हिंदू धर्म में खास महत्व होता है. शास्त्रों में सभी कार्तिक महीने को आध्यात्मिक एवं शारीरिक ऊर्जा संचय के लिहाज से सर्वश्रेष्ठ माना गया है. हिन्दू कैलेंडर वर्ष के आठवें महीने को कार्तिक महीना कहते हैं और इस माह की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा कहते हैं.
*कार्तिक पूर्णिमा* 30 नवंबर 2020
*पूर्णिमा आरंभ* 29 नवंबर 2020 को दोपहर 12:47 बजे से
*पूर्णिमा तिथि समाप्त* 30 नवंबर 2020 को दोपहर 02: 59 बजे
*कार्तिक पूर्णिमा का महत्व*
माना जाता है कि भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा को ही त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था, जिससे देवताओं ने प्रसन्न होकर दिवाली मनाई थी. उसी को देव दिवाली कहते हैं. त्रिपुरासुर के वध के बाद देवता बहुत प्रसन्न हुए और भगवान विष्णु ने शिवजी को त्रिपुरारी नाम दिया.
महाभारत की कथा के अनुसार, जब युद्ध खत्म हुआ तब पांडव बहुत दुखी थे कि युद्ध में उनके कई अपनों की मौत हो गई. उनकी आत्मा की शांति को लेकर भी पांडवों में चिंता थी. पांडवों की चिंता दूर करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने कार्तिक शुक्लपक्ष की अष्टमी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक पितरों की आत्मा की तृप्ति के लिए तर्पण और दीपदान करने को कहा था. उसके बाद से कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान और पितरों को तर्पण का विधान शुरू हो गया.
दूसरी ओर, पुराणों में कहा गया है कि कार्तिक पूर्णिमा को ही भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार धारण किया था. इसके अलावा कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु के जागने पर भगवान शालिग्राम स्वरूप का देवी तुलसी से विवाह हुआ था. भगवान विष्णु के बैकुंठधाम आगमन और तुलसी संग विवाह के बाद कार्तिक पूर्णिमा को पुण्य लाभ प्राप्त करने के लिए इस तिथि का खास महत्व है.
कार्तिक पूर्णिमा को ही सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानकदेव का जन्म हुआ था. सिख धर्म के अनुयायी इस कारण कार्तिक पूर्णिमा को प्रकाशोत्सव मनाते हैं।
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