मां लक्ष्मी के साथ-साथ दिवाली में में श्री यंत्र की पूजा का विशेष महत्व है। इस दीपावली में गुरु धनु राशि में रहेगा। यही कारण है कि श्री यंत्र की पूजा कच्चे दूध से करने से सभी राशि के जातकों को लाभ होगा। इधर, शनि अपनी मकर राशि में विराजमान होगी। साथ ही साथ इस दिन अमावस्या का भी योग बन रहा है। ऐसे में इस दौरान भी तंत्र-यंत्र की पूजा करनी चाहिए। दिवाली पर महालक्ष्मी पूजन का विधिवत पूजन करने से इच्छित परिणाम मिलेंगे। लक्ष्मी पूजन की सामग्री और पूजन विधि जानिए :
सबसे पहले चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियां रखें उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे।
लक्ष्मीजी, गणेशजी की दाहिनी ओर रहें।
पूजनकर्ता मूर्तियों के सामने की तरफ बैठें।
कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें।
नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें। यह कलश वरुण का प्रतीक है।
दो बड़े दीपक रखें। एक घी का, दूसरा तेल का। एक दीपक चौकी के दाईं ओर रखें व दूसरा मूर्तियों के चरणों में। एक दीपक गणेशजी के पास रखें।
मूर्तियों वाली चौकी के सामने छोटी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं।
कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से लाल वस्त्र पर नवग्रह की प्रतीक नौ ढेरियां बनाएं।
गणेशजी की ओर चावल की सोलह ढेरियां बनाएं। ये सोलह मातृका की प्रतीक हैं। नवग्रह व षोडश मातृका के बीच स्वस्तिक का चिह्न बनाएं।
इसके बीच में सुपारी रखें व चारों कोनों पर चावल की ढेरी।
सबसे ऊपर बीचोंबीच ॐ लिखें। छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश रखें।
थालियों की निम्नानुसार व्यवस्था करें- 1. ग्यारह दीपक, 2. खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप, सिन्दूर, कुंकुम, सुपारी, पान, 3. फूल, दुर्वा, चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी-चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक के साथ विधि-विधान से पूजन करें।
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