बुधवार, 22 जुलाई 2020

काल सर्प दोष से मुक्ति दिलाएगी शुभ नाग पंचमी


नाग पंचमी का त्यौहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है. पंचमी तिथि का स्वामी नाग को माना गया है. नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा की जाती है. इस दिन पूजा करने से कालसर्प दोष का प्रभाव कम होता है. इसलिए नाग पंचमी के दिन नाग पूजन का बहुत महत्व माना गया है. मान्यता है कि इस दिन सर्पों को दूध से स्नान और पूजन कर दूध से पिलाने से अक्षय-पुण्य की प्राप्ति होती है.राहु और केतु के कारण इस दोष का निर्माण होता है. नाग पंचमी की पूजा से राहु- केतु की अशुभता दूर होती है.  काल सर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति के जीवन में बाधाएं समाप्त नहीं होती हैं. शिक्षा, करियर, जॉब और बिजनेस में हमेशा परेशानी बनी रहती है. व्यक्ति को कोई भी चीज आसानी से प्राप्त नहीं होती है उसे हर चीज को पाने के लिए दूसरों की तुलना बहुत अधिक संघर्ष करना पड़ता है.



पुराणों में मान्यता है कि नागपंचमी के दिन भगवान भोलेनाथ का रुद्राभिषेक करने से काल सर्प दोष से पीड़ित जातकों को दोषों से छुटकारा मिलता है। शिवलिंग के ऊपर तांबे, चांदी से निर्मित नागों की पूजा करने का विधान है। हर साल मंदिर में विधिवत कालसर्प दोष पूजा का आयोजन किया जाता था। इस साल कोरोना महामारी के चलते मंदिर बंद होने से काल सर्प दोष पूजा-अनुष्ठान को स्थगित कर दिया गया है।



ज्योतिषी के अनुसार किसी भी जातक की जन्म कुंडली में एक दोष होता है, जिसे सर्प दोष कहा जाता है। हालांकि इस दोष का सांपों से कोई लेना-देना नहीं होता। कालसर्प दोष, राहु-केतु जनित दोष है। राहु का मुख सर्प के समान होने से यह सर्प दोष के नाम से प्रचलित हो गया है।


सर्प योनि से मुक्ति


भविष्य पुराण में उल्लेखित है कि जिन लोगों की मृत्यु सर्पदंश से होती है वे सर्प योनि में जन्म लेते हैं। नागपंचमी पर पूजा करने से उनके पूर्वजों को सर्प योनि से छुटकारा मिलता है।


निम्न मंत्र जपें


नागदेवता के मंत्र 'ऊँ नवकुलाय विदमहे, विषदंताय धीमहि, तन्नो सर्प प्रचोदयात' का 11 बार जाप करने से सांप के काटने का भय दूर होता है।


शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक


नागपंचमी पर जल, शहद, दूध मिश्री, दही, घी यानी पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें।
पूजा विधि
नाग पंचमी के दिन पूजा के साथ ही व्रत का संकल्प लें और अपने हाथों से मिट्टी के नाग या चित्र बनाकर एक चौकी पर स्थापित करें. नाग देव की हल्दी, रोली, अक्षत और पुष्प अर्पित कर पूजा करें. इसके बाद कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर भोग लगाएं.  इसके बाद नाग की आरती उतारें और शिव आरती का पाठ करें.


नाग पंचमी की पूजा का समय
नाग पंचमी पूजा मुहूर्त: 05:38:42 से 08:22:11 तक (25)
अवधि: 2 घंटे 43 मिनट


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