लखनऊ । पेट्रोल-डीजल की महंगाई से बिलबिला रहे उत्तरप्रदेश के लोगों को जल्द ही बिजली विभाग बढ़ोतरी का करंट लगाने की तैयारी में है। बिजली दरों में वृद्धि के साथ ही स्लैब के नाम पर बिजली उपभोक्ताओं की पर और बोझ डालने की तैयारी की जा रही है। अभी गरीबी की रेखा से नीचे के उपभोक्ताओं को छोड़कर अन्य उपभोक्ताओं के लिए दरों की चार स्लैब हैं। अब सरलीकरण के नाम पर इसे दो स्लैब में बदलने की तैयारी चल रही है। एक स्लैब 200 यूनिट तक की खपत का तथा दूसरा 200 यूनिट से ज्यादा खपत का बनाने का प्रस्ताव है। इसके अलावा 2020-21 के लिए दरों में पांच से आठ फीसदी की वृद्धि भी संभावित है। पावर कॉर्पोरेशन जल्द ही राज्य विद्युत नियामक आयोग के समक्ष प्रस्ताव दाखिल करेगा। कोरोना के कारण बीते तीन महीने में बिजली कंपनियों के राजस्व में भारी कमी आई है। इन तीन महीनों में ही 35000 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया हो गया है। लगभग 10 लाख उपभोक्ताओं पर तो एक लाख रुपये से ज्यादा बकाया है
ऐसे में राजस्व बढ़ाकर बिजली कंपनियों की आर्थिक सेहत सुधारना बड़ी चुनौती है। इसी से निपटने के लिए पावर कॉर्पोरेशन स्लैब को कम करने और बिजली दरों में वृद्धि जैसे विकल्पों पर गंभीरता से विचार कर रहा है। चूंकि 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में सरकार अगले साल दरों में वृद्धि को हरी झंडी देगी, इसकी गुंजाइश कम है। ऐसे में काॅर्पोरेशन इस साल किसी भी तरह दरें बढ़वाने की जुगत में लगा है।
घरेलू उपभोक्ताओं का मौजूदा स्लैब
स्लैब दर
0-150 यूनिट 5.50
151-300 यूनिट 6.00
301-500 यूनिट 6.50
500 यूनिट से ऊपर 7.00
सूत्रों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में की जा रही ज्यादा बिजली आपूर्ति के मद्देनजर पावर कॉर्पोरेशन ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं व किसानों की दरों में भी इजाफा करना चाहता है। ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति के अनुपात में राजस्व नहीं मिल रहा है। इसकी भरपाई के लिए कॉर्पोरेशन गांवों की दरें बढ़ाने का तर्क दे रहा है। इस पर उसे सरकार के रुख का इंतजार है। सूत्रों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में की जा रही ज्यादा बिजली आपूर्ति के मद्देनजर पावर कॉर्पोरेशन ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं व किसानों की दरों में भी इजाफा करना चाहता है। ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति के अनुपात में राजस्व नहीं मिल रहा है। इसकी भरपाई के लिए कॉर्पोरेशन गांवों की दरें बढ़ाने का तर्क दे रहा है। इस पर उसे सरकार के रुख का इंतजार है।
उद्योगों को राहत
लॉकडाउन की मार को देखते हुए पावर कॉर्पोरेशन लघु, मध्यम तथा बड़े व भारी उद्योगों की बिजली दरों में इजाफा करने के पक्ष में नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि महामारी की मार झेल रहे उद्योगों के लिए बिजली दरें बढ़ाने से प्रदेश से उद्योगों के पलायन का खतरा भी है। सरकार भी इसके लिए तैयार नहीं है।
इस महीने के अंत तक दाखिल हो सकता है टैरिफ प्रस्ताव
विद्युत अधिनियम 2003 के प्रावधानों के अनुसार बिजली कंपनियों को हर साल नवंबर में अगले वित्तीय वर्ष का वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) व टैरिफ प्रस्ताव दाखिल कर देना चाहिए लेकिन, अभी तक ऐसा नहीं किया जा सका है। नियामक आयोग ने इस बार कंपनियों को ऑनलाइन प्रस्ताव दाखिल करने को कहा है। सूत्रों के मुताबिक इस महीने के अंत तक प्रस्ताव दाखिल किया जा सकता है। जून में प्रस्ताव दाखिल हो जाता है तो अगस्त में नई दरों का एलान हो सकता है।
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