टीआर ब्यूरों l
मुजफ्फरनगर l प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों वाली कैबिनेट बैठक में केंद्र सरकार ने 14 खरीफ फसलों का एमएसपी बढ़ा दिया है। इस बार 2013-14 के बाद से सबसे ज़्यादा वृद्धि हुई है।
केंद्र सरकार ने किसानों के तीन लाख रुपए तक के अल्पावधि ऋण की अदायगी की तिथि 31 मई से बढ़ाकर 31 अगस्त कर दी है। जो किसान 31 अगस्त तक अपना ऋण चुकाएंगे, उन्हें तीन प्रतिशत ब्याज की रियायत मिलेगी। यह एक सही कदम है।
खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर के एमएसपी में 200 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि करते हुए 5800 प्रति क्विंटल से 6,000 प्रति क्विंटल किया है, जो कि 3.7 प्रतिशत है। मूंग के एमएसपी में 146 रुपए की वृद्धि करते हुए 7050 प्रति क्विंटल से 7196 प्रति क्विंटल किया है, जो कि 2.1 प्रतिशत है। उड़द के एमएसपी में 300 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि करते हुए 5700 प्रति क्विंटल से 6,000 प्रति क्विंटल किया है, जो कि 5.3 प्रतिशत है।
इस बीच तिलहन फसलों में सोयाबिन के एमएसपी में 170 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि करते हुए 3710 प्रति क्विंटल से 3880 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है। मूंगफली के एमएसपी में 185 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि करते हुए 5090 प्रति क्विंटल से 5275 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है। सूरजमुखी के एमएसपी में 235 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि करते हुए 5650 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि करते हुए 5,885 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है।
यदि बात मोटे अनाजों की करें तो मक्का के एमएसपी में 90 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि करते हुए 1760 प्रति क्विंटल से 1,850 रुपए प्रति क्विंटल, बाजरा के एमएसपी में 150 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि करते 2000 प्रति क्विंटल से 2,150 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है।
ज्वार (हायब्रिड) का एमएसपी 70 रुपए की वृद्धि करते हुए 2550 प्रति क्विंटल से 2620 रुपए, रागी का एमएसपी 145 रुपए वृद्धि करते हुए 3150 प्रति क्विंटल से 3,295 रुपए प्रति क्विंटल, कपास (मीडियम स्टेपल) के एमएसपी 260 रुपए की वृद्धि करते हुए 5255 प्रति क्विंटल से 5,515 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है। धान (सामान्य) के एमएसपी में 53 रुपए प्रति क्विंटल वृद्धि करते हुए 1815 रुपए प्रति क्विंटल से 1868 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि फसलों की लागत तय करने का सरकारी फार्मूला ठीक नहीं है। सरकार किसन की लागत को कम दिखाती है जबकि किसान को उससे कहीं ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ता है। भाकियू डॉ स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर किसान सी2+50 प्रतिशत लाभ के फार्मूले से एमएसपी देने की मांग लम्बे समय से करती आ रही है। भाकियू सहित देश के किसान संगठन समर्थन मूल्य पर खरीद पर कानून लाने की भी मांग कर रहे है, ताकि किसान की फसल घोषित समर्थन मूल्य से नीचे न बिक सके।
डॉ स्वामीनाथन आयोग के सी2+50 प्रतिशत लाभ के फार्मूले के अनुसार जिस जमीन पर फसल उगाई गई है, उस जमीन की कीमत (इंफ्रास्ट्रक्चर कॉस्ट) के आधार पर जमीन का किराया व जमीन तथा खेतीबाड़ी के काम में लगी स्थाई पूंजी पर ब्याज को भी शामिल किया जाता है अर्थात इसमें कुल कृषि पूंजी पर लगने वाला ब्याज भी शामिल किया जाता है।
जबकि केंद्र सरकार ए2+एफएल के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करती है, जिसमे किसान की ओर से किया गया सभी तरह का भुगतान (ए2) चाहे वो कैश में हो या किसी वस्तु की शक्ल में, बीज, खाद, कीटनाशक, मजदूरों की मजदूरी, ईंधन, सिंचाई का खर्च जोड़ा जाता है।
इस प्रकार केंद्र सरकार ए2+एफएल आधार पर लागत में 50 प्रतिशत लाभ के फार्मूले से एमएसपी तय करती है। यदि इस एमएसपी को सी2+50 के आधार पर तय किया जाए तो वह एमएसपी किसान को कर्ज से भी मुक्ति दे सकता है।
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