गुरुवार, 28 मई 2020

मंत्री-पालिकाध्यक्ष विवाद : नगर पालिका अध्यक्ष को नोटिस, चेयरमैन बोली हर सवाल का दूंगी जवाब

टीआर ब्यूरों l


मुजफ्फरनगर। कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन में नगरपालिका की राजनीति आज एक बार फिर गरमा गई है।मंत्री कपिल देव अग्रवाल और पालिका अध्यक्ष अंजू अग्रवाल के बीच लगातार चल रहे शीत युद्ध में आज गर्मी आ गयी है,प्रदेश सरकार ने चेयरमैन के खिलाफ कार्यवाही करनी शुरू कर दी है,चेयरमैन को उत्तर प्रदेश शासन के प्रमुख सचिव की ओर से अनियमितताओं पर तीन बिन्दुओं का नोटिस मिला है, जिसका जवाब देने की तैयारी पालिका चेयरमैन ने कर ली है। उत्तर प्रदेश शासन के प्रमुख सचिव ने मुजफ्फरनगर नगर पालिका की अध्यक्ष अंजू अग्रवाल पर अनियमितता करने का आरोप लगाते हुए तीन बिंदुओं पर जवाब मांगा है।


प्रभारी अधिकारी स्थानीय निकाय के पत्र के साथ प्रमुख सचिव उ.प्र. शासन लखनऊ का आरोप पत्र आज चेयरमैन को मिला है, जिसमें एक सप्ताह में साक्ष्य सहित स्पष्टीकरण मांगा गया है। प्रमुख सचिव ने अपने पत्र में पहले आरोप में डा. रविन्द्र सिंह राठी नगर स्वास्थ्य अधिकारी को वित्तीय अधिकार प्रदत्त करने सम्बंधी मामले में जवाब मांगा है। इसके लिये अतिरिक्त टैम्पो लाईसेंस शुल्क ठेका न होने के कारण पालिका को अंकन 1 लाख 40 हजार रूपये तथा नीलामी कराये जाने के सम्बंध में बार बार समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशन पर 64,183 का खर्च किया गया। इस प्रकार कुल 1,95,223 रूपये की पालिका को आर्थिक हानि हुई। तीसरे आरोप में बोर्ड प्रस्ताव संख्या 164 दिनांक 4 जून 2019 पालिका की दुकानों से सम्बंध में भी जवाब मांगा गया है।


उत्तर प्रदेश शासन के प्रमुख सचिव द्वारा अनियमितताओं के आरोप में पालिका अध्यक्ष अंजू अग्रवाल को नोटिस जारी करने से पालिका की राजनीति में हलचल पैदा हो गई है। पालिका के पक्ष व विपक्ष का खेमा सक्रिय हो गया है। पिछले कुछ दिनों से जूम एप पर पालिका की बोर्ड बैठक कराने को लेकर भी चेयरमैन अंजू अग्रवाल की विपक्षी सभासदों से ठनी हुई थी और आरोप-प्रत्यारोप भी शुरू हो गया था। आज पालिका चेयरमैन को प्रमुख सचिव का नोटिस मिलने से विपक्षी खेमा खुश है और वह इसे अपनी जीत बताने में लगा हुआ है। इस मामले में पालिका अध्यक्ष भी हार मानने को तैयार नहीं है। उनका कहना है कि वह नोटिस के हर बिंदू का जवाब देंगी, क्योंकि उन्होंने कोई गडबडी नहीं की है।


पालिका चेयरमैन अंजू अग्रवाल ने बताया कि आज उन्हें प्रभारी अधिकारी, स्थानीय निकाय के पत्र के साथ प्रमुख सचिव, उ.प्र. शासन लखनऊ का तीन बिन्दुओं का आरोप पत्र प्राप्त कराया गया है, जिसमें शासन द्वारा एक सप्ताह में साक्ष्य सहित स्पष्टीकरण मांगा गया है। पहले आरोप में डा. रविन्द्र सिंह राठी नगर स्वास्थ्य अधिकारी को वित्तीय अधिकार प्रदत्त करने सम्बंधी आरोप है। नगर पालिका अधिनियम 1916 की धारा 59 में अध्यक्ष की पदीय शक्तियां प्रदत्त है कि दो माह के लिये अधिशासी अधिकारी के पद पर रिक्त होने की दशा में अध्यक्ष द्वारा किसी अधिकारी को वित्तीय अधिकार प्रदत्त किये जा सकते है। प्रमुख सचिव द्वारा जारी शासनादेश दिनांक 28 दिसम्बर 2017 में भी स्पष्ट रूप से आदेश है कि जिलाधिकारी द्वारा अपने स्तर से रिक्त निकाय के अधिशासी अधिकारी का कार्यभार नहीं दिया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त आरोप संख्या दो में उल्लेखित किया गया है कि टैम्पो लाईसेंस शुल्क ठेका न होने के कारण पालिका को अंकन 1,40,000 तथा नीलामी कराये जाने के सम्बंध में बार बार अखबारों में विज्ञापन प्रकाशन पर 64,183 रूपये का खर्च किया गया। इस प्रकार पालिका को 1,95,223 रूपये की आर्थिक हानि हुई। यह सब मनगंढत स्थिति है तथा तत्समय के प्रभारी अधिशासी अधिकारी की जिम्मेदारी है, क्योंकि पत्रावली पर मेरे बार-बार आदेश करने के बावजूद कई कई माह तक पत्रावली को लम्बित रखा गया, इसमें मेरे स्तर से कोई उदासीनता नहीं बरती गई। तीसरे आरोप में बोर्ड प्रस्ताव संख्या 164 दिनांक 4 जून 2019 पालिका की दुकानों से सम्बंधित है, जिसमें विभागीय प्रस्ताव पर बोर्ड द्वारा 6 सदस्यीय समिति गठित करने हेतु मुझे बोर्ड द्वारा अधिकृत किया गया था। बोर्ड प्रस्ताव के अनुपालन में ही समिति गठित की गई थी। इस प्रस्ताव को मंडलायुक्त द्वारा निरस्त करने के कारण इस पर भी पालिका स्तर से कोई कार्यवाही नहीं की गई। इस प्रकार तीनों की आरोप निराधार है। मेरे कार्यकाल में प्रतिवर्ष होने वाले ठेकों को पारदर्शिता के दृष्टिकोण से कराते हुए उनकी धनराशि में उत्तरोत्तर वृद्धि कराई गई है। चेयरमैन का कहना है कि यथाशीघ्र शासन को अभिलेखों एवं साक्ष्यों के आधार पर तीनों लगाये गये राजनीतिक दृष्टिकोण से मिथ्या आरोपों का युक्तियुक्त स्पष्टीकरण प्रेषित किया जायेगा, जिसमें दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा। चेयरमैन अंजू अग्रवाल का कहना है कि मुझे खुशी है कि मैने अपने ढाई वर्ष के कार्यकाल में जनता को बेहतर पालिका स्तर की सुविधएं मुहैया कराने का भरसक प्रयास किया है।


चेयरमैन को आज नोटिस मिलने से भाजपा सभासद बहुत खुश है,दरअसल चेयरमैन को भाजपा के स्थानीय विधायक और वर्तमान में राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल शुरू से ही पचा नहीं पा रहे है,कपिल नगरपालिका के चेयरमैन रह चुके है,उसके बाद दो बार विधायक चुने जा चुके है,फिलहाल मंत्री भी है, पर उनका मन पालिका से कभी हट नहीं पाया है,दरअसल कपिल देव एडवरटाइजिंग के धंधे से जुड़े है और अंजू अग्रवाल ने पालिका अध्यक्ष बनते ही उन पर अवैध बोर्ड लगाने का आरोप लगाकर कार्यवाही कर दी थी तब से शहर के वैश्य समाज के दिग्गज भी कई प्रयास कर चुके है लेकिन चेयरमैन और मंत्री में कभी बन ही नहीं पायी |


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