गुरुवार, 28 मई 2020

गर्म लू के प्रकोप से पशुओं को बचाये - सीवीओ

टीआर ब्यूरों l


मुज़फ्फरनगर l मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी डा0 एम. पी. सिंह ने सभी पशुपालकों को अवगत कराया है कि इस समय प्रदेश मे गर्म हवाएं/लू का प्रकोप व्याप्त है, जिससे तापमान काफी बढ गया है। इस अवस्था मे उचित प्रबंधन से पशुओं को लू से बचाना अति आवश्यक है। गर्म हवाएं/लू के प्रभाव से पशु की उत्पादन क्षमता कम हो जाती है, इसके साथ ही उचित देख-रेख एवं प्रबंधन न होने से पशु की बीमारी होने से मृत्यु भी हो सकती है। पशुपालन जीविका का साधन है। अतएव यह आवश्यक है कि गर्म हवाए/लू से बचाव हेतु पशुपालको को चाहिये कि पशुओ को सीधे धूप वाले स्थान मे न रखें। बाहर चरने हेतु प्रातः एवं सायं काल ही भेजें। विशेष तौर पर पूर्वान्ह 10.00 से अपरान्ह 04.00 के बीच सूर्य के ताप से पशुओ को बचाएं, उन्हे खुले स्थान/धूप मे न रखें। पशुओ को ऊपर से ढके हुए छप्पर, टीन शेड वाले स्थानो मे रखें तथा रोशनदान, दरवाजो एवं खिडकियो को टाट/बोरे से ढक दें जिससे सीधे हवा का झोंकें पशुओ तक न पहुच सकें तथा टाट/बोरे पर पानी का छिडकाव करते रहें। पशुओ को छाया मे बांधे और उन्हे पर्याप्त मात्रा मे पानी/तरल पदार्थ पिलाए। पशुओ को खली, दाना, चोकर, नमक एवं गुड के साथ संतुलित आहार दें। धूप मे ज्यादा देर तक रखा पानी पशओं को न पिलाये बल्कि ताजा व स्वच्छ पानी पिलाएं। लू से प्रभावित पशु मे बुखार के लक्षण होते हैं, उसे तत्काल निकटवर्ती पशु चिकित्सक को दिखाकर सलाह ले और परामर्श का पूर्ण रूप से पालन करे। पशुओ को दिन मे एक बार अवश्य नहलाये। घर के बाहर छायादर स्थानो पर कटोरे मे पानी भरकर रख दे, जिससे अन्य पक्षी भी पानी पी सके। तापमान बढने से सिंचाई के अभाव मे चरी के सूखने एवं जहरीली होने की प्रबल सम्भावना रहती है। जहरीली चरी खाने से पशुओ की मृत्यु हो सकती है। अतः सिंचाई के अभाव मे सूखी चरी पशुओ को कदापि न खिलाए। परंतु यदि विषाक्तता की स्थिति दिखाई पडे तो तत्काल पानी पिलाकर जीवन रक्षा का प्रयास करे तत्पश्चात निकटतम पशुचिकित्सक से सम्पर्क करे। पशु चिकित्सालयो पर जीवन रक्षक औषधिया उपलब्ध हैं। 


          उन्होंने बताया कि गला घोंटू एक जीवाणुजनित रोग है, और इसका प्रभाव जून से अगस्त तक पशुओ को ज्यादा प्रभावित करता है। बीमार पशु के प्रमुख लक्षण हैं- पशु को अचानक तेज बुखार आता है, पशु चारा-पानी छोंड देता है, मुहँ से लार गिरने लगती है, गले मे सूजन आ जाती है, पशु को सांस लेने मे भयंकर तकलीफ होती है, मुह से घर्र-घर्र की आवाज आने लगती है, जीभ बाहर निकल आती है। यदि समय पर इलाज न हुआ तो पशु की मृत्यु भी हो जाती है। अतः टीकाकरण मानसून आने से पूर्व अवश्य करवा लेना चाहिए। वर्तमान मे इसका टीका प्रत्येक पशु चिककिसालय/पशु सेवा केंद्र पर उपलब्ध है।"गला घोंटू"बीमारी का निःशुल्क टीकाकरण किया जा रहा है। सभी पशुपालको से अपील है कि टीकाकरण मे सहयोग करें एवं अपने पशुओं को टीका अवश्य लगवाएं। टीकाकरण से कोई भी पशु वंचित न रहने पाये। मानसून आने से पूर्व गलाघोंटू बीमारी से बचाव का निशुल्क टीका अपने पशु को अवश्य लगवाएं। किसी भी आपातकालीन स्थिति में नजदीकी पशु चिकित्सालय/पशु सेवा केंद्र पर सम्पर्क करें। -मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी,मुज़फ्फरनगर


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