शनिवार, 23 मई 2020

हरे रंग में बदल रहे हैं अंटार्कटिका के बर्फीले पहाड़ 


नई दिल्ली।   अंटाकर्टिका के बर्फ के पहाड़ों की खूबसूरती देखते ही बनती है, यहां के पहाड़ों का बदलता रंग हैरान करने वाला है। बुधवार को प्रकाशित नए शोध के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण वार्मिंग तापमान बर्फ को हरे रंग में बदलने में मदद कर रहा है। कई स्थानों पर यह इनते बड़े क्षेत्र में हुआ है कि इसे अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है। ब्रिटिश खोजकर्ता अर्नेस्ट शेकलटन द्वारा एक शोध में कहा कि बर्फ के पहाड़ों का हरे रंग में बदलना शैवाल की वजह से हो सकता है।
अर्नेस्ट शेकलटन की रिपोर्ट में कहा गया है कि अंटार्कटिका में लंबे समय से शैवाल मौजूद हैं और अब इनकी मात्रा इनती अधिक हो गई है कि बर्फ का रंगी भी सफेद से बदलकर हरा हो रहा है। यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने सेंटीनल 2 सैटेलाइट के जरिए 2 वर्षों का डाटा जमा किया है। ब्रिटिश अंटार्कटिका सर्वे और यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज लंबे समय से यहां के सतह का विश्लेषण कर रहा है। इनके द्वारा बनाए गए एक मैप में शैवाल के तेजी से बढ़ने का पता चलता है।
रिसर्च में पाया गया है कि सबसे ज्यादा अंटार्कटिका पेनिनसुला तट पर मौजूद है। एक रिपोर्ट के मुताबिक शैवाल सिर्फ हरे रंग के नहीं बल्कि यह लाल और नारंगी रंग के भी होते हैं। वैज्ञानिक इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि इनकी बढ़ती संख्या का कारण क्या है और भविष्य में क्या यह और तेजी बढ़ सकते हैं। शैवाल की खासियत होती है कि वो वातावरण से कार्बन डाइक्साइड को सोख लेते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि वातारण में कार्बन का उत्सर्जन बढ़ा है। 
वर्तमान में, अंटार्कटिका के कुछ क्षेत्रों में घने शैवाल की इतनी सघनता है कि चमकदार हरी दिखने वाली बर्फ को अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है। और, वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने के साथ, भविष्य में शैवाल के बढ़ने से उनकी सीमा का विस्तार होगा और सफेद महाद्वीप अंटार्कटिका को भी यह हरियाली में बदल देगा। बता दें कि इससे पहले क्लैमाइडोमोनस निवालिस के अल्गुल खिलने के कारण अंटार्कटिका की बर्फ खून की तरह लाल हो गई थी।


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