गुरुवार, 23 अप्रैल 2020

अल्पसंख्यक कॉलेज लिखित परीक्षा से कर सकेंगे भर्ती

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एडेड अल्पसंख्यक कॉलेजों में प्राइवेट एजेंसी की लिखित परीक्षा से अध्यापक भर्ती का रास्ता साफ कर दिया है। कोर्ट ने इसके लिए उत्तर प्रदेश इंटरमीडिएट एक्ट के रेगुलेशन 17 चैप्टर द्वितीय में किए गए राज्य सरकार के संशोधन को वैध करार दिया है। कहा कि यह संशोधन अल्पसंख्यक विद्यालयों को अनुच्छेद 30 के तहत मिले प्रबंधन के अधिकार का उल्लंघन नहीं करता।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल एवं न्यायमूर्ति राजीव मिश्र की खंडपीठ ने नेशनल इंटर कॉलेज शिकारपुर बुलंदशहर सहित 32 अन्य कॉलेजों की याचिकाओं को खारिज करते हुए दिया है । अब तक इन विद्यालयों की प्रबंध समिति साक्षात्कार से अपने अध्यापकों की नियुक्ति करती रही है। राज्य सरकार ने संशोधन से यह व्यवस्था कर दी है कि सरकारी वित्तीय सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक विद्यालयों के अध्यापकों की भर्ती में शिक्षा विभाग के अधिकारियों के निर्देशन में प्राइवेट एजेंसी द्वारा लिखित परीक्षा कराकर मेरिट के आधार पर भर्ती की जाएगी। प्राइवेट एजेंसी भर्ती प्रक्रिया पूरी कर मेरिट के आधार पर शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से कॉलेज की प्रबंध समिति को चयनित अभ्यर्थियों का नाम भेजेगी, प्रबंध समिति जिनकी नियुक्ति करेगी।
कोर्ट ने कहा कि प्राइवेट एजेंसी से लिखित परीक्षा कराकर एडेड अल्पसंख्यक कॉलेजों में अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया पारदर्शितापूर्ण व पक्षपात रहित है। यह प्रक्रिया किसी भी तरीके से मनमानापूर्ण नहीं है। यह छात्र व जनहित में होने के साथ राष्ट्रीय हित में भी है। इस प्रक्रिया से अल्पसंख्यक विद्यालयों में योग्य अध्यापक मिल सकेंगे और उससे छात्रों की शिक्षा की गुणवत्ता में व्यापक सुधार होगा ।
कोर्ट ने कहा कि अध्यापकों की भर्ती के मामले में सरकार का सीधा रोल नहीं है। न ही सरकार इसमें किसी प्रकार का हस्तक्षेप कर रही है। सरकार ने अध्यापकों की शिक्षा की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए प्राइवेट एजेंसी से लिखित परीक्षा कराकर योग्य अध्यापकों की नियुक्ति की व्यवस्था की है ।
कोर्ट ने कहा कि नियुक्ति का अधिकार प्रबंध समिति को होगा। चयन प्रक्रिया सरकारी निर्देशन में प्राइवेट एजेंसी द्वारा पूरी की जाएगी और चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति के लिए अग्रसारित किया जाएगा। जिन्हें नियुक्त करने का प्रबंध समिति को पूरा अधिकार होगा। इस मामले में सरकारी अधिकारियों का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। याचिकाओं में उत्तर प्रदेश इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम रेगुलेशन 17 चैप्टर 2 एवं 20 मार्च 2018 की अधिसूचना की वैधता को चुनौती दी गई थी । याचियों का कहना था कि यह उपबंध अनुच्छेद 30 के अंतर्गत अल्पसंख्यक विद्यालयों को मिले मूल अधिकारों का खुला उल्लंघन है।
कोर्ट ने कहा कि संयुक्त शिक्षा निदेशक के निर्देशन में प्राइवेट एजेंसी द्वारा लिखित परीक्षा कराना और मेरिट लिस्ट तैयार कर नियुक्ति के लिए प्रबंध समिति को अग्रसारित करना संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक विद्यालयों को मिले अधिकारों में किसी प्रकार से हस्तक्षेप नहीं है।


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