मुजफ्फरनगर। बकाया गन्ना भुगतान, मुआवजा और किसानों की विभिन्न समस्याओं को लेकर सोमवार को भारतीय किसान यूनियन ;भाकियूद्ध ने कलेक्ट्रेट का घेराव करते हुए डीएम कार्यालय पर पूरी तरह से कब्जा जमा लिया। भाकियू कार्यकर्ता राकेश टिकैत के नेतृत्व में पुलिस और प्रशासन की सभी घेराबंदी और पुख्ता प्रबंध को धता बताते हुए जुलूसों के रूप में कलेक्ट्रेट पहुंचे। भाकियू के इस प्रदर्शन को देखते हुए डीएम कार्यालय छावनी में बदल दिया गया था। वहीं शहर के सभी प्रमुख चैराहों और एंट्री प्वाइंट पर भारी सुरक्षा प्रबंध किये गये, लेकिन पुलिस कहीं भी किसानों पर अंकुश लगाने में सफल नहीं हो पायी। डीएम कार्यालय में भी किसानों ने ट्रैक्टर घुसाकर नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। भाकियू नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि किसानों की समस्याओं को जिला प्रशासन ने अनदेखा किया और लापरवाही के साथ उनका उत्पीड़न किया गया तो उग्र आंदोलन किया जायेगा।
सोमवार को पूर्व घोषित कार्यक्रम के चलते भाकियू कार्यकर्ता टोपी, झण्डा और झण्डा लेकर जुलूसों के रूप में कलेक्ट्रेट पहंुचने लगे थे। वहां पर भाकियू पदाधिकारियों ने धरना प्रदर्शन का पूरा प्रबंध पुलिस अफसरों के सामने ही किया। वहां पर लाउड स्पीकर भी दूर तक लगाया गया और डीएम कार्यालय पर किसानों का जमावडा सवेरे से ही शुरू हो गया था। भाकियू शीर्ष हाईकमान ने किसानों की समस्याओं को लेकर 17 फरवरी को कलेक्ट्रेट में घेरा डालो डेरा डालो आंदोलन का ऐलान किया था। इसी कड़ी में आज भाकियू के बैनर तले पूरे जिले से किसान कलेक्ट्रेट स्थित डीएम कार्यालय पर एकत्र हुए। यहां भाकियू नेताओं ने जनपद में किसानों के साथ हो रहे दोयम दर्जे के व्यवहार, उत्पीड़न और अन्य समस्याओं को उठाया।
भाकियू के धरने को देखते हुए जिला प्रशासन ने भी पुख्ता प्रबंध किये थे। रामपुर तिराहा, शामली रोड, सुजडू चारौहा, महावीर चैक, प्रकाश चैक आदि पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। एसपी सिटी सतपाल अंतिल, एडीएम प्रशासन अमित सिंह, सिटी मजिस्ट्रेट अतुल कुमार कचहरी से लेकर महावीर चैक तक सुरक्षा बंदोबस्त का निरीक्षण करते रहे। इसके बावजूद भी पुलिस प्रशासन किसानों और भाकियू कार्यकर्ताओं को टैªक्टर ट्राली सहित कलेक्ट्रेट पहुंचने से रोकने में नाकाम साबित रहा। किसानों ने डीएम कार्यालय परिसर में ही ट्रैक्टर घुसा दिये और पुलिस की सारी किलेबंदी को ध्वस्त करने में वह सफल नजर आये, जबकि कलेक्ट्रेट को पूरी तरह से छावनी में बदला गया था। वहां पर कई सीओ और थाना प्रभारियों के साथ पुलिस फोर्स व पीएसी बल के जवानों को तैनात किया गया था, लेकिन किसानों के सैलाब के समक्ष सारी व्यवस्था नाकाफी साबित रही। दोपहर के बाद भाकियू पदाधिकारी कार्यकर्ताओं के धरने पर पहुंचे। इस अवसर पर भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चै. राकेश टिकैत ने कहा कि जनपद के अधिकारियों को जनसमस्याओं से कोई भी सरोकार नहीं रहा है, यह अफसर केवल सरकार की चाटुकारिता में व्यस्त हैं। धरातल पर कोई काम नजर नहीं आता है, ये अधिकारी केवल अखबारों की सुर्खियां बनना पसंद कर रहे हैं। किसान अगर गन्ना लेकर मिल में जाता है तो ताजे गन्ने व पत्ती के नाम पर किसान की लुटाई हो रही है। तहसील में किसान जाता है तो हिस्सा प्रमाण पत्र व खसरा खतौनी के नाम पर किसान को लूटा जा रहा है। विरासत में दाखिल खारिज के मुकदमें व रजिस्ट्री में भी लूट हो रही है। कहीं पर भी बिना पैसे दिए कोई कार्य नहीं हो रहा है। प्रशासन की सारी व्यवस्था केवल कागजी हैं, 3 लाख तक के क्रेडिट कार्ड पर कोई चार्ज न होने के बावजूद किसानों पर चार्ज लगाये जा रहे हैं। सहकारिता में ऋणों में बन्दरबांट की जा रही है। प्रशासन को इन समस्याओं से कोई लेना-देना नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली के बिल में भारी गड़बड़ी की जा रही है ताकि संशोधन के नाम पर पैसा वसूला जा सके। गन्ना किसानों को भुगतान न मिलने के कारण किसान अपने आवश्यक कार्य शादी विवाह, बच्चों की फीस व बीमारी तक का ईलाज नहीं करा पा रहे हैं, लेकिन सरकार आज भी शुगर मिल मालिकों के पक्ष में खड़ी दिखाई दे रही है। सरकार अपने वादे के अनुसार 14 दिन में गन्ना भुगतान कराने में असफल रही है। ऐसी स्थिति में भाकियू चुप रहने वाली नहीं है। उन्होंने कहा कि किसान परेशान है, ऐसे में जब तक उसकी समस्याओं के समाधान पर शासन और प्रशासन स्तर पर विचार नहीं किया जाता है तो तब तक घर नहीं लौटेंगे। यह बड़ी लड़ाई है। यहां पर किसानों की समस्याओं के लिए प्रशासन को जवाबदेही मानते हुए जवाब देना ही होगा।
किसानों के आंदोलन को देखते हुए कार्यकर्ताओं में पूरा जोश नजर आया। रणसिंघा और हुक्के लेकर कार्यकर्ता डीएम कार्यालय पर पहुंचे। कुछ जुलूस ढोल के साथ धरने पर पहुंचे। आवास योजना में लाभ नहीं मिलने पर पहुंची महिलाएं भी इस धरने में शामिल रहीं। पुलिस और प्रशासनिक अफसरों ने भाकियू नेताओं से कई बार वार्ता की, लेकिन धरना चलता रहा।
धरने पर मुख्य रूप से राकेश टिकैत, मण्डल अध्यक्ष राजू अहलावत, जिलाध्यक्ष धीरज लाटियान, धर्मेन्द्र मलिक, गौरव टिकैत, ओमपाल मलिक, शाहिद आलम, विकास कुमार, ओमकार सिंह, चेयरमैन जहीर फारूकी, अमरजीत, कपिल सोम, विकास शर्मा, कुशलवीर सिंह, मांगेराम त्यागी, सतेन्द्र ठाकुर सहित सैंकडों किसान शामिल रहे।
ट्रैक्टरों से पटा कलेक्ट्रेट, निषेधाज्ञा की उड़ी धज्जियां
मुजफ्फरनगर। भारतीय किसान यूनियन के घेरा डालो, डेरा डालो आंदोलन को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने पूरा इंतजाम किया था, लेकिन जब किसानों ने पूरे जिले से शहर के अलग अलग रास्तों से गुजरते हुए कलेक्ट्रेट में प्रवेश करना शुरू किया तो सारे इंतजाम बौने साबित होने लगे। जिस समय किसानों ने डीएम कार्यालय में ट्रैक्टर घुसाया, उस दौरान वहां एसपी सिटी सतपाल, एडीएम प्रशासन अमित सिंह, सिटी मजिस्ट्रेट अतुल कुमार, डिप्टी कलक्टर विनोद कुमार के साथ ही चार सीओ बुढ़ाना, सदर, जानसठ और नई मण्डी पूरी फोर्स के साथ मौजूद थे। ट्रैक्टर अंदर लाने के लिए पुलिस अफसरों की किसानों के साथ हल्की झड़प भी हुई, लेकिन किसानों के जोर के आगे किसी की ना चली। कहने को जिले में धारा 144 लागू है, लेकिन आज कलेक्ट्रेट में ऐसा कुछ भी नजर नहीं आया। किसान बैखौफ अपने वाहनों के साथ डीएम कार्यालय तक पहुंचे और डेरा डालकर बैठ गये।
प्रकाश चैक पर दिया धरना, शिव चैक तक लगा जाम
मुजफ्फरनगर। जिला मुख्यालय पर किसानों का प्रदर्शन होने के कारण शहर की रोजमर्रा की व्यवस्था पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। जाम से परेशान शहर को भयंकर समस्या से जूझना पड़ा। डीएम कार्यालय पर धरने पर जाते समय सैंकड़ों किसान प्रकाश चैक पर ही धरने पर बैठ गये। वहां भारी पुलिस बल होने के बाजवूद भी किसानों ने रोड जाम कर नारेबाजी की। काफी देर तक यह हंगामा चलता रहा। इस कारण प्रकाश चैक से महावीर चैक और शिव चैक भयंकर जाम की स्थिति पैदा हो गयी। स्कूलों से छुट्टी होने के कारण बच्चों के वाहन भी इस भयंकर जाम की चपेट में फंसे रहे।
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