रविवार, 28 जून 2020

श्रीकांत कपासिया ने किया गांव का नाम रोशन

मुजफ्फरनगर l ग्रामीण आंचल के छात्र श्रीकांत कपासिया द्वारा क्षेत्र में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने पर रालोद के प्रदेश प्रवक्ता ने गांव पहुंचकर छात्र को बधाई दी तथा उत्साह वर्धन किया।


 ग्रामीण प्रतिभा खोज के लिए गांव कासमपुर खोला बेहद लोकप्रिय है। यूपी बोर्ड में जनपद में चौथा स्थान प्राप्त करने वाला छात्र श्रीकांत कपासिया भी इस गांव का ही है। श्रीकांत के पिता किसान है। इटरमीडिएट में श्रीकांत ने मीरापुर क्षेत्र में सर्वाधिक 84.2 प्रतिशत अंक प्राप्त किए साथ ही हाईस्कूल के छात्र सुधांशु ने गांव में सर्वाधिक अंक 82.16 प्रतिशत प्राप्त कर गांव का नाम रोशन किया है। रविवार को *रालोद के प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक चौधरी* ने गांव कासमपुर खोला पहुंचकर विजेता छात्र श्रीकांत व सुधांशु का माल्यापर्ण किया तथा शुभकामनाऐं दी। इस मौके पर अभिषेक चौधरी ने कहा कि ग्रामीण आंचल के बच्चों में प्रतिभा की कमी नही हैं। यदि इन्हे सही मार्गदर्शन व आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं तो ये बहुत आगे जा सकते हैं। छात्र श्रीकांत ने बताया कि वह बीटेक कर आईईएस बनना चाहता है। बता दें कि इस गांव के अधिकांश युवक सरकारी नौकरी कर रहे हैं तथा गांव के युवाओं को पढ़ाई के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए युवा जाग्रति मंच बनाकर गांव में लाईब्रेरी की स्थापना कर चुके हैं। छात्र सुधांशु ने बताया कि गांव में लाईब्रेरी बनने से उनकी पढाई की राह आसान हो गई हैं। दोनो छात्रों ने जीत का श्रेय अपने माता पिता व गुरूजनों को दिया है। इस मौके पर मदनपाल सिंह, मनोज, भवंर सिंह, मंगल सिंह, रोहिल कुमार, राजबीर सिंह, टीनू शर्मा, कृष्ण, जयविन्द्र, रजनीश व हैप्पी आदि मौजूद रहे।


15 नए कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद शामली में सनसनी इनमें सभासद और पुलिस कर्मी भी

शामली l जिलाधिकारी जसजीत कौर ने बताया कि आज 15 नये कोरोना पॉजिटिव बाकी रिपोर्ट प्राप्त हुई है। इसके अतिरिक्त आज 08 मरीज ठीक होने पर डिस्चार्ज कर दिया गया इस प्रकार जनपद में एक्टिव कोरोना पॉजिटिव की सख्यां 34 हो गई है।इनमें एक सभासद तथा उनके परिजन भी शामिल है। इसके अलावा 4 पुलिसकर्मियों के भी कोरोना पॉजिटिव मिलने की सूचना है, मगर इसकी अभी पुष्टि नहीं हुई है। जिलाधिकारी जसजीत कौर ने 15 मरीज मिलने की पुष्टि करते हुए कहा है कि यदि इन मरीजों से संबंधित क्षेत्रों को अब तक सील नहीं किया गया है, तो उन्हे सील करने की कार्यवाही की जाएगी।


जिलाधिकारी जसजीत कौर ने बताया कि जिले में आज 15 नए कोरोना मरीज मिले हैं, जिनमें एक सभासद एवं उनके परिवार के लोग भी शामिल है। उन्होनें बताया कि आज मिले लगभग सभी मरीज पूर्व में कोरोना पॉजिटिव पाए गए लोगों के संपर्क के ही है। जनपद में आज 8 मरीज ठीक भी हो गए हैं, जिसके बाद अब जनपद में कुल एक्टिव मरीजों की संख्या 34 हो गई है। जिलाधिकारी जसजीत कौर ने कहा है कि यदि इन मरीजों से संबंधित क्षेत्रों को अब तक सील नहीं किया गया है, तो उन्हे सील करने की कार्यवाही की जाएगी। आज जो लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं उनमें चार पुलिसकर्मी व उनके परिजन भी शामिल बताए जा रहे हैं, लेकिन इसकी अभी पुष्टि नहीं हो पा रही है।


इधर मुजफ्फरनगर में आज 18 कोरोना पॉजिटिव को ठीक होने के बाद छुट्टी दे दी गई ।मुज़फ्फरनगर बेगराजपुर मेडिकल कॉलेज से आज 18 संक्रमित लोगों को उपचार के बाद ठीक होने पर डिस्चार्ज किया गया है। 


मास्क लगाओ अभियान के तहत एडीएम प्रशासन व सिटी मजिस्ट्रेट ने किया जागरूक

टीआर ब्यूरो l


मुज़फ्फरनगर l शहर में मास्क लगाओ अभियान प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा चलाया जा रहा है इस दौरान आज एडीएम प्रशासन अमित कुमार सिंह, सिटी मजिस्ट्रेट अतुल सिंह एवं शहर कोतवाल अनिल कपरवान अपनी टीम के साथ बाजार में लोगों को मास्क लगाने के लिए जागरूक करते हुए नजर आए तथा कुछ दुकानदारों को मांस ना लगाने पर अपर जिलाधिकारी प्रशासन अमित कुमार सिंह व सिटी मजिस्ट्रेट अतुल कुमार सिंह ने डांट भी लगाई बोला कि इस महामारी के चलते बाजार के सभी दुकानदारों  से  यह आग्रह किया गया था कि सभी दुकानदार मुंह पर मास्क वह दुकान के फ्रंट पर सैनिटाइज की बोतल अवश्य रखेंगे


अस्थि विसर्जन के लिए हरिद्वार में 24 घंटे रुकने की अनुमति

हरिद्वार l गंगा में अस्थि विसर्जन के लिए आने वाले लोगोंके लिए राहत की खबर है। गंगा सभा के पदाधिकारियों और अस्थि विसर्जन के लिए बाहर से आने वाले लोगों की असुविधा को देखते हुए डीएम ने आज से नई व्यवस्था लागू की है। इसके तहत, अस्थि विसर्जन के लिए हरिद्वार आने वाले लोग अगर चाहेंगे तो अधिकतम 24 घंटे तक यहां प्रवास कर सकेंगे।


इस बार पित्र पक्ष के एक माह बाद शुरू होंगे नवरात्र

 


हर साल हम सब श्राद्ध के अगले दिन से नवरात्रि की पूजा शुरू हो जाती है। और कलश स्थापना से लेकर प्रथम देवी की अर्चना शुरू हो जाती है। लेकिन इस साल ऐसा नहीं हो रहा है। इस बार श्राद्ध समाप्त होते ही अधिकमास लग जाएगा। अधिकमास लगने से नवरात्रि 20-25 दिन आगे खिसक जाएंगे। इस साल दो महीने अधिकमास लग रहे हैं।


दरअसल लीप वर्ष होने के कारण ऐसा हो रहा है। इसलिए इस बार चातुर्मास जो हमेशा चार महीने का होता है, इस बार पांच महीने का होगा। ज्योतिष की मानें तो 160 साल बाद लीप ईयर और अधिकमास दोनों ही एक साल में हो रहे हैं। चतुर्मास लगने से विवाह, मुंडन, कर्ण छेदन जैसे मांगलिक कार्य नहीं होंगे। इस काल में पूजन पाठ व्रत उपवास और साधना का विशेष महत्व होता है। । इस दौरान देव सो जाते हैं। देवउठनी एकादशी के बाद ही देव जागते हैं। 


इस साल 17 सितंबर 2020 को श्राद्ध खत्म होंगे। इसके अगले दिन अधिकमास शुरू हो जाएगा, जो 16 अक्टूबर तक चलेगा। इसके बाद 17 अक्टूबर से नवरात्रि व्रत रखें जाएंगे। इसके बाद 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी होगी। जिसके साथ ही चातुर्मास समाप्त होंगे। इसके बाद ही शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन आदि शुरू होंगे।


 


विष्णु भगवान के निद्रा में जाने से इस काल को देवशयन काल माना गया है। चतुर्मास में नकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं। इस मास में दुर्घटना, आत्महत्या आदि जैसी घटनाओं की अधिकता होती है। दुर्घटनाओं से बचने के लिए मनीषियों ने चतुर्मास में एक ही स्थान पर गुरु यानी ईश्वर की पूजा करने को महत्व दिया है। इससे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।


ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु चार माह के लिए क्षीरसागर में योग निद्रा पर निवास करते हैं। इस दौरान ब्रह्मांड की सकारात्मक शक्तियों को बल पहुंचाने के लिए व्रत पूजन और अनुष्ठान का भारतीय संस्कृत में अत्याधिक महत्व है। सनातन धर्म में सबसे ज्यादा त्यौहार और उल्लास का समय भी यही है। चतुर्मास के दौरान भगवान विष्णु की पूजा होती है।


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भामा शाह जो बन गये दान और देश प्रेम की मिसाल

28 जून/जन्म-दिवस


*अनुपम दानी : भामाशाह*


 


दान की चर्चा होते ही भामाशाह का नाम स्वयं ही मुँह पर आ जाता है। देश रक्षा के लिए महाराणा प्रताप के चरणों में अपनी सब जमा पूँजी अर्पित करने वाले दानवीर भामाशाह का जन्म अलवर (राजस्थान) में 28 जून, 1547 को हुआ था। उनके पिता श्री भारमल्ल तथा माता श्रीमती कर्पूरदेवी थीं। श्री भारमल्ल राणा साँगा के समय रणथम्भौर के किलेदार थे। अपने पिता की तरह भामाशाह भी राणा परिवार के लिए समर्पित थे।


एक समय ऐसा आया जब अकबर से लड़ते हुए राणा प्रताप को अपनी प्राणप्रिय मातृभूमि का त्याग करना पड़ा। वे अपने परिवार सहित जंगलों में रह रहे थे। महलों में रहने और सोने चाँदी के बरतनों में स्वादिष्ट भोजन करने वाले महाराणा के परिवार को अपार कष्ट उठाने पड़ रहे थे। राणा को बस एक ही चिन्ता थी कि किस प्रकार फिर से सेना जुटाएँ,जिससे अपने देश को मुगल आक्रमणकारियों से चंगुल से मुक्त करा सकंे।


इस समय राणा के सम्मुख सबसे बड़ी समस्या धन की थी। उनके साथ जो विश्वस्त सैनिक थे, उन्हें भी काफी समय से वेतन नहीं मिला था। कुछ लोगों ने राणा को आत्मसमर्पण करने की सलाह दी; पर राणा जैसे देशभक्त एवं स्वाभिमानी को यह स्वीकार नहीं था। भामाशाह को जब राणा प्रताप के इन कष्टों का पता लगा, तो उनका मन भर आया। उनके पास स्वयं का तथा पुरखों का कमाया हुआ अपार धन था। उन्होंने यह सब राणा के चरणों में अर्पित कर दिया। इतिहासकारों के अनुसार उन्होंने 25 लाख रु. तथा 20,000 अशर्फी राणा को दीं। राणा ने आँखों में आँसू भरकर भामाशाह को गले से लगा लिया।


राणा की पत्नी महारानी अजवान्दे ने भामाशाह को पत्र लिखकर इस सहयोग के लिए कृतज्ञता व्यक्त की। इस पर भामाशाह रानी जी के सम्मुख उपस्थित हो गये और नम्रता से कहा कि मैंने तो अपना कर्त्तव्य निभाया है। यह सब धन मैंने देश से ही कमाया है। यदि यह देश की रक्षा में लग जाये, तो यह मेरा और मेरे परिवार का अहोभाग्य ही होगा। महारानी यह सुनकर क्या कहतीं, उन्होंने भामाशाह के त्याग के सम्मुख सिर झुका दिया।


उधर जब अकबर को यह घटना पता लगी, तो वह भड़क गया। वह सोच रहा था कि सेना के अभाव में राणा प्रताप उसके सामने झुक जायेंगे; पर इस धन से राणा को नयी शक्ति मिल गयी। अकबर ने क्रोधित होकर भामाशाह को पकड़ लाने को कहा। अकबर को उसके कई साथियों ने समझाया कि एक व्यापारी पर हमला करना उसे शोभा नहीं देता। इस पर उसने भामाशाह को कहलवाया कि वह उसके दरबार में मनचाहा पद ले ले और राणा प्रताप को छोड़ दे; पर दानवीर भामाशाह ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया। इतना ही नहीं उन्होंने अकबर से युद्ध की तैयारी भी कर ली। यह समाचार मिलने पर अकबर ने अपना विचार बदल दिया।


भामाशाह से प्राप्त धन के सहयोग से राणा प्रताप ने नयी सेना बनाकर अपने क्षेत्र को मुक्त करा लिया। भामाशाह जीवन भर राणा की सेवा में लगे रहे। महाराणा के देहान्त के बाद उन्होंने उनके पुत्र अमरसिंह के राजतिलक में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी। इतना ही नहीं, जब उनका अन्त समय निकट आया, तो उन्होंने अपने पुत्र को आदेश दिया कि वह अमरसिंह के साथ सदा वैसा ही व्यवहार करे, जैसा उन्होंने राणा प्रताप के साथ किया है।


 


सिरफिरे प्रेमी ने युवती व उसके पिता को गोली से भूना

मेरठ। शनिवार देर रात टीपीनगर की शिवपुरम कॉलोनी में  युवक ने अपने मौसेरे भाई के साथ मिलकर युवती, उसके पिता और भाई पर गोलियां बरसा दीं। युवती की मौके पर मौत हो गई, उसके पिता ने अस्पताल ले जाते हुए दम तोड़ दिया। वहीं, भाई की हालत भी गंभीर है।


शहर के शिवपुरम कॉलोनी निवासी आंचल की दो दिन बाद शादी थी। रात में घर पर गीत-संगीत चल रहा था। मोहल्ले में अपनी मौसी के घर रहने वाला सागर नामक युवक आंचल से एकतरफा प्यार करता था। सागर ने मौसेरे भाई अंकित के साथ मिलकर देर रात करीब 12 बजे आंचल के घर पर हमला कर दिया। हथियारों से लैस सागर ने सबसे पहले आंचल के सीने में गोली मार दी। इसके बाद तमंचा लोड कर एक और गोली उसे मारी।


बीच-बचाव में आए आंचल के पिता राजकुमार और भाई रमन को भी आरोपियों ने गोलियां मारी और हवाई फायर करते हुए फरार हो गए। वारदात के बाद पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन तब तक आंचल की मौत हो चुकी थी। राजकुमार और रमन को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन रास्ते में राजकुमार की मौत हो गई। रमन की हालत गंभीर है।


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