छह अक्टूबर 2025 दिन सोमवार को शरद पूर्णिमा उपवास तथा उजागर शरद पूर्णिमा लक्ष्मी इंद्र पूजा की जाएगी स्नान दानार्थ पूर्णिमा 07 अक्टूबर 2025 को रहेगी।
*दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसंभवम्।*
*नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुटभूषणम्।।*
*पूर्णिमा को अर्ध रात्रि में लक्ष्मी–इंद्र का पूजन करते हैं वह सभी कोजागर लक्ष्मी इंद्र पूजा 06 अक्टूबर 2025 को करेंगे। स्नान दानार्थ पूर्णिमा 07 अक्टूबर 2025 को होगी।*)
हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहते है जिसके उच्चारण से ही शरद ऋतु के आगमन का सकेंत मिलता है। धार्मिक मान्यतानुसार इस दिन चंद्रदेव सोलह कलाओं से परिपूर्ण होते है। सोलह कलाएं कौन सी होती हैं इससे भी आपको अवगत करा देती हूं- उपनिषदों के अनुसार 16 कलाओं से युक्त व्यक्ति ईश्वर तुल्य होता है। जो व्यक्ति मन और मस्तिष्क से अलग रह कर बोध करने लगता है वही 16 कलाओं में गति कर सकता है। चंद्रमा की सोलह कलाएं-अमृत, मनदा, पुष्प, पुष्टि, तुष्टि, ध्रुति, शाशनी, चंद्रिका, कांति, ज्योत्सना, श्री, प्रीति, अंगदा, पूर्ण, पूर्णामृत व स्वरूपवस्थित हैं।
शरद पूर्णिमा को समुद्र मंथन से श्री महालक्ष्मी और अमृत कलश, शरद धन्वंतरी देवता प्रकट हुवे थे। मां लक्ष्मी के प्राकट्य के उपरांत उनका भगवान श्री विष्णु से पुनः विवाह हुआ था।
हिन्दू धर्मानुसार शरद पूर्णिमा से कार्तिक पूर्णिमा तक प्रतिदिन सायंकाल आकाशदीप प्रज्वलित करने का प्रचलन है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा से आकाशदीप जलाने व दीपदान करने से दुख, दारिद्र्य दूर होते है।
*शरद पूर्णिमा पर शुभ योग*
07 अक्टूबर 2025 को स्नान दानार्थ पूर्णिमा पर सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि योग, ध्रुव योग जैसे विशेष योग का निर्माण हो रहा हैं, जो कि शरद पूर्णिमा को और भी विशेष बनाता है।
*तिथि और शुभ मुहूर्त*-
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ 06 अक्टूबर 2025 दिन सोमवार अपराह्न 12:25 से 07 अक्टूबर 2025 दिन मंगलवार प्रातः 09:18 तक। 06 अक्टूबर 2025 अभिजीत मुहूर्त 11:42 से 12:32 ।
*पूजा विधि एवं उपाय*
नित्य कर्म से निवृत्त होकर घर को स्वच्छ करने के उपरांत घर में गंगाजल का छिड़काव करें व गंगाजल से स्नान करें शरद पूर्णिमा के अवसर पर नदी में स्नान करना भी शुभ माना जाता है। उपवास का संकल्प लें। पूजा गृह में दीप प्रज्वलित करें चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी और श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापित करें। रोली, कुमकुम, अक्षत, पीले पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, भेंट अर्पित करें। अखंड ज्योति जलाएं।
भगवान विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें, श्रीकृष्ण मधुराष्टकम का पाठ भी कर सकते हैं सत्यनारायण की कथा पढ़ें।
इसके अतिरिक्त जिन जातकों का चंद्रमा क्षीण हो, कमजोर स्थिति में हो या फिर नीच का हो ऐसे जातक यदि इस मंत्र का जाप करेंगे तो अति लाभ होगा-
*ॐ चं चंद्रमस्यै नम:*।
जिन जातकों को धन से संबंधित परेशानी हो वह देवी लक्ष्मी के इस मंत्र का जप करें-
*ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः*।
*उपाय*
1- शरद पूर्णिमा तिथि पर चावल की खीर बनाकर चंद्रमा की किरणों में खुले आसमान के नीचे रखकर अगले दिन प्रात काल प्रसाद रूप में ग्रहण करने से स्वास्थ्य लाभ होता है क्यों कि शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की किरणें विशेष गुणकारी व औषधियुक्त होती है।
2- सफल दाम्पत्य जीवन के लिए पूर्णिमा को पति-पत्नी को चंद्रदेव को दूध का अर्ध्य देना चाहिए। इससे दाम्पत्य जीवन में मधुरता बनी रहती है।
3- जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा राहु, केतु या शनि से पीड़ित (ग्रहण) हो ऐसे जातकों को पूर्णिमा पर सफेद वस्तुओं का दान करना चाहिए जैसे दूध, दही, घी, चीनी, चावल, सफेद वस्त्र, भेंट आदि।
4 - जिन जातकों को सांस (अस्थमा) से संबंधित परेशानी हो ऐसे जातकों को शरद पूर्णिमा रात में खुले आसमान के नीचे बैठने से लाभ होता है।
5- शरद पूर्णिमा को मां लक्ष्मी का प्रादुर्भाव हुआ था इस दिन रात्रि में जागरण करने और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
6- शरद पूर्णिमा को कुमार पूर्णिमा भी कहते हैं जिन जातकों के विवाह में विलंब हो रहा हो वह यदि शरद पूर्णिमा का उपवास रखें तो विवाह शीघ्र संपन्न होगा।
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