उदयपुर। अनन्ता में हुए विद्या वैभव अर्न्तराष्ट्रीय शैक्षिक सम्मेलन में प्रवेन्द्र दहिया प्रधानाचार्य, होली चाइल्ड पब्लिक इण्टर कॉलेज, जडौदा, मुजफ्फरनगर एवं रीटा दहिया को ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों को राष्ट्रीय स्तर की नवाचार एवं उष्कृष्ट शिक्षा प्रदान करने पर विद्या वैभव अर्न्तराष्ट्रीय शैक्षिक सम्मेलन के डायरेक्टर श्रुतिधारा आर्य, राष्ट्रीय स्तर के शिक्षाविद कुलभूषण कैन, डॉ0 धीरज मेहरोत्रा, तेजेन्द्र पाल सिंह ओबराय, प्रमोद शर्मा द्वारा सम्मानित किया गया।
अर्न्तराष्ट्रीय शैक्षिक सम्मेलन का शुभारम्भ उदयपुर के डॉ0 लक्ष्यराज सिंह मेवाड, राजकुमारी जान्हवी कुमारी, भूटान के शिक्षाविद जमतशो, रिटायर्ड जनरल मेजर प्रमोद सहगल, रिटायर्ड लेफ्टिनेट सुरेन्द्र कुलकर्नी, मोरिसस शिक्षाविद मधुकर नारेन, श्रीलंका शिक्षाविद थेरेस अशांथी लकमली, हरदीप बक्शी ने किया।
सम्मेलन में डॉ0 लक्ष्यराज सिंह मेवाड ने बताया कि मेवाड का इतिहास संघर्ष, साहस और हजार सालों की दूरदर्शिता की मिसाल है। मैंने अपनी टीम के साथ 40 मिनट में 21 हजार 58 पौधों का बीजोरोपण कर गिनिज ऑफ वल्ड रिकॉर्ड बनाया है, मैं समाजसेवा एवं पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सात बार वल्ड ऑफ रिकॉर्ड प्राप्त किया है, इसी सन्दर्भ में हमें विद्यार्थियों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करके ग्लोबल वार्मिंग की समस्या के प्रति जागरूक करना है और अपने राष्ट्र के प्रति विद्यार्थियों में देशप्रेम की भावना जाग्रत करना शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
श्रुतिधारा आर्य ने बताया कि अर्न्तराष्ट्रीय शैक्षिक सम्मेलन देश-विदेशों के शिक्षाविदों के विचारों एवं नवाचारों को राष्ट्रीय स्तर पर विद्यालय एवं शिक्षकों तक पहुंचाना एवं जो शिक्षक राष्ट्र निर्माण में शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है, उन्हें सम्मानित करके हमें गर्व की अनुभूति होती है।
विद्या वैभव अर्न्तराष्ट्रीय शैक्षिक सम्मेलन में देश-विदेश के शिक्षाविदों ने स्कूलों में प्रोद्योगिकी अपनाने, सतत विकास लक्ष्यों को शिक्षा में शामिल करने, विद्यार्थियों के हित में नई टैक्नोलॉजी को अपनाने और शिक्षा में उसका एकीकरण करने, शिक्षा के लिए स्थायी भविष्य, विद्यार्थियों में मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने और विद्यार्थियों के अन्दर सांस्कृतिक मूल्यों का समावेश करने, शिक्षा को विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के लिए कैसे आनंदमय करने पर अपने बहुमूल्य विचार प्रदान करें, जिसमें कहा गया कि आज के समय में शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को नई -नई तकनीकों को अपनाकर ही वे अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्र को शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति की ओर ले जा सकते है।
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