शुक्रवार, 1 अगस्त 2025

मुजफ्फरनगर पॉजिटिव पेरेंटिंग वर्कशॉप का आयोजन स्टूडेंट्स को दिए गए सार्थक सुझाव

 


मुजफ्फरनगर। होली चाइल्ड पब्लिक इण्टर कॉलेज, जडौदा, मुजफ्फरनगर के सभागार में पोजिटिव पेरेटिंग वर्कशॉप का आयोजन किया गया। जिसमें अभिभावकों ने बढ-चढकर प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्यवक्ता संजय आहूजा, पूजा आहूजा, रीटा दहिया, आदित्य दहिया प्रधानाचार्य प्रवेन्द्र दहिया एवं अभिभावकों ने दीप प्रज्जवलित कर किया। 

 मुख्यवक्ता के रूप में लाइफ प्रशिक्षक एवं सफलता कोच संजय आहूजा ने अभिभावकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आप जिस व्यवहार को बच्चों को दिखायेगें, वही बच्चा दोहरायेगा, इसलिए आप बच्चों की खूबिया देखे अच्छे व्यवहार की तारीफ करें, उनकी गलतियों को नजरअंदाज करें, उनके व्यवहार में बुराईयाँ न देखे। हमें बच्चों को नहीं बल्कि वातावरण को सुधारना है। बच्चे के व्यवहार को बदलने की अपेक्षा बच्चे के वातावरण को बदले बच्चा अपने आप सुधर जायेगा। बच्चें को सुधारने पर ज्यादा ध्यान न देकर, खुद को सुधारने पर ध्यान देना चाहिए। घर का माहौल सुधरने पर बच्चा स्वयं ही सुधर जायेगा। जीवन बेहतर इंसान बनने के लिए मिला है, यदि मैं बेहतर बन गया तो मेरा परिवार स्वतः बेहतरीन बन जायेगा।

 उन्होंने आगे अपने सम्बोधन में कहा कि यदि हम अपनी भाषा को सुधारे तो बच्चों की भाषा स्वतः सुधर जायेगी, उनके अंदर अपने आप ही आत्मविश्वास बढ जायेगा। उन्होंने अभिभावकों को कुछ मुख्य बिन्दु के माध्यम से कहा कि आपका बच्चा आपकी भावनाओ को आइने की तरह प्रतिबिम्बित करता है अतः स्वयं दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करें आपका बच्चा भी अच्छा व्यवहार ही सीखेगा। ‘पहले कोई चीज खुद सीखनी पडती है, दिमाग दोहराने से सीखता है।

प्यार से सीखा दो तो वह जीवनभर अनुशरण करेगा, माता-पिता बैठकर टाइम-टेबिल बनाये प्रातः उठने से लेकर रात्रि को सोने तक का टाइम-टेबिल बनायें। इसमें सारी चीजे सभी बातों के लिए समय स्पष्ट करें। 

 इसी कडी में प्रधानाचार्य प्रवेन्द्र दहिया ने अभिभावकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि बच्चों का अनुपस्थित रहना उनकी पढाई को प्रभावित करता है। अगर अभिभावक समय-समय पर विद्यालय आकर अपने बच्चे के बारे में बातें नहीं करते है तो अभिभावक और अध्यापक के बीच दूरी बन जाती है, तो इसके लिए अभिभावकों को जागरूक होने के आवश्यकता है। यदि इण्टरमीडिएट तक बच्चों पर ध्यान दे लिया तो इण्टरमीडिएट के बाद समस्या का सामना नहीं करना पडता। बच्चों की छुट्टी और विद्यालय द्वारा निर्देशों के प्रति जागरूक रहें। बच्चा प्रतिदिन विद्यालय आ रहा या नहीं, विद्यालय से समय-समय पर पता करते रहें। 

 उन्होंने अपने आगे सम्बोधन में कहा कि अक्सर देखने में आया है कि जब बच्चे होमवर्क पूरा नहीं करते फिर बच्चे स्कूल आने से भी मन चुराते है। अभिभावक ध्यान दे कि जो चैप्टर अगले दिन कक्षा में पढाया जाना है बच्चा घर पर उसको पढ रहा है या नहीं। बच्चे का अपनी देख-रेख में होमवर्क पूरा कराये।  

 उन्होंने आगे कहा कि बच्चों को निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित करें इच्छे निर्णय लेने की क्षमता उन्हें जीवन में सफल बनायेगी। सभी की अपेक्षा है कि मेरे बच्चे जीवन में परेशानियों से लडने लायक बनें। जीवन में सफल होने के लिए दिनचर्या पर ध्यान दें। बच्चा 80 प्रतिशत घर से सीखता तथा 20 प्रतिशत बाहर से सीखता है। एक अवस्था में ईर्ष्या, क्रोध, चिडचिडापन आदि देखने का मिलता है, उनके इस व्यवहार के कारण को खोजे। दो बच्चों को बीच में कभी भी तुलना न करें। कोई भी विषय मुश्किल नहीं होता यदि उसे पर समझने की कोशिश की जाये, कमजोर विषय पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता होती है। आज के समय में बच्चों का मोबाइल से लगाव बहुत ज्यादा बढता जा रहा है बच्चों के सामने अभिभावक मोबाइल का ज्यादा प्रयोग न करें, उनके साथ समय व्यतीत करें। उनसे बातें करें, उनकी दिनभर के बातें सुने तथा रचनात्मक कार्यों में लगाये। 

 इसी कडी में पूजा आहूजा ने अभिभावकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि अभिभावक घर पर बच्चों को समय दे, बच्चे के सम्पर्क में रहे, बच्चे के व्यवहार को सुधारने के लिए बच्चों के साथ अपनी भागीदारी अवश्य रखे। वातावरण को बदले तो बदलाव जरूर आयेगा। बच्चे के व्यवहार में यदि परिवर्तन चाहते है तो उसके वातावरण को बदले, बच्चे का व्यवहार जरूर बदलेगा। आप इस ओर एक कदम जरूर उठाये क्योंकि वातावरण हमारे जीवन में अत्यन्त गहरा प्रभाव डालते है। 

 अंत में प्रधानाचार्य प्रवेन्द्र दहिया ने आये हुए सभी अभिभावकों एवं मातृशक्ति को धन्यवाद किया तथा अतिथियों सम्मान प्रतीक देकर उनका धन्यवाद करके कार्यक्रम का समापन किया।

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