*जै श्री कृष्ण+*
हम सिर्फ़ रुपये पैसों को ही लक्ष्मी समझते हैं और उसी को कमाने जोड़ने उसकी पूजा मे लगे रह जाते हैं।
धन जीवन के लिये सहायक हो सकता है लेकिन जीवन नही हो सकता है ।
शास्त्रो मे अष्ट लक्ष्मी का वर्णन आया है।
*1आद्य लक्ष्मी(कार्य का आरंभ कर निरंतर प्रयत्नशील रहना)*
*2 विद्या लक्ष्मी( ज्ञान होना और ज्ञान का सही उपयोग करने का ज्ञान होना)*
*3 सौभाग्य लक्ष्मी(सफ़लता के लिये कर्म के साथ सौभाग्य का होना)*
*4 अमृत लक्ष्मी (जो कार्य करे वो व्यर्थ न जावे वो वृद्धि को प्राप्त होवे)*
*5 काम लक्ष्मी(कुल का उद्धार करने वाली श्रेष्ठ संतान का होना)*
*6 सत्य लक्ष्मी(माया दुख रुपी कामना से मुक्त हो जीवन मे सत्य रुपी आनंद को पाना)*
*7 भोग लक्ष्मी (जो सन्सार मे सुविधा सुख मिले उसका सही तरीके से भोग कर पाना लाभ ले पाना)*
*8 योग लक्ष्मी(जिससे जीवन सार्थक सफ़ल उद्देश्यपूर्ण होवे उस स्थिती को प्राप्त करना)*
*इन आठ लक्ष्मी के बिना सिर्फ़ धन से ही जीवन पूरा नही होगा*
इन आठ रूपों मे लक्ष्मी का पूजन ही सच्चा पुजन है और इन आठो का आना लक्ष्मी का पूर्ण रूप में आना है ।
धन लक्ष्मी के दो रूप है *दृश्य( दिखाइ देने वाली)* और *भोग्य (जिसका भोग उपयोग कर सके)* हैं।
जो सिर्फ़ दिखने वाले पैसे के पीछे होते है उनके पास बहुत रुपय पैसे ही होते हैं लेकिन उसका भोग उपयोग नही कर पाते बस उसके चौकीदार ही रह जाते हैं ।
जो सदाचारी उद्यमी,मेहनत करने वाले दानशील जरूरत्मंदो की मदद करने वाले नम्र मीठा बोलने वाले, धन का सदुपयोग करने वाले स्त्री का सम्मान करने वाले उन्हे भोग्य लक्ष्मी की प्राप्ति होती है धन हो न हो फ़िर भी सब सुख भोगते है ।
दीपावली मे लक्ष्मी का उनके पति नारायण के साथ पुजा करना चाहिये अकेली लक्ष्मी का नही वर्ना लक्ष्मी अकेली आयगी तो अपने वाहन उल्लू मे बैठ के आयगी जो आपके लिये ठीक नही।
जब लक्ष्मी शांत आकार विष्णु के साथ गरुड मे बैठ के आएगी तब आपके चिंता रूपी सर्प को दुर करेगी। धन और शांति दोनो की प्राप्ति होगी ।
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