क्या दोनों डोज लगने के बावजूद प्रोटेक्शन नहीं?
डॉ कुमार ने कहा कि हाल-फिलहाल में वैक्सीन लगवा चुके लोगों की जो मौतें हुई हैं, उनकी पिछले साल से तुलना करें तो एक बात तो साफ है कि इस बार मृतकों की संख्या कम है। हमने फेज 3 ट्रायल्स में डेथ रेट 0% माना था मगर जमीन पर हालात अलग नजर आ रहे हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं। डॉ कुमार ने इशारा किया कि ऐसा हो सकता है कि दोनों डोज लगने के बाद जिनकी मौत हुई, उनमें पर्याप्त ऐंटीबॉडीज न बनीं हो या फिर इन स्ट्रेन्स के खिलाफ वैक्सीन असरदार न हो।
मेदांता के एक्सपर्ट ने जनता से अपील करते हुए कहा कि इसका मतलब यह नहीं कि वैक्सीन बेकार है। 100% प्रोटेक्शन नहीं है, लेकिन फिर भी मौत, गंभीर बीमारी से बचाने में काफी कारगर है। आज की तारीख में यह हमारा सबसे मजबूत हथियार है। आज से करीब एक-डेढ़ महीने पहले तक, जब देश में कोरोना की दूसरी लहर नहीं आई थी, तब तक भी यही माना जा रहा था कि वैक्सीन के दोनों डोज लगवाने के बाद वेंटिलेटर पर जाने, आईसीयू में भर्ती होने या फिर जान जाने की नौबत नहीं आती है। लेकिन यह धारणा अब बदल गई है। पिछले कुछ हफ्तों में देखा जा रहा है कि कई डॉक्टर, पत्रकार या फिर फ्रंट लाइन वर्कर्स जो वैक्सिनेटेड थे, उनकी स्थिति गंभीर हुई या फिर जान चली गई।
कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर में 250 से ज्यादा डॉक्टर्स की मौत हो चुकी है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के अनुसार, कुल 269 डॉक्टरों ने अपनी जान कोरोना क दूसरी लहर में गवाई है। इन सभी डॉक्टरों में सबसे ज्यादा जान गवाने वाले युवा डॉक्टर हैं। जिनकी उम्र 30 से 55 साल तक के बीच की थी।
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