इलाहाबाद ।हाईकोर्ट ने कोरोना संक्रमण के कारण उत्पन्न हो रही गम्भीर स्थिति के दौरान पंचायत चुनाव कराने के तरीके पर नाराजगी जताते हुए कहा कि जब प्रदेश सरकार को कोरोना की दूसरी लहर के घातक परिणाम का अंदाजा था। इसके बावजूद भी कोई योजना नहीं बनाई गई। जिस तरह पंचायत चुनाव कराए जा रहे हैं । अध्यापकों व सरकारी कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी के लिए मजबूर किया जा रहा है।
लोक स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर पुलिस को र्पोंलग बूथों पर भेज दिया गया । यह ठीक नहीं है चुनाव कराने वाले अधिकारियों को भी पता है कि लोगों को एक.दूसरे से दूर रखने का कोई तरीका नहीं है। ऐसे आयोजकों के खिलाफ महामारी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाए। खंडपीठ ने कहा कि सरकार के लिए सिर्फ अर्थ व्यवस्था मायने रखती है। खाने.पीने की चीजों से भरी किराना की दुकानें या बाइक और कार से भरे शोरूम हैं लेकिन दवा की दुकानें खाली हैं। रेमडिसिवर जैसी जीवनरक्षक दवाएं नहीं मिल रही हैं तो वे दुकान व शोरूम किसी काम के नही है। कोर्ट ने प्रदेश में वर्तमान स्वास्थ्य सुविधाओं को अपर्याप्त बताते हुए कहा कि प्रयागराज व लखनऊ जैसे शहरों में ही रोजाना 500 से एक हजार मरीजों को अस्पताल ले जाने की जरूरत पड़ रही है। वर्तमान स्वास्थ्य सुविधाएं 0ण्5 प्रतिशत आबादी की आवश्यकता हो पूरी कर सकती हैं।
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