नरेश सिंह टिकैत ने कहा कि सरकार अपनी जिद छोड़े क्योंकि जनता को परेशान करने से कुछ हासिल नहीं होगा। जनता ही उसकी जान है। उन्होंने कृषि कानूनों को समाप्त करने की मांग के सवाल पर कहा कि यह मेरी मांग नहीं मेरा हक है। कृषि सुधार कानूनों के नाम पर किसानों को बर्बाद करने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री किसानों के इतने ही हितैषी होते तो तीन माह से आंदोलन न चल रहा होता। सवा दौ सौ किसान शहीद न होते। उन्होंने कहा कि किसानों को खालिस्तानी, पाकिस्तानी आतंकवादी बताकर प्रधानमंत्री अपनी गरिमा न खोएं। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री जी अच्छे राजा व शासक की तरह बात करें, हम बातचीत से पीछे नहीं हैं । उन्होंने मीडिया पर भी एकतरफा रिपोर्टिंग के आरोप लगाए और कहा कि ये नहीं किया जाना चाहिए।
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