मुजफ्फरनगर। आर्य समाज के संस्थापक, महान समाज सुधारक एवं युग प्रवर्तक महर्षि दयानंद सरस्वती की जयंती पर यज्ञ में आहुतियां अर्पित कर वेदों के ज्ञान ज्योत्ति घर-घर में जलाने का आह्वान किया गया।
संतोष विहार में वैदिक संस्कार चेतना केंद्र पर महर्षि दयानंद सरस्वती की 197वीं जयंती मनाई गई। वेदमन्त्रों से यज्ञ में आर्यजनों ने आहुति दी। वैदिक संस्कार चेतना अभियान संयोजक आचार्य गुरुदत्त आर्य ने कहा कि महाभारत के बाद ऋषि दयानंद जैसा वेदों का प्रकांड विद्वान भारत में नहीं जन्मा है, जिन्होंने पाखंड, अंधविश्वास के खिलाफ वेदों की ओर लौटो का आह्वान किया था। ऋषि की प्रेरणा से आजादी आंदोलन में लोगो ने बलिदान दिए। उन्होंने स्त्री शिक्षा, अछूतोउद्धार, गौ-हत्या प्रतिबंध पर देशव्यापी आंदोलन चलाया। युवा चरित्र निर्माण और ब्रह्मचर्य के लिए महर्षि के सिद्धांतों, आदर्शों पर चले। आर.पी.शर्मा ने महर्षि के प्रेरक प्रसंग सुनाए। पुरोहित राजपाल आर्य मेदपुर को आचार्य गुरुदत्त आर्य ने शॉल और सम्मान राशि भेंट की। आंनद पाल सिंह आर्य, आर.पी.शर्मा, मंगत सिंह आर्य, मास्टर सोम पाल सिंह आर्य, राजेंद्र प्रसाद, पूर्व बीईओ सहदेव सिंह आर्य, यशपाल सिंह मलिक, योगेश्वर दयाल, डॉ. सतीश कुमार आर्य आदि मौजूद रहे।
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