लखनऊ। उत्तर प्रदंेश सरकार ने हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में यह स्वीकार किया कि सहायक शिक्षक भर्ती-2019 की चयन सूची में विसंगतियां हैं। सरकार ने कोर्ट से यह भी कहा कि विसंगतियों को लेकर एनआइसी से जवाब मांगा गया है। एनआईसी का जवाब मिलने के बाद जरूरी कार्रवाई की जाएगी। प्रदेश सरकार की तरफ से यह भी पक्ष रखा गया कि 31277 पदों पर भर्तियों का सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन एसएलपी में पारित आदेश के तहत पुनरावलोकन किया जा सकता है। न्यायमूर्ति मनीष कुमार ने सरकार द्वारा जवाब दाखिल किए जाने के बाद कहा कि याची पंकज यादव की याचिका पर कोई आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है। याचिका में कहा गया था कि बेसिक शिक्षक भर्ती-2019 में याची से कम अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग के लिए बुलाया गया पर अधिक अंक होते के बाद भी उसका नाम घोषित की गई चयन सूची में नहीं है और न उसे काउंसिलिंग के लिए बुलाया गया।
याची के अधिवक्ता की दलील थी कि अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी में याची के क्वालिटी प्वाइंट मार्क्स 71.1 फीसदी हैं पर उसे काउंसिलिंग के लिए नहीं बुलाया गया। इसके विपरीत 68.78 फीसदी नंबर हासिल करने वालों को बुलाया गया, जो कि सही नहीं है। इस मामले में राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रणविजय सिंह ने कहा कि कम अंक पाने वाले अभ्यर्थी को नियुक्ति देने का कोई सवाल ही नहीं उठता और अगर कोई गलती हुई है, तो उसे सुधारा जाएगा।
मंगलवार, 10 नवंबर 2020
शिक्षक भर्ती में चयन में गडबडी सरकार ने स्वीकारी
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