मंगलवार, 25 अगस्त 2020

फरवरी-मार्च मार्च में हो सकते है त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव

टीआर ब्यूरो l


लखनऊ l उत्तर प्रदेश सरकार त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव कोरोना संकट की वजह से टालने जा रही है। इस पर गंभीरता से विचार हो रहा है। यह संकेत मंगलवार को उच्च पदस्थ सूत्रों ने दिए। कोरोना के मद्देनजर प्रदेश सरकार पंचायत चुनाव फिलहाल छह महीने तक स्थगित करेगी। इस बाबत जल्द ही अंतिम निर्णय कर घोषणा की जाएगी। अगर हालात ठीक रहे तो छह महीने बाद प्रधानी के चुनाव होंगे।



सियासी दल जुटे थे तैयारी में


ऐसा तब है जबकि कमोवेश सभी सियासी दलों ने अपने-अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को पंचायत चुनाव में तैयारी करने को कहा था। भाजपा के साथ ही बसपा और अपना दल के बड़े नेताओं ने कार्यकर्ताओं को जुट जाने के निर्देश दिए थे। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने तो कार्यकर्ताओं से वर्चुअल संवाद कर पुख्ता तैयारी शुरू कर दी थी। अपना दल की अनुप्रिया पटेल ने भी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की थी। सरकार के फैसले से सियासी दलों की तैयारी को झटका लग सकता है।


 


ग्रामीण इलाकों में संक्रमण फैसले का खतरा


प्रदेश सरकार का मानना है कि चूंकि पंचायत चुनाव ग्रामीण इलाकों में होते हैं और सबसे ज्यादा भीड़-भाड़ होती है। ऐसे में कोरोना संक्रमण ग्रामीण इलाकों में भयंकर रूप ले सकता है। लिहाजा, तय किया गया है कि इसे फिलहाल टाल दिया जाए। इसके लिए प्रदेश सरकार सभी दलों के साथ समन्यव करने पर भी विचार कर रही है। सरकार का कहना है कि पंचायत चुनावों के चक्कर में ग्रामीणों की जान को खतरे में नहीं डाला जा सकता।


पंचायत चुनाव की पूरी तैयारी भी नहीं हो सकी थी:


प्रदेश में करीब 59 हजार ग्राम पंचायतें हैं जिनका कार्यकाल आगामी 25 दिसंबर को खत्म हो रहा है। उससे पहले यह चुनाव होने चाहिए थे, जिसके लिए की जाने वाली तैयारियां कोरोना संकट की वजह से लगातार पिछड़ती जा रही हैं। परिसीमन, वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण, बैलेट पेपर की छपाई, चुनाव सामग्री जुटाने आदि के लिए अब बहुत कम समय बचा है। 75 जिला पंचायतों का कार्यकाल अगले साल 25 जनवरी तक है और 821 क्षेत्र पंचायतों का कार्यकाल अगले साल 21 मार्च तक है। 


अगले साल मार्च में कराने की उम्मीद


अनुमान लगाया जा रहा है कि अब ग्राम पंचायतों, जिला पंचायतों व क्षेत्र पंचायतों के चुनाव अगले साल फरवरी-मार्च में एक साथ करवाए जा सकते हैं। राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारियों का कहना है कि पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने से लेकर छह महीने के भीतर कभी भी चुनाव करवाए जा सकते हैं।


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