बुधवार, 1 जुलाई 2020

आज का पंचांग तथा राशिफल 1 जुलाई 2020

आज


🌞 ~ *आज का पंचांग* ~ 🌞


⛅ *दिनांक 01 जुलाई 2020*


⛅ *दिन - बुधवार*


⛅ *विक्रम संवत - 2077 (गुजरात - 2076)*


⛅ *शक संवत - 1942*


⛅ *अयन - दक्षिणायन*


⛅ *ऋतु - वर्षा*


⛅ *मास - आषाढ़*


⛅ *पक्ष - शुक्ल* 


⛅ *तिथि - एकादशी शाम 05:29 तक तत्पश्चात द्वादशी*


⛅ *नक्षत्र - विशाखा 02 जुलाई रात्रि 02:34 तक तत्पश्चात अनुराधा*


⛅ *योग - सिद्ध दोपहर 11:18 तक तत्पश्चात साध्य*


⛅ *राहुकाल - दोपहर 12:31 से दोपहर 02:11 तक* 


⛅ *सूर्योदय - 06:01*


⛅ *सूर्यास्त - 19:23* 


⛅ *दिशाशूल - उत्तर दिशा में*


⛅ *व्रत पर्व विवरण - देवशयनी एकादशी, चतुर्मास व्रतारभ्म*


 💥 *विशेष - हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है lराम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।*


💥 *आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*


💥 *एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।*


💥 *एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र हानि होती है।*


💥 *जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।*


               🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞


 


🌷 *चतुर्मास एवं पुरुष सूक्त* 🌷


➡ *आषाढ़ शुक्ल एकादशी (01 जुलाई, बुधवार) से कार्तिक शुक्ल एकादशी (26 नवम्बर, गुरुवार) तक चातुर्मास है ।*


 🙏🏻 *चतुर्मास में भगवान श्रीविष्णु के योगनिद्रा में शयन करने पर जिस किसी नियम का पालन किया जाता है, वह अनंत फल देनेवाला होता है – ऐसा ब्रह्माजी का कथन है |*


🙏🏻 *जो मानव भगवान वासुदेव के उद्देश्य से केवल शाकाहार करके चतुर्मास व्यतीत करता है वह धनी होता है | जो प्रतिदिन नक्षत्रों का दर्शन करके केवल एक बार ही भोजन करता हैं वह धनवान, रूपवान और माननीय होता है | जो मानव ब्रह्मचर्य – पालनपूर्वक चौमासा व्यतीत करता हैं वह श्रेष्ठ विमान पर बैठकर स्वेच्छा से स्वर्गलोक जाता है |जो चौमासेभर नमक को छोड़ देता है उसके सभी पुर्तकर्म ( परोपकार एवं धर्मसम्बन्धी कार्य ) सफल होते है | जिसने कुछ उपयोगी वस्तुओं को चौमासेभर त्यागने का नियम लिया हो, उसे वे वस्तुएँ ब्राह्मण को दान करनी चाहिए | ऐसा करने से वह त्याग सफल होता है | जो मनुष्य नियम, व्रत अथवा जप के बिना चौमासा बिताता है वह मुर्ख है |*


🙏🏻 *जो चतुर्मास में भगवान विष्णु के आगे खड़ा होकर ‘पुरुष सूक्त’ का जप करता है, उसकी बुद्धि बढती है | -(स्कंदपुराण, नागर खंड, उत्तरार्ध )*


🙏🏻 *बुद्धि बढाने के इच्छुक पाठक और ‘बाल संस्कार केंद्र’ के बच्चे ‘पुरुष सूक्त’ से फायदा उठायें | आनेवाले दिनों में ‘बाल संस्कार केंद्र’ के बुद्धिमान बच्चे ही देश के कर्णधार होंगे |*


🌷 *पुरुष सूक्त* 🌷


🙏🏻 *(ऋग्वेद : १०-९०, यजुर्वेद : अध्याय – ३१ )*


🌷 *ॐ सहस्रशीर्षा पुरुष: सहस्त्राक्ष: सहस्त्रपात् |*


*स भूमिं विश्वतो वृत्वात्यतिष्ठद्दशांगुलम् || १||*


🙏🏻 *‘आदिपुरुष असंख्य सिर, असंख्य नेत्र और असंख्य पाद से युक्त था | वह पृथ्वी को सब ओर से घेरकर भी दस अंगुल अधिक ही था |’*


🌷 *पुरुष एवेदं सर्वं यदभूतं यच्च भाव्यम् |*


*उतामृतत्वस्येशानो यदन्नेनातिरोहति || २ ||*


🙏🏻 *‘यह जो वर्तमान जगत है, वह सब पुरुष ही है | जो पहले था और आगे होगा, वह भी पुरुष ही है, क्योंकि वह अमृतत्व का, देवत्व का स्वामी है | वह प्राणियों के कर्मानुसार भोग देने के लिए अपनी कारणावस्था का अतिक्रम करके दृश्यमान जगतअवस्था को स्वीकार करता है, इसलिए यह जगत उसका वास्तविक स्वरूप नहीं है |’*


🌷 *एतावानस्य महिमातो ज्यायाँश्च पुरुष : |*


*पादोऽस्य विश्वा भूतानि त्रिपाद्स्यामृतं दिवि || ३ ||*


🙏🏻 *‘अतीत, अनागत एवं वर्तमान रूप जितना जगत है उतना सब इस पुरुष की महिमा अर्थात एक प्रकार का विशेष सामर्थ्य है, वैभव है, वास्तवस्वरूप नहीं | वास्तव पुरुष तो इस महिमा से भी बहुत बड़ा है | सम्पूर्ण त्रिकालवर्ती भूत इसके चतुर्थ पाद में हैं | इसके अवशिष्ट सच्चिदानन्दस्वरुप तीन पाद अमृतस्वरूप हैं और अपने स्वयंप्रकाश द्योतनात्मक रूप में निवास करते हैं |’*


🌷 *त्रिपादूर्ध्व उदैत्पुरुष: पादोऽस्येहाभवत् पुन: |*


*ततो विष्वं व्यक्रामत्साशनानशने अभि ||४ ||*


 *‘त्रिपाद पुरुष संसाररहित ब्रह्मस्वरूप है | वह अज्ञानकार्य संसार से विलक्षण और इसके गुण-दोषों से अस्पृष्ट है | इसका जो किंचित मात्र अंश माया में हैं वही पुन: -पुन: सृष्टि – संहार के रूप में आता – जाता रहता है | यह मायिक अंश ही देवता, मनुष्य, पशु, पक्षी आदि विविध रूपों में व्याप्त है | वही सभोजन प्राणी है और निर्भोजन जड़ है | सारी विविधता इस चतुर्थाश की ही है |’*


🌷 *तस्माद्विराळजायत विराजो अधि पुरुष: |*


*स जातो अत्यरिच्यत पश्चादभूमिमथो पुर: ||५ ||*


🙏🏻 *‘उस आदिपुरुष से विराट ब्रह्माण्ड देह की उत्पत्ति हुई | विराट देह को ही अधिकरण बनाकर उसका अभिमानी एक और पुरुष प्रकट हुआ | वह पुरुष प्रकट होकर विराट से पृथक देवता, मनुष्य, पशु, पक्षी आदि के रूप में हो गया | उसके बाद पृथ्वी की सृष्टि हुई और जीवों के निवास योग्य सप्त धातुओं के शरीर बने |’*


🌷 *ॐ यत्पुरुषेण हविषा देवा यज्ञमतन्वत |*


*वसन्तो अस्यासीदाज्यं ग्रीष्म इध्म: शरद्धवि: ||६ ||*


🙏🏻 *‘देवताओं ने उसी उत्पन्न द्वितीय पुरुष को हविष्य मानकर उसी के द्वारा मानस यज्ञ का अनुष्ठान किया | इस यज्ञ में वसंत ऋतू आज्य (घृत) के रूप में, ग्रीष्म ऋतू ईंधन के रूप में और शरद ऋतू हविष्य के रूप में संकल्पित की गयी |’*


*तं यज्ञं बर्हिषि प्रौक्षण पुरुषं जातमग्रत: |*


*तेन देवा अजयन्त साध्या ऋषयश्च ये || ७ ||*


🙏🏻 *‘वही द्वितीय पुरुष यज्ञ का साधन हुआ | मानस यज्ञ में उसीको पशु-भावना से युप (यज्ञ का खंभा) में बाँधकर प्रोक्षण किया गया, क्योंकि सारी सृष्टि के पूर्व वही पुरुषरूप से उत्पन्न हुआ था | इसी पुरुष के द्वारा देवताओं ने मानस याग किया | वे देवता कौन थे ? वे थे सृष्टि – साधन योग्य प्रजापति आदि साध्य देवता एवं तदनुकूल मंत्रद्रष्टा ऋषि | अभिप्राय यह है कि उसी पुरुष से सभीने यज्ञ किया |’*


🌷 *तस्माद्यज्ञात सर्वंहुत: संभृतं पृषदाज्यम् |*


*पशून ताँश्चक्रे वायव्यानारण्यान् ग्राम्याश्च ये || ८ ||*


🙏🏻 *‘इस यज्ञ में सर्वात्मक पुरुष का हवन किया जाता है | इसी मानस यज्ञ से दधिमिश्रित आज्य-सम्पादन किया गया अर्थात सभी भोग्य पदार्थों का निर्माण हुआ | इसी यज्ञ से वायुदेवताक आरण्य (जंगली) पशुओं का निर्माण हुआ | जो ग्राम्य पशु हैं, उनका भी |’*


🌷 *तस्माद्यज्ञात सर्वहुत ऋच: सामानि जज्ञिरे |*


*छन्दांसि जज्ञिरे तस्माद्यजुस्तस्मादजायत || ९ ||*


🙏🏻 *‘पूर्वोक्त सर्वहवनात्मक यज्ञ से ऋचाएँ और साम उत्पन्न हुए | उस यज्ञ से ही गायत्री आदि छन्दों का जन्म हुआ | उसी यज्ञ से यजुष (यजुर्वेद) की भी उत्पत्ति हुई |’*


🙏🏻 *तस्मादश्वा अजायन्त ये के चोभयादत: |*


*गावो ह जज्ञिरे तस्मात तस्माज्जाता अजावय: ||१० ||*


🙏🏻 *‘उस पूर्वोक्त यज्ञ से यज्ञोपयोगी अश्वों का जन्म हुआ | जीके दोनों ओर दाँत होते हैं, उनका भी जन्म हुआ | उसीसे गायों का भी जन्म हुआ और उसीसे बकरी – भेड़ें भी पैदा हुई |’*


🌷 *ॐ यत्पुरुषं व्यदधु: कतिधा व्यकल्पयन् |*


*मुखं किमस्य कौ बाहू का ऊरू पादा उच्येते ||११ ||*


🙏🏻 *‘जब द्वितीय पुरुष ब्रह्मा की ही यज्ञ – पशु के रूप में कल्पना की गयी, तब उसमें किस – किस रूप से, किस – किस स्थान से, किस – किस प्रकार विशेष से उसके अंग- उपांगों की भावना की गयी ? उसका मुख क्या बना ? उसके बाहू क्या बने ? तथा उसके ऊरू (जंघा) और पाद क्या कहे गये ?’*


🌷 *ब्राह्मणोंऽस्य मुखमासीद् बाहू राजन्य: कृत: |*


*ऊरू तदस्य यद्वैश्य: पदभ्यां शूद्रों अजायत || १२ ||*


🙏🏻 *‘इस पुरुष का मुख ही ब्राह्मण के रूप में कल्पित हैं | बाहू राजन्य माना गया हैं | ऊरू वैश्य है और चरण शुद्र हैं |’*


 *चन्द्रमा मनसो जातश्चक्षो: सूर्यो अजायत |*


*मुखादिन्द्रश्चाग्निश्च प्राणादवायुरजायत || १३ ||*


🙏🏻 *‘मन से चन्द्रमा, चक्षु से सूर्य, मुख से इंद्र तथा अग्नि और प्राण से वायु की कल्पना की गयी |’*


🌷 *नाभ्या आसीदन्तरिक्षं शीष्णॉ द्यौ: समवर्तत |*


*पदभ्यां भूमिर्दिश: श्रोत्रात्तथा लोकों अकल्पयन || १४ ||*


🙏🏻 *‘नाभि से अंतरिक्ष लोक, सिर से द्युलोक, चरणों से भूमि और श्रोत्र से दिशाएँ – इस प्रकार लोकों की कल्पना की गयी |’*


🌷 *सप्तास्यासन् परिधयस्त्रि: सप्त समिध: कृता: |*


*देवा यद्यज्ञं तन्वाना अबध्नन् पुरुषं पशुम् || १५ ||*


🙏🏻 *‘जब देवताओं ने अपने मानस यज्ञ का विस्तार करते हुए वैराज पुरुष (परमात्मा) को पशु के रूप में कल्पित किया, तब इस यज्ञ की सात परिधियाँ हुई और इक्कीस समिधाएँ |’*


🌷 *यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन् |*


*ते ह नाकं महिमान: सचन्त यत्र पूर्व साध्या: सन्ति देवा: ||१६||*


🙏🏻 *‘प्रजापति के प्राणरूप विद्वान देवताओं ने अपने मानस संकल्परूप यज्ञ के द्वारा यज्ञस्वरूप पुरुषोत्तम का यजन (आराधन, याग) किया | वही धर्म है सर्वश्रेष्ठ एवं सनातन, क्योंकि सम्पूर्ण विकारों को धारण करता हैं | वे धर्मात्मा भगवान के माहात्म्य, वैभव आदि से सम्पन्न होकर परमानंद-लोक में समा गये | वहीँ प्राचीन उपासक देवता विराजमान रहते हैं |’*


🙏🏻 ** 🌞


🙏🏻🌷🌻☘🌸🌹🌼🌺💐🙏🏻पंचक


8 जुलाई 


दोपहर 12.31 से 13 जुलाई प्रातः 11.15 बजे तक


4 अगस्त


 रात्रि 8.47 से 9 अगस्त सायं 7.05 बजे तक


 


एकादशी


बुधवार, 01 जुलाई देवशयनी एकादशी


गुरुवार, 16 जुलाई कामिका एकादशी


गुरुवार, 30 जुलाई श्रावण पुत्रदा एकादशी


 


प्रदोष


गुरुवार, 02 जुलै प्रदोष व्रत (शुक्ल)


शनिवार, 18 जुलै शनि प्रदोष व्रत (कृष्ण)


 


अमावस्या


20 जुलाई 2020 - सोमवार - श्रावण अमावस्या (हरियाली, सोमवती अमावस्या)


 


पूर्णिमा


आषाढ़ पूर्णिमा तिथि- 5 जुलाई- दिन रविवार


 


मेष - 


आज मन में असंतोष और नकारात्मक विचारों के कारण परेशानी हो सकती है। इसका सबसे अच्छा उपाय है क्रियाशीलता। जिस चीज़ में मन लगता हो, उससे अपना दिन शुरू करें। रचनात्मक विचारों को वास्तविकता में ढालने का प्रयास करें, इससे कार्य क्षेत्र में सफलता मिलेगी और निजी जीवन में भी संतुष्टि रहेगी। यात्रा का अवसर मिल सकता है। आज किसी भी काम की शुरुआत करने के लिए अच्छा दिन है।


 


वृष - 


आज के दिन आप खुद को थोड़ा थका हुआ महसूस कर सकते है। काम में मन नहीं लगेगा और आप खुद को थोड़ा हतोत्साहित भी महसूस कर सकते हैं। आप में ऊर्जा की थोड़ी कमी महसूस हो सकती है। लम्बे समय से चली आ रही परिस्थितियों में परिवर्तन आएगा जिस कारण मन में उदासी सी महसूस हो सकती है। परिवर्तन ही जीवन का नियम है, अच्छा या बुरा कुछ भी स्थायी नहीं है। लोगों और वस्तुओं से अपने आप को वियुक्त करें।


 


मिथुन 


आज का दिन मन में दुविधाएं बनी रह सकती हैं। किसी निर्णय को लेकर परेशान न हों, उसके बारे में पूरी जानकारी मिलने तक का इंतज़ार करें। अपने मन की आवाज़ अवश्य सुनें। आज अपने मूड स्विंग पर नियंत्रण रखें। आज भावनाओं की अधिकता रहेगी जिस कारण आज लिया हुआ निर्णय गलत भी हो सकता है। अपने गुस्से को शांत रखने का प्रयास करें। अपने आत्मविश्वास में आज कमी न होने दें।


 


कर्क - 


आज का दिन कुछ परेशानियों भरा हो सकता है। भविष्य के लिए आज कोई योजना न बनाएं, नहीं तो बाद में उसमे बहुत फेरबदल करने पड़ सकते हैं। आज पुरानी गलतियों के कारण परेशानी उठानी पड़ सकती है। किसी की बात अपने दिल पर न लें न ही उसके कारण अपने अहं को बढ़ने दें नहीं तो यह आपके लिए हानिकारक हो सकता है। इससे न केवल आपके रिश्तों पर असर पड़ेगा बल्कि आपकी सेहत भी खराब हो सकती है।


 


सिंह - 


आज का दिन आपके लिए नए अवसर लेकर आएगा। आज मन और मस्तिष्क में एक नई ऊर्जा बनी रहेगी, इसे उचित दिशा में लगाएं तो सफलता मिलेगी। आज अपना काम समय से करें, आज किसी प्रकार से भी टाल मटोल न करें नहीं तो यह आपको भारी पड़ सकता है। आए हुए अवसर हाथ से निकल सकते हैं। व्यसाय में अच्छा दिन रहेगा। किन्तु सावधानी बरतनी पड़ेगी नहीं तो आर्थिक नुकसान भी हो सकता है।


 


कन्या -


आज आपको अनजान लोगों से थोड़ा सावधान रहना होगा। ज्यादा लाभ या अन्य किसी लालच के चक्कर में आप अपना नुकसान करा सकते हैं। ऐसे लोगों से दूर रहें। अपना काम में फोकस बनाए रखें और अपना काम ईमानदारी से करते रहें, आपको किसी की बात से विचलित होने की आवश्यकता नहीं है। परिस्थिति का समय के साथ हल मिल जाएगा, जितना उसके लिए परेशान होंगे उतना ही अपने लिए बाधाएं उत्पन्न करेंगे।


 


तुला - 


आज का दिन आपके लिए नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलने और सकारात्मक विचारों के साथ आगे बढ़ने का है। दिन आपके लिए अच्छा रहेगा और शुभफल फलदायक भी साबित हो सकता है। जीवन में उन्नति के नए अवसर प्राप्त होंगे। इन्हें अपनाने से झिझक न करें। अपनी योग्यता पर शंका न करें। आपमें वो सभी गुण हैं तो आपको सफल होने के लिए चाहिए। अपने आप पर भरोसा रखें।


 


वृश्चिक - 


आज आप तनाव से बचें। चिंता किसी भी चीज़ का हल नहीं है। आपको बहुत से नए अवसर मिल रहे हैं जिनसे आपके जीवन में उन्नति होगी और अध्यात्मिक रूप से आपकी वृद्धि होगी। किसी की बात से यदि आप अब भी नाराज़ हैं तो उस व्यक्ति को माफ़ करने का प्रयास करें। किसी भी कार्य या रिश्ते में अत्यधिक प्रयास करने की बजाय उसे समय के साथ संभालने का मौका दें।


 


धनु - 


आज का दिन कार्यक्षेत्र से संबंधित स्थान परिवर्तन आपके लिए लाभकारी रहेगा। छोटी मोती परेशानियां आज लगी रहेंगी, इस कारण चिंतित न हों। इनसे आपको नुकसान नहीं होगा। निजी और व्यवसायी जीवन में आज ताल मेल बिठाने में कुछ कठिनाई हो सकती है। किसी के साथ छोटी सी बात पर झगडा हो सकता है आज, अपने गुस्से पर काबू रखें। बात को शांतिपूर्वक सुलझाने का प्रयास करें।


 


मकर - 


आज का दिन आपके लिए अधिकारिक या शासकीय सहायता से किसी काम के होने के योग बन रहे हैं। आपके लिए समय सुखद और सफलता देने वाला रह सकता है। सभी के लिए मन में विनम्रता की भावना रखें। इस समय आपको अपने कुछ कामों में असफलता जैसा आभास हो सकता है या आपको लग सकता है कि समय आपके लिए खराब है। लेकिन, घबराएं नहीं, ये बहुत छोटा समय है फिर परिस्थितियां आपके अनुकूल होंगी।


 


कुंभ -


आज का दिन आपके लिए अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों के निभाने का रह सकता है। व्यवसाय में नए अवसर मिलेंगे। आत्मविश्वास की कमी न होने दें। अगर कहीं उलझन लगे तो बड़ों की सलाह अवश्य लें। उन्नति और तरक्की के योग हैं। आज धन लाभ के अवसर मिलेंगे। कार्यक्षेत्र में फोकस की कमी रहेगी किन्तु आपकी ऊर्जा बहुत सुन्दर बनी हुई है। किसी एक्सपर्ट से सलाह कर अपनी ऊर्जा उचित दिशा में लगायेंगे तो बहुत जल्द अच्छे फल मिलेंगे।


 


मीन - 


आज का फलदायक रहेगा, आपके कुछ पुराने रुके हुए काम बनेंगे। किसी गुरु या आध्यात्मिक व्यक्ति से बात होगी, जो आपका आने वाले समय के लिए मार्गदर्शन करेंगे। आज बच्चों के साथ कुछ समय ज़रूर बिताएं, उन्हें पढ़ाएं या उनके साथ अपना ज्ञान और अनुभव बाटें। आपकी सलाह से लाभ होगा। आज मेडिटेशन या पूजा पाठ में थोड़ा समय अवश्य बिताएं। सीखने सिखाने के लिए आज का दिन अच्छा रहेगा


 


जिनका आज जन्मदिन है उनको हार्दिक शुभकामनाएं


 


दिनांक 1 को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 1 होगा। आप शाही प्रवृत्ति के हैं। आपको किसी और का शासन पसंद नहीं है। आप साहसी और जिज्ञासु हैं। आपका मूलांक सूर्य ग्रह के द्वारा संचालित होता है। आप अत्यंत महत्वाकांक्षी हैं। आपकी मानसिक शक्ति प्रबल है।


 


 


 


आपको समझ पाना बेहद मुश्किल है। आप आशावादी होने के कारण हर स्थिति का सामना करने में सक्षम होते हैं। आप सौन्दर्यप्रेमी हैं। आपमें सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला आपका आत्मविश्वास है। इसकी वजह से आप सहज ही महफिलों में छा जाते हैं। 


 


शुभ दिनांक : 1, 10, 19, 28   


 


शुभ अंक : 1, 10, 19, 28, 37, 46, 55, 64, 73, 8 2 


  


शुभ वर्ष : 2026, 2044, 2053, 2062  


 


ईष्टदेव : सूर्य उपासना तथा मां गायत्री  


 


शुभ रंग : लाल, केसरिया, क्रीम


 


कैसा रहेगा यह वर्ष


यह वर्ष आपके लिए अत्यंत सुखद रहेगा। अधूरे कार्यों में सफलता मिलेगी। स्वास्थ्य की दृष्टि से यह वर्ष उत्तम रहेगा। पारिवारिक मामलों में महत्वपूर्ण कार्य होंगे। अविवाहितों के लिए सुखद स्थिति बन रही है।


 


विवाह के योग बनेंगे। नौकरीपेशा के लिए समय उत्तम हैं। पदोन्नति के योग हैं। बेरोजगारों के लिए भी खुशखबर है इस वर्ष आपकी मनोकामना पूरी होगी


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