गुरुवार, 28 मई 2020

पुलवामा से भी बडे हमले की साजिश नाकाम, निशाने पर थे 400 जवान 


नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में आतंकी फिर एक पुलवामा जैसे हमले की प्लानिंग कर रहे थे, जिसे पुलिस और सुरक्षा बलों के जवानों ने नाकाम कर दिया। इस हमले में निशाने पर सुरक्षा बलों की 20 गाड़ियां निशाने पर थीं, जिसमें सीआरपीएफ के करीब 400 जवान होते। पहले इस हमले को करने की प्लानिंग जंग-ए-बदर के दिन की थी, लेकिन तब से अबतक पुलिस ने अपनी तरफ से कोई सुरक्षा चूक नहीं होने दी जिसकी वजह से आतंकी अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हो पाए। इस हमले में तीन आतंकियों के शामिल होने का पुलिस ने दावा किया है। इसमें पहले का नाम आदिल, दूसरे का फौजी भाई है। तीसरा कार का ड्राइवर था, जिसका पुलिस पता कर रही है। पुलवामा हमले की तरह इस मामले की जांच भी एनआईए को सौंप दी गई है।
पुलिस को शक है कि जैश के निशाने पर सीआरपीएफ के 400 जवान थे। गुरुवार को सीआरपीएफ की 20 गाड़ियों का काफिला श्रीनगर से जम्मू पहुंचा है। पता चला है कि काफिला सुबह 7 बजे बक्शी स्टेडियम कैंप से जम्मू के लिए निकलना था। इस काफिले में सभी रैंक के अफसर और जवान शामिल थे। 
रमजान के 17वें रोजे को जंग-ए-बदर के नाम से जाना जाता है। इसी दिन इस्लाम के लिए पहली जंग लड़ी गई थी। जंग-ए-बदर 624 ई. में मदीना में लड़ी गई थी। कहा जाता है कि लड़ाई में एक तरफ मक्का के कुरैश कबिले के तकरीबन 1000 बड़े-बड़े योद्धा शामिल और दूसरी तरफ थे पैगम्बर और उनके 313 साथी। इनमें से ज्यादातर ने पहले कभी जंग नहीं लड़ी थी।
अरब क्षेत्र में यह लड़ाई बुराई के खिलाफ हुई बताई जाती है लेकिन जम्मू कश्मीर में इसी दिन आतंकी कई बार हमलों को अंजाम देने के लिए चुन चुके हैं। कश्मीर में भी कथित श्आजादीश् के नाम पर हो रहे आतंकी हमले भी इसी का हिस्सा हैं। आतंकी वहां इसी दिन को इसलिए भी चुन रहे क्योंकि जंग श्आजादीश् की न होकर इस्लाम की होती जा रही है। इस बात को मजबूत करता एक तथ्य भी है।


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