सोमवार, 18 मई 2020

किस आधार पर ग्रीन, ऑरेंज, रेड जोन होगा डिसाइड 


नई दिल्ली। कोरोना वायरस संक्रमण के चलते देश में लॉकडाउन-4 का 17 मई की शाम को ऐलान किया गया। गृहमंत्रालय की ओर से ऑर्डर रिलीज किया गया है जिसमे इस बाबत जानकारी दी गई है कि 31 मई तक के लिए लॉकडाउन तक को बढ़ाया जा रहा है। हालांकि लॉकडाउन-4 में राज्य सरकारों को अधिक अधिकार दिए गए हैं। राज्य सरकार को तमाम सेक्टर्स को लेकर फैसला लेने का अधिकार दिया गया है। इस बार के लॉकडाउन में ग्रीन, रेड और ऑरेंज जोन को नए रूप में परिभाषित किया गया है। 
तमाम राज्यों को यह अधिकार दिया गया है कि वह रेड, ग्रीन, ऑरेंज जोन को आगे भी अन्य श्रेणियों में बांट सकते हैं। प्रशासन के पास यह अधिकार है कि अपने क्षेत्रीय इलाके के हालात को देखते हुए जोन में बदलाव कर सकता है। इस लॉकडाउन में मॉल, जिम, सिनेमा हॉल, स्वीमिंग पूल, बार, ऑडिटोरियम को सभी जोन में बंद रखने का फैसला लिया गया है। हालांकि स्टेडियम और स्पोर्ट कॉम्पलेक्स को बिना दर्शकों के खेल की अनुमति दी गई है। 
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर संक्रमित लोगों की संख्या के आधार पर जोन को बांटने के लिए गाइडलाइन जारी की गई है। मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि जबतक 28 दिन तक किसी क्षेत्र में संक्रमण के एक भी मामले नहीं आते तबतक उसे सफल नहीं माना जाएगा। स्वास्थ्य विभाग की ओर से 6 अहम पैरामीटर रखे गए हैं, जिसके आधार पर तीनों जोन का बंटवारा किया जा सकता है। 
कुल संक्रमण के मामले, प्रति एक लाख में कितने लोग संक्रमित हैं, कितने दिनों में संक्रमण के मामले दोगुने हो रहे हैं, मृत्यु दर क्या है, प्रति एक लाख टेस्टिंग रेट, सैंपल के पॉजिटिव आने की दरों के आधार पर जोन का निर्धारण किया जा सकता है। 200 से अधिक संक्रमण के मामले को क्रिटिकल की श्रेणी में रखा गया है, ऐसे में यहां छूट नहीं दी जानी चाहिए। प्रति लाख 15 से अधिक संक्रमित लोग हैं तो छूट नहीं दी जा सकती है। इन दोनों ही स्थिति में जबतक संक्रमण के मामले शून्य ना हो जाएं या फिर 21 दिन में एक भी मामले ना आए तबतक छूट ना दी जाए। 
अगर 14 से कम दिनों में संक्रमण के मामले दोगुने हो रहे हैं तो छूट ना दी जाए, 28 से अधिक दिनों में अगर मामले दो गुने हो रहे हैं तो छूट दी जा सकती है। मृत्यु दर 6 फीसदी से अधिक है तो छूट नहीं दी जा सकती है, अगर 1 फीसदी से कम मृत्यु दर है तो छूट दी जा सकती है। वहीं अगर प्रति लाख 65 लोगों का टेस्ट हो रहा है तो इसे क्रिटिकल माना जाएगा, जबकि 200 से अधिक टेस्ट होने की स्थिति में छूट दी जा सकती है। सैंपल के पॉजिटिव आने की बात करें तो अगर 6 फीसदी सैंपल पॉजिटिव आ रहे हैं तो इसे क्रिटिकल माना जाएगा, जबकि 2 फीसदी से कम हो रहा है तो यहां छूट दी जा सकती है।


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