शनिवार, 30 मई 2020

30 दिन में 3 ग्रहण सभी राशियों को करेंगे प्रभावित

इस साल 30 दिन में 3 ग्रहण पड़ेंगे। 5 जून से लेकर 5 जुलाई के बीच ये तीनो ग्रहण पड़ेंगे।  इसमें पहला चंद्र ग्रहण पांच जून को पड़ेगा। इसके बाद 21 जून काे सूर्यग्रहण अाैर 5 जुलाई काे फिर चंद्र ग्रहण लगेगा। इनमें से दो ग्रहण भारत में दिखाई देंगे। 5/6 जून को लगने वाला चंद्र ग्रहण यूरोप, भारत सहित एशिया, अफ्रीका में भी दिखेगा। इन तीनों ग्रहणों में से पहले दो ग्रहण, जो कि आषाढ़ कृष्ण पक्ष में पड़ेंगे, वह भारत में दिखाई देंगें।
इस साल से पहले 1962 में ऐसा योग बना था। उस समय भी शनि मकर राशि में वक्री था और लगातार तीन ग्रहण हुए थे। 5 जून को ज्येष्ठ की मास की पूर्णिमा है। 21 जून को आषाढ़ मास की अमावस्या है। 5 जुलाई को आषाढ़ मास की पूर्णिमा है। इन तीनों तिथियों पर ग्रहण होंगे। हिन्दी पंचांग के अनुसार एक ही माह में तीन ग्रहण होने वाले हैं।
58 साल पहले 1962 में 17 जुलाई को मांद्य चंद्र ग्रहण, 31 जुलाई को सूर्य ग्रहण और 15 अगस्त को पुन: मांद्य चंद्र ग्रहण हुआ था। उस समय भी शनि मकर राशि में वक्री था। इस साल 5 जून को लगने वाला चंद्र ग्रहण भारत में रहेंगा, लेकिन दिन में होने से यह दिखाई नहीं देगा। 5 जून एवं 5 जुलाई के दोनों चंद्र ग्रहण मान्द्य हैं, अत: इनका कोई भी धार्मिक असर मान्य नहीं होगा। किसी भी राशि पर भी इन दोनों चंद्र ग्रहण का असर नहीं होगा।
21 जून का सूर्य ग्रहण दिखेगा भारत में
21 जून को खंडग्रास यानी आंशिक सूर्य ग्रहण रहेगा। ये ग्रहण भारत के अलावा एशिया, अफ्रिका और यूरोप कुछ क्षेत्रों में भी दिखेगा। ग्रहण का स्पर्श सुबह 10.14 मिनट पर, ग्रहण का मध्य 11.56 मिनट पर और ग्रहण का मोक्ष 1.38 मिनट पर होगा। ग्रहण का सूतक काल 20 जून की रात 10.14 मिनट से आरंभ हो जाएगा। सूतक जो 21 जून की दोपहर 1.38 तक रहेगा। इस वर्ष का यह एक मात्र ग्रहण होगा जो भारत में दिखेगा और इसका धार्मिक असर भी मान्य होगा। ये ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र में और मिथुन राशि में लगेगा। इस संबंध में बृहत्संहिता राहुचाराध्याय में लिखा है कि-
मिथुने प्रवरागंना नृपा नृपमात्रा बलिन: कलाविद:।
यमुनातटजा: सबाह्लिका मत्स्या: सुह्यजनै: समन्वित:।।
इस श्लोक के अनुसार जब मिथुन राशि में सूर्य या चंद्र ग्रहण होता है तो उच्च पदों पर स्थित महिलाएं, राजा, मंत्री, कला क्षेत्र में काम करने वाले, यमुना नदी के किनारे पर निवास करने वाले, वरिष्ठ लोगों को, मध्य देश, साकेता, मिथिला, चंपा, कौशांबी, कौशिकी, गया, विंध्य में निवास करने वाले लोगों के लिए समय कष्टकारी होता है।
प्राकृतिक आपदा आने के योग- मृगशिरा नक्षत्र के स्वामी मंगल है। मकर राशि में स्थित वक्री शनि की पूर्ण तृतीय दृष्टि, मीन राशि में स्थित मंगल पर पड़ रही है, मंगल की सूर्य पर दृष्टि और शनि-गुरु की युति है। ग्रहों की ये स्थिति बड़े भूकंपन का कारण बन सकती है। इसके साथ ही अन्य प्राकृतिक आपदा आने के भी योग बन सकते हैं।
सभी राशियों पर ग्रहण का असर- मेष, सिंह, कन्या, कुंभ राशि के लिए सूर्य ग्रहण शुभ फल देने की स्थिति में रहेगा। इन लोगों को भाग्य का साथ मिल सकता है। वृष, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर और मीन राशि के लोगों को सतर्क रहकर काम करना होगा। इन लोगों के लिए बाधाएं बढ़ सकती हैं।


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