मुज़फ्फरनगर। महाराजा अग्रसेन भवन में प्रतिदिन चल रही सप्तदिवसीय अग्रभागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह के अंतिम दिन की कथा मे व्यास-पीठ पर विराजमान परमपूज्य आचार्य विष्णु दास शास्त्री जी महाराज ने समत्व -यात्रा के विषय में कहा कि महाराजा अग्रसेन जी ने सम्पूर्ण भारत खण्ड की तीन बार यात्रा की। ऐसा करने से राज्य की वास्तविक स्थिति का पता चला और अभावग्रस्तों की समस्याओं का समाधान किया। महारानी माधवी ने कुशल प्रशासिका के रूप में नारी-शक्ति को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बॉध, तालाब, बाबङी बनवाना, शत्रु को क्षमादान देकर मित्र भाव उत्पन्न करना, शिक्षा, शस्त्र, शासन, व्यापार आदि में निपुण करना। 108 वर्ष की आयु होने पर लोकतांत्रिक पद्धति द्वारा गुणवान विभुसेन को आग्रेय गणराज्य के महाराजा पद पर सुशोभित करके महाराजा अग्रसेन जी, महारानी माधवी के साथ वानप्रस्थ धारण करके वन को प्रस्थान कर जाते हैं। 115 वर्ष की उम्र में देवी माधवी और 118 वर्ष का शुभ आयुकाल पूर्ण करके मानव-धर्म के प्रणेता अग्रसेन जी अपने-अपने लोक को गमन कर जाते हैं। संन्यासी के श्राप के कारण आग्रेयपुरी का विनष्ट होना, केसर व्यापारी सेठ श्री चंद द्वारा राष्ट्र भावना से जागृत किये गये सेठ हरभजशाह द्वारा अग्रोहा का उद्धार, लक्खी तालाब का निर्माण, राणी सती शीला माता की कथा, वर्तमान अग्रोहा धाम (अग्रोहा, हरियाणा) का पुनर्निर्माण आदि प्रसंगों के उपरांत महाआरती, हवन, व्यास-पूजन एवं महाप्रसाद वितरण के साथ इस सप्तदिवसीय अग्रभागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह कथा को नमन करके पुनः कृपा करने के लिए अग्रवंश की कुलदेवी महालक्ष्मी जी और अग्रसेन जी से प्रार्थना की गयी।
आज अंतिम दिन की कथा के यजमान श्री नीरज बंसल जी ने सपत्नी विधिवत पूजन और हवन कराया। कथा में ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री सत्यप्रकाश मित्तल जी, विनोद सिंहल, संजय गुप्ता, तेजराज गुप्ता, पवन सिंघल, पुरुषोत्तम सिंहल, योगेश सिंहल भगत जी, योगेंद्र मित्तल, प्रदीप गोयल, श्याम लाल बंसल, आशुतोष कुच्छल, सीए अजय अग्रवाल, उपेंद्र बंसल, मुकेश गोयल, राकेश जी आदि गणमान्य व्यक्तियों का योगदान रहा। सभी अग्रबंधु एक बार अग्रोहा धाम की यात्रा अवश्य करें।
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