रविवार, 30 अगस्त 2020

जयघोष के बीच पहुंचा शहीद प्रशांत का पार्थिव शरीर

https://youtu.be/HBsoIzNCnfk


मुजफ्फरनगर । शहीद प्रशांत शर्मा के पार्थिव शरीर को लेकर सेना के जवान बुढ़ाना मोड पहुंचे तो तिरंगा लहराते लोगों ने जयघोष से आसमान गुंजार दिया । शहीद के आवास पर गन्ना राज्यमंत्री सुरेश राणा राज्य सरकार के प्रतिनिधि के रूप में पहुंचे। डीएम,सेल्वा कुमारी जे,एसएसपी अभिषेक यादव,एसपी सिटी सतपाल अंतिल, एसडीएम सदर दीपक कुमार व्यवस्था को बनाने के लिए भारी पुलिस फोर्स सहित मौजूद रहे । हजारों महिला पुरुष और युवा हाथों में तिरंगा लेकर प्रशांत शर्मा अमर रहे का घोष करते हुए शहीद के अंतिम दर्शन करने को उमड पडे।


श्रीनगर में तीन आतंकी मारे गए एक ए एएसआई शहीद

श्रीनगर l सुरक्षाबलों के अभियान में श्रीनगर में तीन दहशतगर्द मारे गए हैं। अभियान में एक पुलिसकर्मी एएसआई बाबू राम शहीद हुए हैं। अभी अभियान जारी है। 


आज का पंचांग तथा राशिफल 30 अगस्त 2020


🌞 ~ *आज का पंचांग  * ~ 🌞


⛅ *दिनांक 30 अगस्त 2020*


⛅ *दिन - रविवार*


⛅ *विक्रम संवत - 2077 (गुजरात - 2076)*


⛅ *शक संवत - 1942*


⛅ *अयन - दक्षिणायन*


⛅ *ऋतु - शरद*


⛅ *मास - भाद्रपद*


⛅ *पक्ष - शुक्ल* 


⛅ *तिथि - द्वादशी सुबह 08:21 तक तत्पश्चात त्रयोदशी*


⛅ *नक्षत्र - उत्तराषाढा दोपहर 01:52 तक तत्पश्चात श्रवण*


⛅ *योग - सौभाग्य दोपहर 01:59 तक तत्पश्चात शोभन*


⛅ *राहुकाल - शाम 05:09 से शाम 06:42 तक*


⛅ *सूर्योदय - 06:22* 


⛅ *सूर्यास्त - 18:55* 


⛅ *दिशाशूल - पश्चिम दिशा में*


⛅ *व्रत पर्व विवरण - प्रदोष व्रत*


 💥 *विशेष - द्वादशी को पूतिका(पोई) अथवा त्रयोदशी को बैंगन नही खाना होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*


💥 *रविवार के दिन ब्रह्मचर्य पालन करे तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*


💥 *रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)*


💥 *रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)*


💥 *स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।*


               🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 


🌷 *अनंत चतुर्दशी* 🌷


🙏🏻 *मंगलवार, 01 सितंबर को दस दिवसीय गणेशोत्सव का अंतिम दिन है। इस दिन की गई गणेश पूजा से घर में सुख-समृद्धि यानी रिद्धि और सिद्धि का प्रवेश होता है। गणेशजी की कृपा से सभी दुख दूर हो जाते हैं। यहां 01 सितंबर के लिए खास उपाय...*


🌷 *ऐसे करें गणेश पूजा* 🌷


 *सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद गणेशजी की पूजा करें। पूजा में श्रीगणेश को सिंदूर, चंदन, जनेऊ, दूर्वा, लड्डू या गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाएं। धूप व दीप लगाकर आरती करें। पूजन में इस मंत्र का जप करें-*


🌷 *मंत्र- प्रातर्नमामि चतुराननवन्द्यमानमिच्छानुकूलमखिलं च वरं ददानम्।*


*तं तुन्दिलं द्विरसनाधिपयज्ञसूत्रं पुत्रं विलासचतुरं शिवयो: शिवाय।।*


*प्रातर्भजाम्यभयदं खलु भक्तशोकदावानलं गणविभुं वरकुञ्जरास्यम्।*


*अज्ञानकाननविनाशनहव्यवाहमुत्साहवर्धनमहं सुतमीश्वरस्य।।*


🙏🏻 *इस मंत्र का अर्थ यह है कि मैं ऐसे देवता का पूजन करता हूं, जिनकी पूजा स्वयं ब्रह्मदेव करते हैं। ऐसे देवता, जो मनोरथ सिद्धि करने वाले हैं, भय दूर करने वाले हैं, शोक का नाश करने वाले हैं, गुणों के नायक हैं, गजमुख हैं, अज्ञान का नाश करने वाले हैं। मैं शिव पुत्र श्री गणेश का सुख-सफलता की कामना से भजन, पूजन और स्मरण करता हूं।*


🌷 *लक्ष्मी-विनायक मंत्र का जप करें* 🌷


*दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।*


*धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।*


*श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरदे सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।।*


 🙏🏻 *यदि आप लक्ष्मी कृपा चाहते हैं तो पूजा में इस लक्ष्मी-विनायक मंत्र का जप कम से कम 108 बार करें। मंत्र जप के लिए कमल के गट्‌टे की माला का उपयोग करना चाहिए।*


💥 *ध्यान रखें मंत्र का जप सही उच्चारण के साथ करना चाहिए।*


 ➡ *यदि आप इस मंत्र का जप नहीं कर पा रहे हैं तो इन सरल मंत्रों का जप कर सकते हैं।*


🌷 *श्रीगणेश मंत्र- ॐ महोदराय नम:। ॐ विनायकाय नम:।*


🌷 *महालक्ष्मी मंत्र- ॐ महालक्ष्म्यै नम:। ॐ दिव्याये नम:*


         🌞 ~ *हिन्दू पंचांग* ~ 🌞


 


🌷 *अनंत चतुर्दशी* 🌷


➡ *01 सितम्बर 2020 मंगलवार को अंनत चतुर्दशी है ।*


🙏🏻 *भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी को अनन्त चतुर्दशी कहा जाता है। इस दिन अनन्त भगवान की पूजा करके संकटों से रक्षा करने वाला अनन्तसूत्र बांधा जाता है।*


🙏🏻 *कहा जाता है कि जब पाण्डव जुएं में अपना सारा राज-पाट हारकर वन में कष्ट भोग रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनन्तचतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी थी। धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने भाइयों तथा द्रौपदी के साथ पूरे विधि-विधान से यह व्रत किया तथा अनन्तसूत्रधारण किया। अनन्तचतुर्दशी-व्रत के प्रभाव से पाण्डव सब संकटों से मुक्त हो गए।*


🙏🏻 *व्रत-विधान-व्रतकर्ता प्रात:स्नान करके व्रत का संकल्प करें। शास्त्रों में यद्यपि व्रत का संकल्प एवं पूजन किसी पवित्र नदी या सरोवर के तट पर करने का विधान है, तथापि ऐसा संभव न हो सकने की स्थिति में घर में पूजागृह की स्वच्छ भूमि पर कलश स्थापित करें। कलश पर शेषनाग की शैय्यापर लेटे भगवान विष्णु की मूर्ति अथवा चित्र को रखें। उनके समक्ष चौदह ग्रंथियों (गांठों) से युक्त अनन्तसूत्र (डोरा) रखें। इसके बाद “ॐ अनन्तायनम:” मंत्र से भगवान विष्णु तथा अनंतसूत्र की षोडशोपचार-विधिसे पूजा करें। पूजनोपरांत अनन्तसूत्र को मंत्र पढकर पुरुष अपने दाहिने हाथ और स्त्री बाएं हाथ में बांध लें-*


🌷 *अनंन्तसागर महासमुद्रे मग्नान्समभ्युद्धर वासुदेव।*


*अनंतरूपे विनियोजितात्माह्यनन्तरूपाय नमो नमस्ते॥*


🙏🏻 *अनंतसूत्र बांध लेने के पश्चात किसी ब्राह्मण को नैवेद्य (भोग) में निवेदित पकवान देकर स्वयं सपरिवार प्रसाद ग्रहण करें। पूजा के बाद व्रत-कथा को पढें या सुनें। कथा का सार-संक्षेप यह है- सत्ययुग में सुमन्तु नाम के एक मुनि थे। उनकी पुत्री शीला अपने नाम के अनुरूप अत्यंत सुशील थी। सुमन्तु मुनि ने उस कन्या का विवाह कौण्डिन्यमुनि से किया। कौण्डिन्यमुनि अपनी पत्नी शीला को लेकर जब ससुराल से घर वापस लौट रहे थे, तब रास्ते में नदी के किनारे कुछ स्त्रियां अनन्त भगवान की पूजा करते दिखाई पडीं। शीला ने अनन्त-व्रत का माहात्म्य जानकर उन स्त्रियों के साथ अनंत भगवान का पूजन करके अनन्तसूत्र बांध लिया। इसके फलस्वरूप थोडे ही दिनों में उसका घर धन-धान्य से पूर्ण हो गया।*


🌷 *कथा* 


🙏🏻 *एक दिन कौण्डिन्य मुनि की दृष्टि अपनी पत्नी के बाएं हाथ में बंधे अनन्तसूत्र पर पडी, जिसे देखकर वह भ्रमित हो गए और उन्होंने पूछा-क्या तुमने मुझे वश में करने के लिए यह सूत्र बांधा है? शीला ने विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया-जी नहीं, यह अनंत भगवान का पवित्र सूत्र है। परंतु ऐश्वर्य के मद में अंधे हो चुके कौण्डिन्यने अपनी पत्नी की सही बात को भी गलत समझा और अनन्तसूत्रको जादू-मंतर वाला वशीकरण करने का डोरा समझकर तोड दिया तथा उसे आग में डालकर जला दिया। इस जघन्य कर्म का परिणाम भी शीघ्र ही सामने आ गया। उनकी सारी संपत्ति नष्ट हो गई। दीन-हीन स्थिति में जीवन-यापन करने में विवश हो जाने पर कौण्डिन्यऋषि ने अपने अपराध का प्रायश्चित करने का निर्णय लिया। वे अनन्त भगवान से क्षमा मांगने हेतु वन में चले गए। उन्हें रास्ते में जो मिलता वे उससे अनन्तदेवका पता पूछते जाते थे। बहुत खोजने पर भी कौण्डिन्यमुनि को जब अनन्त भगवान का साक्षात्कार नहीं हुआ, तब वे निराश होकर प्राण त्यागने को उद्यत हुए। तभी एक वृद्ध ब्राह्मण ने आकर उन्हें आत्महत्या करने से रोक दिया और एक गुफामें ले जाकर चतुर्भुज अनन्तदेव का दर्शन कराया।*


🙏🏻 *भगवान ने मुनि से कहा-तुमने जो अनन्तसूत्र का तिरस्कार किया है, यह सब उसी का फल है। इसके प्रायश्चित हेतु तुम चौदह वर्ष तक निरंतर अनन्त-व्रत का पालन करो। इस व्रत का अनुष्ठान पूरा हो जाने पर तुम्हारी नष्ट हुई सम्पत्ति तुम्हें पुन:प्राप्त हो जाएगी और तुम पूर्ववत् सुखी-समृद्ध हो जाओगे। कौण्डिन्यमुनि ने इस आज्ञा को सहर्ष स्वीकार कर लिया। भगवान ने आगे कहा-जीव अपने पूर्ववत् दुष्कर्मो का फल ही दुर्गति के रूप में भोगता है।मनुष्य जन्म-जन्मांतर के पातकों के कारण अनेक कष्ट पाता है। अनन्त-व्रत के सविधि पालन से पाप नष्ट होते हैं तथा सुख-शांति प्राप्त होती है। कौण्डिन्यमुनि ने चौदह वर्ष तक अनन्त-व्रत का नियमपूर्वक पालन करके खोई हुई समृद्धि को पुन:प्राप्त कर लिया।*


      🌞 *~ हिन्दू पंचांग


हर वर्ष पूर्वजों को तर्पण और उनके प्रति श्रद्धा भाव व्यक्त करने लिए हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से लेकर आश्विन माह की सर्वपितृ अमावस्या तक का समय पितृपक्ष कहलाता है। पूर्वजों को श्रद्धासुमन अर्पित करने का यह महापर्व आरंभ होने जा रहा है। पितृपक्ष के दौरान हमारे पूर्वज पितरलोक से धरती पर अपने प्रियजनों के पास आते हैं। ऐसे में पितृ पक्ष पर उनके प्रति सम्मान और आदरभाव दिखाने के लिए उन्हें तर्पण दिया जाता है। मान्यता है कि पितृपक्ष पर श्राद्ध कर्म करने पर पितृदोषों से मुक्ति मिल जाती है। पितृपक्ष में जब पितरदेव धरती पर आते हैं उन्हें प्रसन्न कर फिर से पितरलोक में विदा किया जाता है। ऐसे में पितृपक्ष के दौरान कुछ विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए।


1- श्राद्ध पक्ष में अगर कोई भोजन पानी मांगने आए तो उसे खाली हाथ नहीं जाने दें। मान्यता है कि पितर किसी भी रूप में अपने परिजनों के बीच में आते हैं और उनसे अन्न पानी की चाहत रखते हैं।


2- गाय, कुत्ता, बिल्ली, कौआ इन्हें श्राद्ध पक्ष में मारना नहीं चाहिए, बल्कि इन्हें खाना देना चाहिए। 


3- मांसाहारी भोजन जैसे मांस, मछली, अंडा के सेवन से परहेज करना चाहिए। शराब और नशीली चीजों से बचें। 


 


4- परिवार में आपसी कलह से बचें। ब्रह्मचर्य का पालन करें, इन दिनों स्त्री पुरुष संबंध से बचना चाहिए। 


5- नाखून, बाल एवं दाढ़ी मूंछ नहीं बनाना चाहिए या अति जरूरी हो तो बनाना चाइये। क्योंकि श्राद्ध पक्ष पितरों को याद करने का समय होता है। यह एक तरह से शोक व्यक्त करने का तरीका है। 


 


6- पितृपक्ष के दौरान जो भी भोजन बनाएं उसमें से एक हिस्सा पितरों के नाम से निकालकर गाय या कुत्ते को खिला दें। 


7- भौतिक सुख के साधन जैसे स्वर्ण आभूषण, नए वस्त्र, वाहन इन दिनों खरीदना अच्छा नहीं माना गया है, क्योंकि यह शोक काल होता है।


8 - पितृपक्ष के दौरान किसी भी परिस्थिति में झूठ न बोले और कटु वचन से किसी को दुख पहुंचाएं।


9 - पितृपक्ष के दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखें कि घर का कोई भी कोना अंधेरे में न रहे।


10- पितृपक्ष में कुल की मर्यादा के विरुद्ध कोई आचरण न करें।


 


पूर्णिमा का श्राद्ध


ज्योतिषशास्त्र के अनुसार किसी व्यक्ति की मृत्यु पूर्णिमा को हो तो उसका श्राद्ध भाद्र शुक्ल पूर्णिमा को करना चाहिए। इसमें दादा-दादी, परदादी और नाना-नानी का श्राद्ध करना चाहिए।


भरणी का श्राद्ध


चतुर्थी तिथि पर भरणी नक्षत्र होने के कारण भरणी का श्राद्ध कहा जाता है। भरणी नक्षत्र में पितरों का पार्वण श्राद्ध करने का विशेष महत्व है। नवमी तिथि को सौभाग्यवती स्त्रियों का श्राद्ध किया जाता है।


 


संन्यासियों का श्राद्ध


संन्यासियों का श्राद्ध पार्वण पद्धति से द्वादशी में किया जाता है। भले ही इनकी मृत्यु तिथि कोई भी क्यों न हो।


 


मघा का श्राद्ध


 मघा नक्षत्र होने के कारण मघा का श्राद्ध होता है। जिनकी जन्मकुंडली में पितृदोष के कारण घर परिवार में और पति पत्नी में क्लेश अशांति हो तो वह शांत हो जाता है। घर में सुख शांति रहती है।


 


अकाल मृत्यु वालों का श्राद्ध


वाहन दुर्घटना, सांप के काटने से, जहर के खाने से अकाल मृत्यु के कारण जिसकी मृत्यु हुई हो उसका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि में करना चाहिए। चतुर्दशी तिथि में मरने वालों का श्राद्ध चतुर्दशी में नहीं करना चाहिए। किसी व्यक्ति की मृत्यु पूर्णिमा को हो तो उसका श्राद्ध भाद्र शुक्ल पूर्णिमा को करना चाहिए। इसमें दादा-दादी, परदादी और नाना-नानी का श्राद्ध करना चाहिए


 


मेष - 


आज अपना काम में फोकस बनाए रखें और अपना काम ईमानदारी से करते रहें, आपको किसी की बात से विचलित होने की आवश्यकता नहीं है। यदि किसी की बात या नियत पर शक हो तो अपने अंतर्मन की आवाज़ अवश्य सुनें और उस कर अमल करें। अपनी सोच पर नियंत्रण रखें। परिस्थिति का समय के साथ हल मिल जाएगा, जितना उसके लिए परेशान होंगे उतना ही अपने लिए बाधाएं उत्पन्न करेंगे।


करियर - किसी की बातों से बहुत प्रभावित न हों। यदि किसी की बात या नियत पर शक हो तो अपने अंतर्मन की आवाज़ अवश्य सुनें और उस पर अमल करें।


प्रियजनों के साथ किसी बात को लेकर अनबन हो सकती है जिसके चलते रिश्तों में कटुता आ सकती है। अपनी बात खुल कर कहने का प्रयास करें।


हेल्थ - यदि किसी रोग से जूझ रहे हैं तो एक सेकंड ओपिनियन किसी दूसरे डॉक्टर से लें। लाभ होगा।


 


वृषभ - 


आज का काम आपके लिए अपनी क्षमता और योग्यता की परीक्षा वाला हो सकता है। आप खुद को आजमाना चाहेंगे। आपको कुछ कामों में देरी का सामना करना पड़ सकता है, या कुछ काम थोड़े समय के लिए अटक सकते हैं। आपको थोड़ा धैर्य के साथ काम लेना होगा। आपके परिजन और प्रियजन आप पर पूरा भरोसा जताएंगे। आपको अपनी क्षमताओं पर भरोसा रखना होगा। परिस्थितियां आपके पक्ष में बनेंगी।


करियर - काम में देरी हो सकती है। कार्यालय के लोग आपको निराश कर सकते हैं, शांत और सामान्य रहें।


- प्रोफेशनल कामों में भी आपको जीवनसाथी का बेहतर सहयोग मिल सकता है।


हेल्थ - दांत या दाढ़ का दर्द आज आपको परेशान कर सकता है।


 


मिथुन - 


आज का दिन आपके लिए दुनिया से जुड़ने का है। आप उन लोगों से मिल सकते हैं या बात कर सकते हैं जो किन्हीं दूर स्थानों पर बसे हैं। आपके सामने कोई बहुत ही शानदार प्रस्ताव आ सकते हैं। ये समय है अपनी क्षमताओं पर गहराई से विचार करने और नई संभावनाओं के लिए अपने आपको अपडेट करने का। आपको अपनी बातचीत में काफी स्पष्ट तरीके से अपना पक्ष रखना होगा।


करियर - काम पर नए देश में जाने की संभावनाएं हैं। अपनी नौकरी में अच्छा करने के लिए अपने कौशल को अपग्रेड करें।


 आपके साथी के साथ गलतफहमी हो सकती है, अपने संवाद स्पष्ट रखें।


हेल्थ - गर्दन का दर्द आपके लिए परेशानी का कारण हो सकता है।


 


कर्क - 


आज का दिन आपके लिए मिलजुल कर काम करने और सफलता पाने का रह सकता है। आपको कुछ मामलों में अपने लोगों की सलाह की आवश्यकता पड़ सकती है। आपको मित्रों से सहयोग मिलेगा और आप उन पर कुछ चीजों के लिए निर्भर रह सकते हैं। अपने लोगों की बात ध्यान से सुनें और सोच-समझकर ही किसी बात पर फैसला करें। आपके कुछ निर्णय आपके भविष्य के लिए मील का पत्थर साबित हो सकते हैं।


करियर - दोस्त आपके लिए मार्गदर्शन के लिए आ सकते हैं। अच्छे फैसले लेने की आपकी क्षमता आपको करियर में आगे बढ़ने में मदद करती है।


 - आज आपको अपने साथी की बात को गंभीरता से सुनना और समझना होगा।


हेल्थ - आज मांसपेशियों में खिंचाव या दर्द से आपको समस्या हो सकती है।


 


सिंह - 


आज का दिन आपके लिए आर्थिक हानि की ओर इशारा कर रहा है। धन संबंधी मामलों में कोई भी फैसला लेने से पहले आपको काफी सोच-विचार करना होगा। आपको उधार पैसा लेने और देने दोनों ही मामलों में बचना पड़ेगा। अगर आप वित्तीय मामलों में लापरवाही रखेंगे तो संभव है कि आपको काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है, साथ ही कुछ लोगों से आपके संबंध भी खराब हो सकते हैं। इस कारण थोड़ा सावधान रहें।


करियर - वित्त की स्थिति अच्छी रहेगी। दोस्तों को पैसे उधार देने का अच्छा समय नहीं है, क्योंकि आप इसे वापस पाने में सक्षम नहीं हो सकते हैं।


अपने साथी को कुछ ऐसा उपहार दें जो उन्हें पसंद हो, वे इस रिश्ते को काम करने के लिए आपके द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना करते हैं।


हेल्थ - माइग्रेन या सिरदर्द की समस्या आपको परेशान कर सकती है।


 


कन्या - 


आज का दिन आपके लिए बहुत ही रचनात्मक हो सकता है। आपके साथी आपकी समस्या सुलझाने के कौशल की तारीफ करेंगे। आपके समस्याओं के साथ डील करने का तरीका काफी प्रशंसनीय हो सकता है। आपको अपने ईगो से बचना होगा। कुछ समय खुद के लिए निकाल कर वो काम करें जो आपको मानसिक शांति और प्रोत्साहन देता है। अपने शौक को जिंदा रखने के लिए यह एक आवश्यक कदम है।


करियर - आपका उत्साह और रचनात्मकता आपको प्रगति करने में मदद कर सकती है।


- अपने साथी के साथ पेंटिंग या बागवानी जैसी मजेदार गतिविधि आपको एक दूसरे को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगी।


हेल्थ - बाहर खाने से बचें, आपको फूड पॉइज़निंग के आशंका हो सकती है।


 


तुला - 


आज आप काफी व्यस्त रहेंगे। समय की कमी के कारण आपको कुछ काम टालने भी पड़ सकते हैं और एक समय में कई काम करने पड़ सकते हैं, या एक काम खत्म होते ही आपको कोई और काम मिल सकता है। अपने आपको इस परिस्थिति के लिए मानसिक रुप से तैयार रखें। आपके पार्टनर्स या बॉस आपके काम के तरीकों से काफी संतुष्ट और प्रसन्न रहेंगे। ये आपके अच्छे भविष्य के लिए बेहतर संकेत है।


करियर- आपके वरिष्ठों में आपकी की बहुत मांग रहेगी। आपके पास अपने कार्यों को पूरा करने के लिए सही कौशल है, इसका उपयोग करें।


 - आप अपने साथी से चिड़चिड़े लगते हैं, शांत रहें। आपका साथी आपकी हर बात सुनेगा


हेल्थ - अपने काम को अधिक मात्रा में न करें, आपको कमर या पीठ में समस्या हो सकती है।


 


वृश्चिक - 


आज का दिन आपके कुछ अफरा-तफरी भरा रह सकता है। आपको कामों को सही अंजाम तक पहुंचाने के लिए कुछ अतिरिक्त भागदौड़ करनी पड़ सकती है। कुछ जरूरी कामों के लिए आपको काफी ट्रेवलिंग करनी पड़ सकती है। अपने आप को इसके लिए तैयार रखें। कुछ कामों के लिए आपके मित्र और साथी आप पर आश्रित हो सकते हैं। किसी मामले में आपको संतोष का भाव दिखाना पड़ सकता है। इसके लिए तैयार रहें।


करियर - काम से लिए पर यात्रा की संभावना है। आपकी टीम आपकी ओर देखती है, क्योंकि आपका काम के प्रति बहुत अच्छा रवैया है।


 आपका साथी हाथ से लिखे नोट्स और अक्षरों जैसी छोटी चीजों की सराहना करता है। वही करें जो उन्हें खुश करे।


हेल्थ - आपकी मांसपेशियों के साथ समस्या हो सकती है।


 


धनु - 


आज का दिन आपके लिए परिस्थितियों को काफी परिपक्वता के साथ संभालने का है। किसी मामले में आप अपेक्षा के विपरीत काफी कम समय में बेहतर परिणाम हासिल कर सकते हैं, इससे आपको काफी प्रशंसा मिलेगी। आज आपकी प्रोडक्टिविटी काफी हाई रहेगी, जिसका फायदा आपको जॉब और बिजनेस दोनों में मिल सकता है। अपने आप को पूरी तरह सकारात्मक रखें और अपने टारगेट पर फोकस रहें।


करियर - आपके बॉस आपके ज्ञान और चीजों को जल्द पूरा करने की क्षमता की सराहना करते हैं। अधिक सुसंगत होकर अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखें।


 अपने साथी के साथ किसी समय अच्छा गुजरेगा है। अविवाहितों के लिए भी समय अच्छा रहने वाला है।


हेल्थ - आंख का संक्रमण आपकी समस्या बढ़ा सकता है।


 


मकर -


आज का दिन आपके लिए कुछ जिम्मेदारियों के साथ शुरुआत वाला हो सकता है। आपके लिए कुछ मामलों में बहुत धैर्य रखना पड़ सकता है। कुछ कामों में विलंब होने से आप परेशान हो सकते हैं या गुस्सा कर सकते हैं। इससे बचने की कोशिश करें। आपको अपने टारगेट पर फोकस करना होगा। इसके लिए छोटी-छोटी गलतियों को सुधारते हुए आगे बढ़ने का दिन है। अपने लोगों से खुलकर बात करें और उन्हें प्रोत्साहित करें।


करियर - आज आपका दिन ऑफिस में नहीं हो सकता, क्योंकि काम में देरी हो रही है। सकारात्मक रहें, आपके लक्ष्य प्राप्त होंगे।


 आप अपने साथी के साथ बहुत अच्छी समझ रखते हैं। उनके साथ अपनी रूचि साझा करें।


हेल्थ - बालों का गिरना आपको चिंतित कर सकता है।


 


कुंभ - 


आज का दिन आपके लिए कुछ निराशा से भरा हो सकता है। चीजें आपके नियंत्रण में नहीं रहेंगी। कुछ लोगों द्वारा आपको चुनौती भी मिल सकती है। आपके कुछ प्रस्ताव अस्वीकृत हो सकते हैं। आपको अपने टारगेट को पाने के लिए काफी पॉजिटिव एटिट्यूड रखना होगा। आपको अपने मूड को थोड़ा लाइट रखने के लिए अपने प्रियजनों के साथ कुछ समय गुजारना चाहिए, इससे आपको मानसिक शक्ति और सकारात्मका का आभास होगा।


करियर - करियर में आप निराश रह सकते हैं। सकारात्मक रहें, परिस्थितियां जल्दी ही आपके अनुकूल होंगी।


आज आपका समय जीवनसाथी के साथ काफी अच्छा गुजरेगा। प्रेमियों के लिए भी दिन काफी अच्छा है।


हेल्थ - अपने प्रोटीन का सेवन बढ़ाएं, क्योंकि आप ज्यादातर समय थकान महसूस करते हैं।


 


मीन -


आज का दिन आपके कामों में कुछ रुकावट और परेशानियों वाला हो सकता है। आपके काम करने के तरीकों की लोग तारीफ करेंगे लेकिन कुछ प्रतिद्वंद्वी आपके कामों पर आपत्ति भी ले सकते हैं। आपको काफी सारा समय दफ्तर या बिजनेस से जुड़े कुछ मुद्दों को सुलझाने के लिए देना पड़ सकता है। आपकी कार्यक्षमताओं की सराहना होगी। आपको कुछ पुरानी बातों को भूलकर आगे बढ़ने की सलाह कार्ड्स दे रहे हैं।


करियर - आज आपको बैठकों में व्यस्त रहना पड़ सकता है। आपके प्रस्तुति कौशल को आपके वरिष्ठों द्वारा सराहा जाता है।


अतीत से आगे बढ़ें, किसी नए व्यक्ति से मिलने की संभावना है जो आपके साथ अच्छा हो और आपसे प्यार करता हो।


हेल्थ - आज आपको ज्यादा से ज्यादा लिक्विड डाइट पर रहना होगा


 


जिनका आज जन्मदिन है उनको हार्दिक शुभकामनाएं


 


अंक ज्योतिष के अनुसार आपका मूलांक तीन आता है। यह बृहस्पति का प्रतिनिधि अंक है। ऐसे व्यक्ति निष्कपट, दयालु एवं उच्च तार्किक क्षमता वाले होते हैं। अनुशासनप्रिय होने के कारण कभी-कभी आप तानाशाह भी बन जाते हैं। आप दार्शनिक स्वभाव के होने के बावजूद एक विशेष प्रकार की स्फूर्ति रखते हैं। आपकी शिक्षा के क्षेत्र में पकड़ मजबूत होगी। आप एक सामाजिक प्राणी हैं। आप सदैव परिपूर्णता या कहें कि परफेक्शन की तलाश में रहते हैं यही वजह है कि अकसर अव्यवस्थाओं के कारण तनाव में रहते हैं। 


 


शुभ दिनांक : 3, 12, 21, 30


 


शुभ अंक : 1, 3, 6, 7, 9, 


 


 


 


शुभ वर्ष : 2028, 2030, 2031, 2034, 2043, 2049, 2052,    


 


ईष्टदेव : देवी सरस्वती, देवगुरु बृहस्पति, भगवान विष्णु 


 


 


शुभ रंग : पीला, सुनहरा और गुलाबी 


 


कैसा रहेगा यह वर्ष


आपके लिए यह वर्ष सुखद है। किसी विशेष परीक्षा में सफलता मिल सकती है। नौकरीपेशा के लिए प्रतिभा के बल पर उत्तम सफलता का है। नवीन व्यापार की योजना भी बन सकती है। दांपत्य जीवन में सुखद स्थिति रहेगी। घर या परिवार में शुभ कार्य होंगे। महत्वपूर्ण कार्य से यात्रा के योग भी है। मित्र वर्ग का सहयोग सुखद रहेगा। शत्रु वर्ग प्रभावहीन होंगे।


शनिवार, 29 अगस्त 2020

ये टोटके दूर करेंगे परिवार की कलह शांत करेंगे गुस्सा, आजमा कर देखिए


क्या आपका परिवार भी रोज के झगड़े और परिवार के किसी शख्स के गुस्से के कारण अशांत है। जानिए परिवार में कलह दूर करने और गुस्सा शांत करने के कुछ टोटके। 


 


गुस्सा आता है तो थोड़ी सी गेहूं को एक नारियल और सात गोमती चक्र के साथ पीले रंग के कपड़े में बांधकर, जिस व्यक्ति को गुस्सा आ रहा उस व्यक्ति के ऊपर से 7 बार घुमाकर जल में प्रवाहित कर दें और इस बात का अत्याधिक ध्यान रखे की यह कार्य तभी करें जब वह व्यक्ति सो रहा हो। ऐसा करने से उस व्यक्ति का गुस्सा जल्द से जल्द शांत हो जाएगा।


 


यदि आपके पति को अत्यधिक गुस्सा आता हो तो आप हर सुबह सूर्यदेव को जल चढ़ाएं तथा सूर्य देव से प्रार्थना करें कि ” हे सूर्यदेव पति-पत्नी के संबंध को सुधारें तथा मेरे पति के गुस्से को शांत रखे”। ऐसा करने से आप देखेंगे कि कुछ ही दिनों में आपके पति के स्वभाव में काफ़ी परिवर्तन हुआ है।


 


शनिवार की रात्रि को एक सता लवंग ले और उस लवंग में पति का नाम लेकर फूंक मार दें तथा दूसरे दिन रविवार को उसे आग में जला दें , ऐसा करने से आपके पति का व्यवहार तरफ बदलने लगेगा ।


 


यदि आपके घर में किसी भी व्यक्ति को अत्यधिक गुस्सा आता हो तो आप अपने घर में गुगुल या चंदन का धूप जलाना शुरू कर दें आप देखेंगे कि कुछ ही दिनों में आपके घर होने वाली साड़ी लड़ाई झगड़े बंद हो जाएंगे तथा घर में सुख शांति बनी रहेगी। एक बात का ध्यान रखें कि यह प्रक्रिया रविवार से शुरू करें।


 


यदि पति पत्नी के बीच बहुत ज्यादा झगड़े होते हैं और हमेशा तनाव बना रहता है तो मंगल या शनिवार को घर में चमेली का तेल में दीए जलाकर सुंदरकांड पढ़े। ऐसा करने से पति पत्नी के संबंध में सुधार आता है।


 


यदि संभव हो सके तो पति-पत्नी एक ही थाली में भोजन करें तथा एक ही गिलास से पानी का सेवन करें ऐसा करने से आप आपके गृहस्थ जीवन में खुशहाली बनी रहेगी।


 


पीले रंग के कपड़े में सता हल्दी के गाठ, 3 पीतल के सिक्के, थोड़ा सा केसर, थोड़ा सा चना दाल या चना और गुड़ लेकर सभी को उस पीले रंग के कपड़े में बांध दे और फिर उसे उस दिशा में फेंक दें जिस दिशा में आपकी पुत्री का ससुराल है ऐसा करने से माना जाता है कि आप की पुत्री के ससुराल में हमेशा सुख शांति बनी रहती है और किसी प्रकार का कोई मनमुटाव नहीं होता है।


रशीद मसूद भी कोरोना संक्रमित मिले


सहारनपुर l कोरोना वायरस लगातार जनपद में बढ़ता जा रहा है l जनपद में आज पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद काजी रशीद मसूद सहित 138 लोगों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई l सहारनपुर की राजनीति के माहिर खिलाड़ी काजी रसीद मसूद में कोरोना के लक्षण मिलने के बाद उनको दिल्ली हॉस्पिटल में भर्ती किया जायेगाl पूर्व मंत्री काजी रसीद मसूद का पिछले कुछ दिनों से हार्ट ओर किडनी की बीमारी का इलाज चल रहा है l उनको हल्का बुखार आने पर टेस्ट कराया गया जो आज पॉजिटिव आया हैl


नेशनल शूटर बेटी ने की माँ और भाई की हत्या

लखनऊ । नेशनल शूटर बेटी ने गौतमपल्ली में मुख्यमंत्री आवास के पास रेलवे अधिकारी आरडी बाजपेयी की अपनी मां व भाई की गोली मारकर हत्या कर दी। गौतमपल्ली में वीवीआईपी गेस्ट हाउस के सामने उनकी पत्नी मालिनी (45), बेटा सर्वदत्त बाजपेयी (19) व बेटी रहते थे। पता चला कि डिप्रेशन की शिकार बेटी ने ही कमरे में सो रही मां व भाई को मौत के घाट उतार दिया। लड़की ने मां व भाई की हत्या करने की बात कबूल ली।


ऐसे करेंगे श्राद्ध तो मिलेगी पित्र दोष से मुक्ति

*#पितृ_श्राद्ध_आरम्भ*


पूर्णिमा श्राद्ध - 2/9/20, बुधवार


1 प्रतिपदा श्राद्ध - 3/9/20 गुरुवार


2 द्वितीया श्राद्ध - 4/9/20 शुक्रवार


3 तृतीया श्राद्ध- 5/9/20 शनिवार


4 चतुर्थी श्राद्ध-6/9/20 रविवार


5 पंचमी श्राद्ध- 7/9/20 सोमवार


6 षष्ठी श्राद्ध-8/9/20 मंगलवार


7 सप्तमी श्राद्ध- 9/9/20 बुधवार


8 अष्टमी श्राद्ध- 10/9/20 गुरुवार


9 नवमी श्राद्ध- 11/9/20 शुक्रवार


10 दशमी श्राद्ध- 12/9/20 शनिवार


11 एकादशी श्राद्ध- 13/9/20 रविवार


12 द्वादशी श्राद्ध- 14/9/20 सोमवार


13 त्रयोदशी श्राद्ध- 15/9/20 मंगलवार


14 चतुर्दशी श्राद्ध- 16/9/20 बुधवार


15 सर्वपितृ अमावस श्राद्ध 17/9/20 गुरुवार


 


*#घर_के_प्रेत_या_पितर_रुष्ट_होने_के_लक्षण_और_उपाय*


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बहुत जिज्ञासा होती है आखिर ये पितृदोष है क्या? पितृ -दोष शांति के सरल उपाय पितृ या पितृ गण कौन हैं ?आपकी जिज्ञासा को शांत करती विस्तृत प्रस्तुति।


 


पितृ गण हमारे पूर्वज हैं जिनका ऋण हमारे ऊपर है ,क्योंकि उन्होंने कोई ना कोई उपकार हमारे जीवन के लिए किया है मनुष्य लोक से ऊपर पितृ लोक है,पितृ लोक के ऊपर सूर्य लोक है एवं इस से भी ऊपर स्वर्ग लोक है।


 


 आत्मा जब अपने शरीर को त्याग कर सबसे पहले ऊपर उठती है तो वह पितृ लोक में जाती है ,वहाँ हमारे पूर्वज मिलते हैं अगर उस आत्मा के अच्छे पुण्य हैं तो ये हमारे पूर्वज भी उसको प्रणाम कर अपने को धन्य मानते हैं की इस अमुक आत्मा ने हमारे कुल में जन्म लेकर हमें धन्य किया इसके आगे आत्मा अपने पुण्य के आधार पर सूर्य लोक की तरफ बढती है।


 


वहाँ से आगे ,यदि और अधिक पुण्य हैं, तो आत्मा सूर्य लोक को भेज कर स्वर्ग लोक की तरफ चली जाती है,लेकिन करोड़ों में एक आध आत्मा ही ऐसी होती है ,जो परमात्मा में समाहित होती है जिसे दोबारा जन्म नहीं लेना पड़ता मनुष्य लोक एवं पितृ लोक में बहुत सारी आत्माएं पुनः अपनी इच्छा वश ,मोह वश अपने कुल में जन्म लेती हैं।


 


*#पितृ_दोष_क्या_होता_है* ??


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 हमारे ये ही पूर्वज सूक्ष्म व्यापक शरीर से अपने परिवार को जब देखते हैं ,और महसूस करते हैं कि हमारे परिवार के लोग ना तो हमारे प्रति श्रद्धा रखते हैं और न ही इन्हें कोई प्यार या स्नेह है और ना ही किसी भी अवसर पर ये हमको याद करते हैं,ना ही अपने ऋण चुकाने का प्रयास ही करते हैं तो ये आत्माएं दुखी होकर अपने वंशजों को श्राप दे देती हैं,जिसे "पितृ- दोष" कहा जाता है।


 


पितृ दोष एक अदृश्य बाधा है .ये बाधा पितरों द्वारा रुष्ट होने के कारण होती है पितरों के रुष्ट होने के बहुत से कारण हो सकते हैं ,आपके आचरण से,किसी परिजन द्वारा की गयी गलती से ,श्राद्ध आदि कर्म ना करने से ,अंत्येष्टि कर्म आदि में हुई किसी त्रुटि के कारण भी हो सकता है।


 


इसके अलावा मानसिक अवसाद,व्यापार में नुक्सान ,परिश्रम के अनुसार फल न मिलना , विवाह या वैवाहिक जीवन में समस्याएं,कैरिअर में समस्याएं या संक्षिप्त में कहें तो जीवन के हर क्षेत्र में व्यक्ति और उसके परिवार को बाधाओं का सामना करना पड़ता है पितृ दोष होने पर अनुकूल ग्रहों की स्थिति ,गोचर ,दशाएं होने पर भी शुभ फल नहीं मिल पाते,कितना भी पूजा पाठ ,देवी ,देवताओं की अर्चना की जाए ,उसका शुभ फल नहीं मिल पाता।


 


पितृ दोष दो प्रकार से प्रभावित करता है


 


1.अधोगति वाले पितरों के कारण


2.उर्ध्वगति वाले पितरों के कारण


 


अधोगति वाले पितरों के दोषों का मुख्य कारण परिजनों द्वारा किया गया गलत आचरण,की अतृप्त इच्छाएं ,जायदाद के प्रति मोह और उसका गलत लोगों द्वारा उपभोग होने पर,विवाहादिमें परिजनों द्वारा गलत निर्णय .परिवार के किसी प्रियजन को अकारण कष्ट देने पर पितर क्रुद्ध हो जाते हैं ,परिवार जनों को श्राप दे देते हैं और अपनी शक्ति से नकारात्मक फल प्रदान करते हैं।


 


उर्ध्व गति वाले पितर सामान्यतः पितृदोष उत्पन्न नहीं करते ,परन्तु उनका किसी भी रूप में अपमान होने पर अथवा परिवार के पारंपरिक रीति-रिवाजों का निर्वहन नहीं करने पर वह पितृदोष उत्पन्न करते हैं।


 


इनके द्वारा उत्पन्न पितृदोष से व्यक्ति की भौतिक एवं आध्यात्मिक उन्नति बिलकुल बाधित हो जाती है ,फिर चाहे कितने भी प्रयास क्यों ना किये जाएँ ,कितने भी पूजा पाठ क्यों ना किये जाएँ,उनका कोई भी कार्य ये पितृदोष सफल नहीं होने देता। पितृ दोष निवारण के लिए सबसे पहले ये जानना ज़रूरी होता है कि किस गृह के कारण और किस प्रकार का पितृ दोष उत्पन्न हो रहा है ?


 


जन्म पत्रिका और पितृ दोष जन्म पत्रिका में लग्न ,पंचम ,अष्टम और द्वादश भाव से पितृदोष का विचार किया जाता है। पितृ दोष में ग्रहों में मुख्य रूप से सूर्य, चन्द्रमा, गुरु, शनि और राहू -केतु की स्थितियों से पितृ दोष का विचार किया जाता है।


 


इनमें से भी गुरु ,शनि और राहु की भूमिका प्रत्येक पितृ दोष में महत्वपूर्ण होती है इनमें सूर्य से पिता या पितामह , चन्द्रमा से माता या मातामह ,मंगल से भ्राता या भगिनी और शुक्र से पत्नी का विचार किया जाता है।


 


अधिकाँश लोगों की जन्म पत्रिका में मुख्य रूप से क्योंकि गुरु ,शनि और राहु से पीड़ित होने पर ही पितृ दोष उत्पन्न होता है ,इसलिए विभिन्न उपायों को करने के साथ साथ व्यक्ति यदि पंचमुखी ,सातमुखी और आठ मुखी रुद्राक्ष भी धारण कर ले , तो पितृ दोष का निवारण शीघ्र हो जाता है।


 


पितृ दोष निवारण के लिए इन रुद्राक्षों को धारण करने के अतिरिक्त इन ग्रहों के अन्य उपाय जैसे मंत्र जप और स्तोत्रों का पाठ करना भी श्रेष्ठ होता है।


 


*#विभिन्न_ऋण_और_पितृ_दोष*


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हमारे ऊपर मुख्य रूप से 5 ऋण होते हैं जिनका कर्म न करने(ऋण न चुकाने पर ) हमें निश्चित रूप से श्राप मिलता है ,ये ऋण हैं : मातृ ऋण ,पितृ ऋण ,मनुष्य ऋण ,देव ऋण और ऋषि ऋण।


 


मातृ ऋण👉 माता एवं माता पक्ष के सभी लोग जिनमेंमा,मामी ,नाना ,नानी ,मौसा ,मौसी और इनके तीन पीढ़ी के पूर्वज होते हैं ,क्योंकि माँ का स्थान परमात्मा से भी ऊंचा माना गया है अतः यदि माता के प्रति कोई गलत शब्द बोलता है ,अथवा माता के पक्ष को कोई कष्ट देता रहता है,तो इसके फलस्वरूप उसको नाना प्रकार के कष्ट भोगने पड़ते हैं। इतना ही नहीं ,इसके बाद भी कलह और कष्टों का दौर भी परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी चलता ही रहता है।


 


पितृ ऋण👉 पिता पक्ष के लोगों जैसे बाबा ,ताऊ ,चाचा, दादा-दादी और इसके पूर्व की तीन पीढ़ी का श्राप हमारे जीवन को प्रभावित करता है पिता हमें आकाश की तरह छत्रछाया देता है,हमारा जिंदगी भर पालन -पोषण करता है ,और अंतिम समय तक हमारे सारे दुखों को खुद झेलता रहता है।


 


पर आज के के इस भौतिक युग में पिता का सम्मान क्या नयी पीढ़ी कर रही है ?पितृ -भक्ति करना मनुष्य का धर्म है ,इस धर्म का पालन न करने पर उनका श्राप नयी पीढ़ी को झेलना ही पड़ता है ,इसमें घर में आर्थिक अभाव,दरिद्रता ,संतानहीनता ,संतान को विभिन्न प्रकार के कष्ट आना या संतान अपंग रह जाने से जीवन भर कष्ट की प्राप्ति आदि।


 


*#देव_ऋण* 👉 माता-पिता प्रथम देवता हैं,जिसके कारण भगवान गणेश महान बने |इसके बाद हमारे इष्ट भगवान शंकर जी ,दुर्गा माँ ,भगवान विष्णु आदि आते हैं ,जिनको हमारा कुल मानता आ रहा है ,हमारे पूर्वज भी भी अपने अपने कुल देवताओं को मानते थे , लेकिन नयी पीढ़ी ने बिलकुल छोड़ दिया है इसी कारण भगवान /कुलदेवी /कुलदेवता उन्हें नाना प्रकार के कष्ट /श्राप देकर उन्हें अपनी उपस्थिति का आभास कराते हैं।


 


*#ऋषि_ऋण* 👉 जिस ऋषि के गोत्र में पैदा हुए ,वंश वृद्धि की ,उन ऋषियों का नाम अपने नाम के साथ जोड़ने में नयी पीढ़ी कतराती है ,उनके ऋषि तर्पण आदि नहीं करती है इस कारण उनके घरों में कोई मांगलिक कार्य नहीं होते हैं,इसलिए उनका श्राप पीडी दर पीढ़ी प्राप्त होता रहता है।


 


*#मनुष्य_ऋण* 👉 माता -पिता के अतिरिक्त जिन अन्य मनुष्यों ने हमें प्यार दिया ,दुलार दिया ,हमारा ख्याल रखा ,समय समय पर मदद की गाय आदि पशुओं का दूध पिया जिन अनेक मनुष्यों ,पशुओं ,पक्षियों ने हमारी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मदद की ,उनका ऋण भी हमारे ऊपर हो गया।


 


लेकिन लोग आजकल गरीब ,बेबस ,लाचार लोगों की धन संपत्ति हरण करके अपने को ज्यादा गौरवान्वित महसूस करते हैं। इसी कारण देखने में आया है कि ऐसे लोगों का पूरा परिवार जीवन भर नहीं बस पाता है,वंश हीनता ,संतानों का गलत संगति में पड़ जाना,परिवार के सदस्यों का आपस में सामंजस्य न बन पाना ,परिवार कि सदस्यों का किसी असाध्य रोग से ग्रस्त रहना इत्यादि दोष उस परिवार में उत्पन्न हो जाते हैं।


 


ऐसे परिवार को पितृ दोष युक्त या शापित परिवार कहा जाता है रामायण में श्रवण कुमार के माता -पिता के श्राप के कारण दशरथ के परिवार को हमेशा कष्ट झेलना पड़ा,ये जग -ज़ाहिर है इसलिए परिवार कि सर्वोन्नती के पितृ दोषों का निवारण करना बहुत आवश्यक है।


 


*#पितृों_के_रूष्ट_होने_के_लक्षण*


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पितरों के रुष्ट होने के कुछ असामान्‍य लक्षण जो मैंने अपने निजी अनुभव के आधार एकत्रित किए है वे क्रमशः इस प्रकार हो सकते है।


 


*#खाने_में_से_बाल_निकलना*


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अक्सर खाना खाते समय यदि आपके भोजन में से बाल निकलता है तो इसे नजरअंदाज न करें


 


बहुत बार परिवार के किसी एक ही सदस्य के साथ होता है कि उसके खाने में से बाल निकलता है, यह बाल कहां से आया इसका कुछ पता नहीं चलता। यहां तक कि वह व्यक्ति यदि रेस्टोरेंट आदि में भी जाए तो वहां पर भी उसके ही खाने में से बाल निकलता है और परिवार के लोग उसे ही दोषी मानते हुए उसका मजाक तक उडाते है।


 


*#बदबू_या_दुर्गंध*


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कुछ लोगों की समस्या रहती है कि उनके घर से दुर्गंध आती है, यह भी नहीं पता चलता कि दुर्गंध कहां से आ रही है। कई बार इस दुर्गंध के इतने अभ्‍यस्‍त हो जाते है कि उन्हें यह दुर्गंध महसूस भी नहीं होती लेकिन बाहर के लोग उन्हें बताते हैं कि ऐसा हो रहा है अब जबकि परेशानी का स्रोत पता ना चले तो उसका इलाज कैसे संभव है


 


*#पूर्वजों_का_स्वप्न_में_बार_बार_आना*


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मेरे एक मित्र ने बताया कि उनका अपने पिता के साथ झगड़ा हो गया है और वह झगड़ा काफी सालों तक चला पिता ने मरते समय अपने पुत्र से मिलने की इच्छा जाहिर की परंतु पुत्र मिलने नहीं आया, पिता का स्वर्गवास हो गया हुआ। कुछ समय पश्चात मेरे मित्र मेरे पास आते हैं और कहते हैं कि उन्होंने अपने पिता को बिना कपड़ों के देखा है ऐसा स्‍वप्‍न पहले भी कई बार आ चुका है।


 


*#शुभ_कार्य_में_अड़चन*


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कभी-कभी ऐसा होता है कि आप कोई त्यौहार मना रहे हैं या कोई उत्सव आपके घर पर हो रहा है ठीक उसी समय पर कुछ ना कुछ ऐसा घटित हो जाता है कि जिससे रंग में भंग डल जाता है। ऐसी घटना घटित होती है कि खुशी का माहौल बदल जाता है। मेरे कहने का तात्‍पर्य है कि शुभ अवसर पर कुछ अशुभ घटित होना पितरों की असंतुष्टि का संकेत है।


 


*#घर_के_किसी_एक_सदस्य_का_कुंवारा_रह_जाना*


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बहुत बार आपने अपने आसपास या फिर रिश्‍तेदारी में देखा होगा या अनुभव किया होगा कि बहुत अच्‍छा युवक है, कहीं कोई कमी नहीं है लेकिन फिर भी शादी नहीं हो रही है। एक लंबी उम्र निकल जाने के पश्चात भी शादी नहीं हो पाना कोई अच्‍छा संकेत नहीं है। यदि घर में पहले ही किसी कुंवारे व्यक्ति की मृत्यु हो चुकी है तो उपरोक्त स्थिति बनने के आसार बढ़ जाते हैं। इस समस्‍या के कारण का भी पता नहीं चलता।


 


*#मकान_या_प्रॉपर्टी_की_खरीद_फरोख्त_में_दिक्कत_आना*


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आपने देखा होगा कि कि एक बहुत अच्छी प्रॉपर्टी, मकान, दुकान या जमीन का एक हिस्सा किन्ही कारणों से बिक नहीं पा रहा यदि कोई खरीदार मिलता भी है तो बात नहीं बनती। यदि कोई खरीदार मिल भी जाता है और सब कुछ हो जाता है तो अंतिम समय पर सौदा कैंसिल हो जाता है। इस तरह की स्थिति यदि लंबे समय से चली आ रही है तो यह मान लेना चाहिए कि इसके पीछे अवश्य ही कोई ऐसी कोई अतृप्‍त आत्‍मा है जिसका उस भूमि या जमीन के टुकड़े से कोई संबंध रहा हो।


 


*#संतान_ना_होना*


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मेडिकल रिपोर्ट में सब कुछ सामान्य होने के बावजूद संतान सुख से वंचित है हालांकि आपके पूर्वजों का इस से संबंध होना लाजमी नहीं है परंतु ऐसा होना बहुत हद तक संभव है जो भूमि किसी निसंतान व्यक्ति से खरीदी गई हो वह भूमि अपने नए मालिक को संतानहीन बना देती है


 


उपरोक्त सभी प्रकार की घटनाएं या समस्याएं आप में से बहुत से लोगों ने अनुभव की होंगी इसके निवारण के लिए लोग समय और पैसा नष्ट कर देते हैं परंतु समस्या का समाधान नहीं हो पाता। क्या पता हमारे इस लेख से ऐसे ही किसी पीड़ित व्यक्ति को कुछ प्रेरणा मिले इसलिए निवारण भी स्पष्ट कर रहा हूं।


 


*#पितृ_दोष_कि_शांति_के_उपाय *


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1👉 सामान्य उपायों में षोडश पिंड दान ,सर्प पूजा ,ब्राह्मण को गौ -दान ,कन्या -दान,कुआं ,बावड़ी ,तालाब आदि बनवाना ,मंदिर प्रांगण में पीपल ,बड़(बरगद) आदि देव वृक्ष लगवाना एवं विष्णु मन्त्रों का जाप आदि करना ,प्रेत श्राप को दूर करने के लिए श्रीमद्द्भागवत का पाठ करना चाहिए।


 


2👉 वेदों और पुराणों में पितरों की संतुष्टि के लिए मंत्र ,स्तोत्र एवं सूक्तों का वर्णन है जिसके नित्य पठन से किसी भी प्रकार की पितृ बाधा क्यों ना हो ,शांत हो जाती है अगर नित्य पठन संभव ना हो , तो कम से कम प्रत्येक माह की अमावस्या और आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या अर्थात पितृपक्ष में अवश्य करना चाहिए।


वैसे तो कुंडली में किस प्रकार का पितृ दोष है उस पितृ दोष के प्रकार के हिसाब से पितृदोष शांति करवाना अच्छा होता है।


 


3👉 भगवान भोलेनाथ की तस्वीर या प्रतिमा के समक्ष बैठ कर या घर में ही भगवान भोलेनाथ का ध्यान कर निम्न मंत्र की एक माला नित्य जाप करने से समस्त प्रकार के पितृ- दोष संकट बाधा आदि शांत होकर शुभत्व की प्राप्ति होती है |मंत्र जाप प्रातः या सायंकाल कभी भी कर सकते हैं :


 


मंत्र : "ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात।


 


4👉 अमावस्या को पितरों के निमित्त पवित्रता पूर्वक बनाया गया भोजन तथा चावल बूरा ,घी एवं एक रोटी गाय को खिलाने से पितृ दोष शांत होता है।


 


5👉 अपने माता -पिता ,बुजुर्गों का सम्मान,सभी स्त्री कुल का आदर /सम्मान करने और उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करते रहने से पितर हमेशा प्रसन्न रहते हैं।


 


6👉 पितृ दोष जनित संतान कष्ट को दूर करने के लिए "हरिवंश पुराण " का श्रवण करें या स्वयं नियमित रूप से पाठ करें।


 


7👉 प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती या सुन्दर काण्ड का पाठ करने से भी इस दोष में कमी आती है।


 


8👉 सूर्य पिता है अतः ताम्बे के लोटे में जल भर कर ,उसमें लाल फूल ,लाल चन्दन का चूरा ,रोली आदि डाल कर सूर्य देव को अर्घ्य देकर ११ बार "ॐ घृणि सूर्याय नमः " मंत्र का जाप करने से पितरों की प्रसन्नता एवं उनकी ऊर्ध्व गति होती है।


 


9👉 अमावस्या वाले दिन अवश्य अपने पूर्वजों के नाम दुग्ध ,चीनी ,सफ़ेद कपडा ,दक्षिणा आदि किसी मंदिर में अथवा किसी योग्य ब्राह्मण को दान करना चाहिए।


 


10👉 पितृ पक्ष में पीपल की परिक्रमा अवश्य करें अगर १०८ परिक्रमा लगाई जाएँ ,तो पितृ दोष अवश्य दूर होगा।


 


*#विशिष्ट_उपाय* :


 


1👉 किसी मंदिर के परिसर में पीपल अथवा बड़ का वृक्ष लगाएं और रोज़ उसमें जल डालें ,उसकी देख -भाल करें ,जैसे-जैसे वृक्ष फलता -फूलता जाएगा,पितृ -दोष दूर होता जाएगा,क्योकि इन वृक्षों पर ही सारे देवी -देवता ,इतर -योनियाँ ,पितर आदि निवास करते हैं।


 


2👉 यदि आपने किसी का हक छीना है,या किसी मजबूर व्यक्ति की धन संपत्ति का हरण किया है,तो उसका हक या संपत्ति उसको अवश्य लौटा दें।


 


3👉 पितृ दोष से पीड़ित व्यक्ति को किसी भी एक अमावस्या से लेकर दूसरी अमावस्या तक अर्थात एक माह तक किसी पीपल के वृक्ष के नीचे सूर्योदय काल में एक शुद्ध घी का दीपक लगाना चाहिए,ये क्रम टूटना नहीं चाहिए।


 


एक माह बीतने पर जो अमावस्या आये उस दिन एक प्रयोग और करें 


 


इसके लिए किसी देसी गाय या दूध देने वाली गाय का थोडा सा गौ -मूत्र प्राप्त करें उसे थोड़े जल में मिलाकर इस जल को पीपल वृक्ष की जड़ों में डाल दें इसके बाद पीपल वृक्ष के नीचे ५ अगरबत्ती ,एक नारियल और शुद्ध घी का दीपक लगाकर अपने पूर्वजों से श्रद्धा पूर्वक अपने कल्याण की कामना करें,और घर आकर उसी दिन दोपहर में कुछ गरीबों को भोजन करा दें ऐसा करने पर पितृ दोष शांत हो जायेगा।


 


4👉 घर में कुआं हो या पीने का पानी रखने की जगह हो ,उस जगह की शुद्धता का विशेष ध्यान रखें,क्योंके ये पितृ स्थान माना जाता है इसके अलावा पशुओं के लिए पीने का पानी भरवाने तथा प्याऊ लगवाने अथवा आवारा कुत्तों को जलेबी खिलाने से भी पितृ दोष शांत होता है।


 


5 👉 अगर पितृ दोष के कारण अत्यधिक परेशानी हो,संतान हानि हो या संतान को कष्ट हो तो किसी शुभ समय अपने पितरों को प्रणाम कर उनसे प्रण होने की प्रार्थना करें और अपने द्वारा जाने-अनजाने में किये गए अपराध / उपेक्षा के लिए क्षमा याचना करें ,फिर घर अथवा शिवालय में पितृ गायत्री मंत्र का सवा लाख विधि से जाप कराएं जाप के उपरांत दशांश हवन के बाद संकल्प ले की इसका पूर्ण फल पितरों को प्राप्त हो ऐसा करने से पितर अत्यंत प्रसन्न होते हैं ,क्योंके उनकी मुक्ति का मार्ग आपने प्रशस्त किया होता है।


 


6👉 पितृ दोष की शांति हेतु ये उपाय बहुत ही अनुभूत और अचूक फल देने वाला देखा गया है,वोह ये कि- किसी गरीब की कन्या के विवाह में गुप्त रूप से अथवा प्रत्यक्ष रूप से आर्थिक सहयोग करना |(लेकिन ये सहयोग पूरे दिल से होना चाहिए ,केवल दिखावे या अपनी बढ़ाई कराने के लिए नहीं )|इस से पितर अत्यंत प्रसन्न होते हैं ,क्योंकि इसके परिणाम स्वरुप मिलने वाले पुण्य फल से पितरों को बल और तेज़ मिलता है ,जिस से वह ऊर्ध्व लोकों की ओरगति करते हुए पुण्य लोकों को प्राप्त होते हैं.|


 


7👉 अगर किसी विशेष कामना को लेकर किसी परिजन की आत्मा पितृ दोष उत्पन्न करती है तो तो ऐसी स्थिति में मोह को त्याग कर उसकी सदगति के लिए "गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र " का पाठ करना चाहिए।


 


8👉 पितृ दोष दूर करने का अत्यंत सरल उपाय : इसके लिए सम्बंधित व्यक्ति को अपने घर के वायव्य कोण (N -W )में नित्य सरसों का तेल में बराबर मात्रा में अगर का तेल मिलाकर दीपक पूरे पितृ पक्ष में नित्य लगाना चाहिए+दिया पीतल का हो तो ज्यादा अच्छा है ,दीपक कम से कम 10 मिनट नित्य जलना आवश्यक है।


 


इन उपायों के अतिरिक्त वर्ष की प्रत्येक अमावस्या को दोपहर के समय गूगल की धूनी पूरे घर में सब जगह घुमाएं ,शाम को आंध्र होने के बाद पितरों के निमित्त शुद्ध भोजन बनाकर एक दोने में साड़ी सामग्री रख कर किसी बबूल के वृक्ष अथवा पीपल या बड़ किजद में रख कर आ जाएँ,पीछे मुड़कर न देखें। नित्य प्रति घर में देसी कपूर जाया करें। ये कुछ ऐसे उपाय हैं,जो सरल भी हैं और प्रभावी भी,और हर कोई सरलता से इन्हें कर पितृ दोषों से मुक्ति पा सकता है। लेकिन किसी भी प्रयोग की सफलता आपकी पितरों के प्रति श्रद्धा के ऊपर निर्भर करती है।


 


*#पितृदोष_निवारण_के_लिए_करें_विशेष_उपाय* ( *#नारायणबलि_नागबलि* )


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अक्सर हम देखते हैं कि कई लोगों के जीवन में परेशानियां समाप्त होने का नाम ही नहीं लेती। वे चाहे जितना भी समय और धन खर्च कर लें लेकिन काम सफल नहीं होता। ऐसे लोगों की कुंडली में निश्चित रूप से पितृदोष होता है।


 


यह दोषी पीढ़ी दर पीढ़ी कष्ट पहुंचाता रहता है, जब तक कि इसका विधि-विधानपूर्वक निवारण न किया जाए। आने वाली पीढ़ीयों को भी कष्ट देता है। इस दोष के निवारण के लिए कुछ विशेष दिन और समय तय हैं जिनमें इसका पूर्ण निवारण होता है। श्राद्ध पक्ष यही अवसर है जब पितृदोष से मुक्ति पाई जा सकती है। इस दोष के निवारण के लिए शास्त्रों में नारायणबलि का विधान बताया गया है। इसी तरह नागबलि भी होती है।


 


*#क्या_है_नारायणबलि_और_नागबलि*


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नारायणबलि और नागबलि दोनों विधि मनुष्य की अपूर्ण इच्छाओं और अपूर्ण कामनाओं की पूर्ति के लिए की जाती है। इसलिए दोनों को काम्य कहा जाता है। नारायणबलि और नागबलि दो अलग-अलग विधियां हैं। नारायणबलि का मुख्य उद्देश्य पितृदोष निवारण करना है और नागबलि का उद्देश्य सर्प या नाग की हत्या के दोष का निवारण करना है। इनमें से कोई भी एक विधि करने से उद्देश्य पूरा नहीं होता इसलिए दोनों को एक साथ ही संपन्न करना पड़ता है।


 


*#इन_कारणों_से_की_जाती_है_नारायणबलि_पूजा*


 


जिस परिवार के किसी सदस्य या पूर्वज का ठीक प्रकार से अंतिम संस्कार, पिंडदान और तर्पण नहीं हुआ हो उनकी आगामी पीढि़यों में पितृदोष उत्पन्न होता है। ऐसे व्यक्तियों का संपूर्ण जीवन कष्टमय रहता है, जब तक कि पितरों के निमित्त नारायणबलि विधान न किया जाए।प्रेतयोनी से होने वाली पीड़ा दूर करने के लिए नारायणबलि की जाती है।परिवार के किसी सदस्य की आकस्मिक मृत्यु हुई हो। आत्महत्या, पानी में डूबने से, आग में जलने से, दुर्घटना में मृत्यु होने से ऐसा दोष उत्पन्न होता है।


 


*#क्यों_की_जाती_है_यह_पूजा* ...?


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शास्त्रों में पितृदोष निवारण के लिए नारायणबलि-नागबलि कर्म करने का विधान है। यह कर्म किस प्रकार और कौन कर सकता है इसकी पूर्ण जानकारी होना भी जरूरी है। यह कर्म प्रत्येक वह व्यक्ति कर सकता है जो अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहता है। जिन जातकों के माता-पिता जीवित हैं वे भी यह विधान कर सकते हैं।संतान प्राप्ति, वंश वृद्धि, कर्ज मुक्ति, कार्यों में आ रही बाधाओं के निवारण के लिए यह कर्म पत्नी सहित करना चाहिए। यदि पत्नी जीवित न हो तो कुल के उद्धार के लिए पत्नी के बिना भी यह कर्म किया जा सकता है।यदि पत्नी गर्भवती हो तो गर्भ धारण से पांचवें महीने तक यह कर्म किया जा सकता है। घर में कोई भी मांगलिक कार्य हो तो ये कर्म एक साल तक नहीं किए जा सकते हैं। माता-पिता की मृत्यु होने पर भी एक साल तक यह कर्म करना निषिद्ध माना गया है।


 


*#कब_नहीं_की_जा_सकती_है_नारायणबलि_नागबलि*


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नारायणबलि गुरु, शुक्र के अस्त होने पर नहीं किए जाने चाहिए। लेकिन प्रमुख ग्रंथ निर्णण सिंधु के मतानुसार इस कर्म के लिए केवल नक्षत्रों के गुण व दोष देखना ही उचित है। नारायणबलि कर्म के लिए धनिष्ठा पंचक और त्रिपाद नक्षत्र को निषिद्ध माना गया है।धनिष्ठा नक्षत्र के अंतिम दो चरण, शततारका, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद एवं रेवती, इन साढ़े चार नक्षत्रों को धनिष्ठा पंचक कहा जाता है। कृतिका, पुनर्वसु, विशाखा, उत्तराषाढ़ा और उत्तराभाद्रपद ये छह नक्षत्र त्रिपाद नक्षत्र माने गए हैं। इनके अलावा सभी समय यह कर्म किया जा सकता है।


 


*#पितृपक्ष_सर्वाधिक_श्रेष्ठ_समय*


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नारायणबलि- नागबलि के लिए पितृपक्ष सर्वाधिक श्रेष्ठ समय बताया गया है। इसमें किसी योग्य पुरोहित से समय निकलवाकर यह कर्म करवाना चाहिए। यह कर्म गंगा तट अथवा अन्य किसी नदी सरोवर के किनारे में भी संपन्न कराया जाता है। संपूर्ण पूजा तीन दिनों की होती है।


संकलित


*श्री पित्रलोक अधीश्वर अर्यमा पित्रराजाय नमः*


       *जय श्री राम जी*


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