मुजफ्फरनगर। श्री आदर्श रामलीला भवन सेवा समिति के तत्वाधान में स्थानीय कलाकारों के द्वारा आयोजित किये जा रहे 48वें श्री रामलीला महोत्सव के छठे दिवस पर गत रात्रि भगवान श्री राम को अयोध्या से वनवास की लीला का सुंदर और भावपूर्ण मंचन किया गया। वनवास लीला के दौरान राजा दशरथ का प्रभु श्री राम के मोह में व्याकुल होना सभी दर्शकों को भाव विभोर करने वाला साबित रहा।
श्री आदर्श रामलीला भवन सेवा समिति पटेल नगर के द्वारा बीपी रात श्री रामलीला महोत्सव के अंतर्गत वनवास लीला का सुंदर प्रस्तुतिकरण किया गया। रामलीला महोत्सव में वनवास लीला का शुभारंभ मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए नगर पालिका परिषद के सभासद अमित पटपटिया, मनी पटपटिया, राहुल पवार, राखी पवार, नवनीत गुप्ता गरिमा गुप्ता एवं सभासद प्रशांत गौतम ने भगवान श्री गणेश की आरती तथा दीप प्रज्वलित कर किया। रामलीला महोत्सव कार्यक्रम संयोजक पूर्व सभासद विकल्प जैन एवं उनकी पत्नी पालिका सभासद सीमा जैन द्वारा पटका पहनाकर स्वागत किया गया। श्री आदर्श रामलीला कमेटी के मुख्य प्रबंधक अनिल ऐरन एवं मीणा ऐरन ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह एवं मिष्ठान देकर सम्मानित किया।
श्री रामलीला महोत्सव में गत रात्रि की लीला का शुभारंभ जनकपुरी से भगवान श्री राम की बारात अयोध्या में प्रवेश करने के भव्य समारोह के साथ हुआ। भगवान श्री राम गुरु वशिष्ट के साथ जनक जननी जानकी मां सीता को स्वयंवर में जीतने के उपरांत उन्हें दुल्हन के रूप में लेकर अयोध्या पहुंचते हैं तो चारों ओर हर्ष और उल्लास का माहौल नजर आता है। पूरी अयोध्या में मंगल गान होते हैं। प्रभु श्री राम की बारात का दृश्य सभी को रोमांचित करता रहा इस दौरान गलियों को लाइटों से की गई आकर्षक साज सजा में तब्दील किया गया था। अयोध्या में पूरी तरह से मंगल और आनंद छाया है और सभी को भगवान श्री राम की बारात देखने का मंगल अवसर प्राप्त होता है। माता कौशल्या अपने पुत्र और पुत्र वधू की आरती उतारती है। सभी इस हर्ष को प्रदर्शित करने के लिए नाश्ते और झूमते हैं राजा दशरथ भी परिवार में छाए इस मंगल आनंद के कारण हर्षित नजर आते हैं। राजा दशरथ के अभिनय में रामलीला के मुख्य निर्देशक पंकज शर्मा ने बहुत ही भावुक अभिनय किया गुरु वशिष्ठ राजेश कुमार अपने अभिनय से सभी को प्रभावित करते रहे। इसके पश्चात देवासुर संग्राम लीला का मंचन भी रोमांचकारी रहा असुरों के हमले से राजा दशरथ के अपने रण कौशल के कारण जीवन को बचाने वाली महारानी कैकई को राजा दशरथ युद्ध स्थल पर ही दो वरदान मांगने के लिए कहते हैं लेकिन कैकई अपने इन दो वरदान को राजा दशरथ के पास धरोहर के रूप में शेष छोड़ देती हैं। बाद में जब राजा दशरथ गुरु वशिष्ट के साथ विचार विमर्श के उपरांत श्री राम के राज्याभिषेक का ऐलान अयोध्या में करवाते हैं तो दासी मंथरा केके को अपने कपटी विचारों से प्रभावित करते हुए गलत सीख देकर रघुकुल की खुशियों को ग्रहण लगा देती है। महारानी केके राजा दशरथ से अपने दो धरोहर वरदान मांगती है। एक में अपने पुत्र भरत के लिए अयोध्या का सिंहासन और दूसरे वरदान में प्रभु श्री राम को 14 वर्ष का वनवास मांगते ही राजा दशरथ व्याकुल होते हैं। प्रभु श्री राम 14 वर्ष के वनवास को शहर से स्वीकार करते हैं और अयोध्या छोड़कर जाने लगते हैं तो उनके साथ माता सीता और उनके अनुज भ्राता लक्ष्मण भी मुनिवेश में अयोध्या छोड़कर वनों की ओर गमन कर जाते हैं। रामलीला महोत्सव के समर्थन के दौरान समस्त कलाकारों ने अपने कला अभिनय के बल पर एक विशिष्ट प्रतिभा को प्रदर्शित किया उनके अभिनय की सभी ने तालियां बजाकर प्रशंसा की।
श्री आदर्श रामलीला भवन सेवा समिति के अध्यक्ष गोपाल चैधरी, मुख्य प्रबंधक अनिल ऐरन, कार्यक्रम संयोजक सभासद विकल्प जैन, महामंत्री सुरेंद्र मंगल, मंत्री जितेंद्र कुच्छल, प्रमोद गुप्ता, धर्मेंद्र पंवार नीटू, मुख्य निर्देशक विजय मित्तल, पंकज शर्मा, निर्देशक अमित भारद्वाज, गोविंद शर्मा, नारायण ऐरन, ज्योति ऐरन, कामिनी भारद्वाज, मीना ऐरन, कन्दर्प ऐरन, जितेंद्र नामदेव, विनय गुप्ता टिंकू, पीयूष शर्मा, राकेश बंसल, अनिल गोयल, राकेश मित्तल, अंशुल गुप्ता, विपुल मोहन, अज्जू जैन, आकाश गोयल, गौरव मित्तल, अनुराग अग्रवाल एडवोकेट आदि व्यवस्था बनाने में सहयोग कर रहे हैं। इनमें से कई पदाधिकारी मंझे हुए कलाकार हैं, जो रामायण में विभिन्न पात्रों का स्वरूप धारण कर मंचीय प्रस्तुति का दायित्व भी निभा रहे हैं।
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