शनिवार, 14 अक्टूबर 2023

जिस मार्ग से माता वैष्णो देवी गई थीं, आजादी के बाद पहली बार खुलेगा

 


जम्मू। मां वैष्णो देवी के दर्शनों को आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आजादी के बाद पहली बार यात्रा के उस प्राचीन व पारंपरिक मार्ग को खोला जा रहा है जिस मार्ग से मां वैष्णो त्रिकूट पर्वत गईं थीं।

जम्मू से 13 किलोमीटर दूर नगरोटा कोल कंडोली मंदिर से देवा माई कटड़ा तक इस 25 किमी रास्ते पर देश के विभाजन से पहले बने कई प्राचीन मंदिर हैं। मान्यता है कि इन मंदिरों के दर्शन किए बिना मां वैष्णो देवी की यात्रा अधूरी है। अभी भी अखनूर, जम्मू व उसके साथ लगते इलाकों के लोग जो इस मार्ग से परिचित हैं, यहीं से होते हुए मां वैष्णो देवी के दर्शनों के लिए कटरा पहुंचते हैं। विभाजन से पहले चैत्र नवरात्र पर हर वर्ष इसी मार्ग से यात्रा की शुरूआत की जाती थी। दुर्गम यात्रा होने की वजह से इस मार्ग को केवल चालीस दिन के लिए ही श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता था। अधिकांश श्रद्धालु पाकिस्तान के सियालकोट, लाहौर, कराची सहित देश के दूसरे राज्यों से यात्रा में आते थे। कौल कंडोली मंदिर में मां के आशीर्वाद के साथ श्रद्धालु दुर्गम यात्रा आरंभ करते थे। शुरूआत में यह मार्ग वीरान था और पीने की पानी की भी कोई व्यवस्था नहीं हुआ करती थी, जिसके बाद कुछ धर्मप्रेमी लोगों ने इस पारंपरिक मार्ग पर आकर्षक मंदिर, सराय, कुओं का निर्माण किया ताकि पैदल व घोड़ों पर आने वाले श्रद्धालु थकान दूर करने के साथ मीठा जल पीकर प्यास बुझा सकें। 

इस प्राचीन मार्ग पर कई मंदिर हैं, जो काफी पुराने हैं। इनमें मां वैष्णो देवी मंदिर पंगोली, ठंडा पानी, शिव शक्ति मंदिर मढ़-द्रावी, राजा मंडलीक मंदिर, काली माता मंदिर गुण्डला, प्राचीन शिव मंदिर बम्याल, देवा माई शामिल हैं। मार्ग के दोनों ओर चीड़ के पेड़ और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर नजारे तथा ऐतिहासिक मंदिर रास्ते को आकर्षित बनाते हैं। भारत पाक बंटवारे के बाद यह मार्ग यात्रा के लिए बंद कर दिया गया लेकिन स्थानीय लोगों के प्रयासों से इसे दोबारा खोला जा रहा है। 

मान्यता के अनुसार इसी मार्ग से मां वैष्णो त्रिकूट पर्वत गईं थीं। इस मार्ग पर सबसे पहले दर्शन कौल कंडोली माता के होते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार द्वापर युग में माता ने यहां पर पांच वर्ष की उम्र में कन्या के रूप में प्रकट हुईं। इसी स्थान पर 12 वर्ष तक तपस्या की और तपस्या वाले स्थान पर पिंडी रूप धारण किया। ऐसी मान्यता है कौल कंडोली माता मंदिर के दर्शन किए बिना यह यात्रा पूरी नहीं होती है। 

पारंपरिक मार्ग पर पड़ने वाले पंगाली गांव में आज भी 137 साल पहले लाहौर पाकिस्तान के प्रसिद्ध हकीम लाला सुरजन अरोड़ा व उनकी पत्नी शिवदई द्वारा बनाया गया मां दुर्गा का मंदिर, सराय व कुआं मौजूद है। मंदिर का रखरखाव मां वैष्णो के परम भगत श्रीधर के वंशज कर रहे हैं।

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