शनिवार, 10 जुलाई 2021

गुप्त नवरात्र 11 जुलाई से


 महामृत्युंजय सेवा मिशन अध्यक्ष पंडित संजीव शंकर ने बताया कि वैदिक धर्म में एक वर्ष में कुल 4 नवरात्रे मनाने की परंपर है। इनमें से दो प्रकट एवं दो गुप्त नवरात्रे होते हैं। गुप्त नवरात्रे साल में माघ एवं आषाढ़ मास में पड़ते हैं। इस साल जुलाई महीने की 11 तारीख को आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्रे शुरू हो रहे हैं। हिंदू धर्म में गुप्त नवरात्रों का विशेष महत्व बताया गया है। इस नवरात्रि में तांत्रिक और सात्विक दोनों प्रकार की पूजा की जाती है। इस बार यह नवरात्रे 18 जुलाई 2021 दिन रविवार को समाप्त होंगे। गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के साथ तांत्रिक 10 महाविद्याओं को प्रसन्न करने के लिए पूजा की जाती है

*आषाढ़ मास के गुप्त नवरत्र की घटस्थापना मुहूर्त*

11 जुलाई 2021 रविवार को घट स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 05ः31 से सुबह 07ः47 (अवधि 2 घंटे 16 मिनट) है। घट स्थापना का अभिजित मुहूर्त सुबह 11ः59 से दोपहर 12ः54 तक का है। प्रतिपदा तिथि 10 जुलाई 2021 को सुबह 06ः46 मिनट से शुरू होकर 11 जुलाई 2021 को सुबह 07ः47 मिनट पर समाप्त होगी

*गुप्त नवरात्रि कथा-*

गुप्त नवरात्रि से जुड़ी प्रामाणिक एवं प्राचीन कथा के अनुसार एक समय श्रृंगी ऋषि भक्तजनों को दर्शन दे रहे थे। अचानक भीड़ में से एक स्त्री निकलकर आई और हाथ जोड़कर ऋषि श्रृंगी से बोली कि मेरे पति दुर्व्यसनों से सदा घिरे रहते हैं जिस कारण मैं कोई पूजा-पाठ नहीं कर पाती। धर्म और भक्ति से जुड़े पवित्र कार्यों का संपादन भी नहीं कर पाती। यहां तक कि ऋषियों को उनके हिस्से का अन्न भी समर्पित नहीं कर पाती।

मेरा पति मांसाहारी हैं, जुआरी है, लेकिन मैं मां दुर्गा की सेवा करना चाहती हूं, उनकी भक्ति-साधना से अपने और परिवार के जीवन को सफल बनाना चाहती हूं। ऋषि श्रृंगी महिला के भक्तिभाव से बहुत प्रभावित हुए। ऋषि ने उस स्त्री को आदरपूर्वक उपाय बताते हुए कहा कि वासंतिक और शारदीय नवरात्रों से तो आम जनमानस परिचित है, लेकिन इसके अतिरिक्त 2 नवरात्रि और भी होते हैं जिन्हें ’गुप्त नवरात्रि’ कहा जाता है।

उन्होंने कहा कि प्रकट नवरात्रों में 9 देवियों की उपासना होती है और गुप्त नवरात्रों में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है। इन नवरात्रों की प्रमुख देवी स्वरूप का नाम सर्वैश्वर्यकारिणी देवी है। यदि इन गुप्त नवरात्रि में कोई भी भक्त माता दुर्गा की पूजा-साधना करता है, तो मां उसके जीवन को सफल कर देती हैं।

श्रृंगी ऋषि ने आगे कहा कि लोभी, कामी, व्यसनी, मांसाहारी अथवा पूजा-पाठ न कर सकने वाला भी यदि गुप्त नवरात्रों में माता की पूजा करता है, तो उसे जीवन में कुछ और करने की आवश्यकता ही नहीं रहती। उस स्त्री ने ऋषि श्रृंगी के वचनों पर पूर्ण श्रद्धा करते हुए गुप्त नवरात्रि की पूजा की। मां उस पर प्रसन्न हुईं और उस स्त्री के जीवन में परिवर्तन आने लगा। उसके घर में सुख-शांति आ गई। उसका पति  जो गलत रास्ते पर था, सही मार्ग पर आ गया। गुप्त नवरात्रि की माता की आराधना करने से उनका जीवन पुनः सामान्य हो गया।

*पीतांबरा रुद्राक्ष केंद्र*

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