शुक्रवार, 1 जनवरी 2021

नववर्ष का तोहफा 'बहुरूपिया'


 साहित्य-जगत् में यह हर्ष का विषय है नव वर्ष के मौके पर प्रो.असलम जमशेदपुरी के नवीन कहानी संग्रह 'बहुरूपिया' को रवि पॉकेट बुक्स,मेरठ ने तोहफे के रूप में पेश किया है।

कहानी संग्रह में कुल 14 कहानियां हैं , जो समय - समाज के वैविध्य और विसंगतियों को बयान करने में सफल सिद्ध हुई हैं। संकलन की कहानियाँ उर्दू के क्षेत्र में राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कर चुकी हैं। 'लैण्ड्रा' और 'ईदगाह से वापसी' कहानियों पर जम्मू-कश्मीर विश्वविद्यालय, रांची विश्वविद्यालय और गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी में शोध कार्य चल रहा है। 'ईदगाह से वापसी'और 'दुख निकलवा' कहानियाँ कथा-सम्राट मुंशी प्रेमचंद की याद दिलाती हैं। संग्रह की भूमिका में डॉ.प्रज्ञा पाठक (एसोसिएट प्रोफेसर एन.एस.कॉलेज मेरठ) कहती हैं  कि 'बहुरूपिया'में बहुरंगी धज की कहानियाँ हैं। इन कहानियों में समाज के विभिन्न हिस्सों और वर्गों के लोग हैं। पढ़े-लिखे हैं, तो बेपढ़े भी हैं,शहरों के हैं तो गांवों के भी हैं, मालिक है तो नौकर भी हैं, देसी हैं, विदेशी हैं, हिंदू हैं, मुसलमान हैं, स्त्री हैं, पुरुष हैं, बुलंदशहरी हैं, तो इलाहाबादी भी हैं। शोषण, बेरोजगारी और गरीबी है, तो अपने प्राण देकर भी रवायतों को निभाने वाले और बाअदब- खानदानी लोग भी हैं। गरज़ यह है कि एक बहुवर्णी समाज जिसके वैविध्य को एकरूपता के ताने-बाने में कसने की कवायद आज के समय में दिखाई देती हैं, वह इन कहानियों में अपनी वास्तविक और बहुरंगी रूप में मौजूद है।

संकलन की बहुचर्चित कहानियाँ हैं -'पानी-पानी', 'बहरूपिया','दुख निकलवा', 'ईदगाह से वापसी', 'तेरी सादगी के पीछे' 'लंबा आदमी', 'लैंण्ड्रा'आदि। संकलन की कहानियों विषय में खुद लेखक प्रो.जमशेदपुरी कहते हैं कि "आजकल हर तरफ रूप बदलते लोग हैं,जो पल- पल अपना रूप बदलते रहते हैं। राजनेताओं का तो इस मामले में कोई जवाब ही नहीं। इसीलिए मैंने अपनी पुस्तक का शीर्षक 'बहुरूपिया' रखा है। वास्तव में ये मेरी नवीन कहानियों का संकलन है। इसकी अधिकतर कहानियाँ आज का सच हैं, ऐसा सच जिससे हम रोज जूझते हैं। यह कड़वा घूंट आपको भी पीना पड़ेगा, इनको पढ़ने की शक्ल में। कहानियाँ हमारे समाज की तस्वीरें ही तो होती हैं। समाज का चेहरा इनमें नजर आता है।आस-पास देश-प्रदेश ही नहीं वर्तमान भी कहानियों में साँसें लेता नजर आता है।"

 उर्दू विभाग चौ.चरण सिंह विश्वविद्यालय के डॉ. आसिफ अली, डॉ.शादाब अलीम, डॉ.अलका वशिष्ठ,डॉ. इरशाद अली,

मो.शमशाद और नगर साहित्यप्रेमियों 

आदि ने प्रो. असलम जमशेदपुर को नवीन संग्रह के प्रकाशन की बधाई पेश की तथा उनके शीघ्र स्वस्थ होने की दुआएँ की। वास्तव में 'बहुरूपिया' कहानी-संग्रह जीवन के रंग-बिरंगे रूपों का गुलदस्ता है, जो पाठकों को निश्चित रूप से प्रभावित करेगा और नई दिशा प्रदान करेगा।


द्वारा

डॉ.अलका वशिष्ठ

प्रवक्ता उर्दू विभाग

सीसीएसयू,मेरठ।

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