रविवार, 20 दिसंबर 2020

अचानक गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब पहुंचे मोदी, दी गुरु तेगबहादुर को श्रद्धांजलि


नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक निर्धारित यात्रा के तहत दिल्ली में गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब का दौरा किया और और अपने सर्वोच्च बलिदान के लिए गुरु तेग बहादुर को श्रद्धांजलि दी। हिंद की चादर का बलिदान दिवस आज है। प्रधानमंत्री मोदी की गुरुद्वारा रकाबगंज की यात्रा के दौरान, आम आदमी के लिए पुलिस का कोई खास बंदोबस्त या ट्रैफिक अवरोध नहीं था। यह जानकारी सूत्रों ने दी।प्रधानमंत्री मोदी ने सिख गुरु के शहीदी दिवस पर पंजाबी में ट्वीट किया। साल 1621 में जन्मे सिखों के नौवें गुरु तेगबहादुर 1675 में दिल्ली में शहीद हो गए थे। प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा, 'श्री गुरु तेग बहादुर जी का जीवन साहस और करुणा का प्रतीक है। महान श्री गुरु तेग बहादुर के शहीदी दिवस पर मैं उन्हें नमन करता हूं और समावेशी समाज के उनके विचारों को याद करता हूं।'
गुरु तेग बहादुर सिखों के दस गुरुओं में से नौंवे थे। 17वीं शताब्दी (1621 से 1675) के दौरान उन्होंने सिख धर्म का प्रचार किया। वे दसवें गुरु गोविंद सिंह के पिता भी थे। सिखों के गुरु के तौर पर उनका कार्यकाल 1665 से 1675 तक रहा। उन्होंने धर्म का प्रचार करने के लिए पूरे उत्तर और पूर्वी भारत का भ्रमण किया। उन्होंने मुगल साम्राज्य के अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद की थी। अपने अनुयायियों के विश्वास और धार्मिक स्वतंत्रता और अधिकारों की रक्षा के लिए उन्होंने अपने प्राणों का बलिदान कर दिया था। इसी कारण उन्हें हिंद दी चादर भी कहा जाता है।

विश्व इतिहास में धर्म और मानवीय मूल्यों, आदर्शों एवं सिद्धांत की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वालों में गुरु तेग बहादुर साहब का स्थान अद्वितीय रहा है। गुरु तेग बहादुर का जन्म पंजाब के अमृतसर में गुरु हरगोबिंद साहिब जी के घर हुआ था। बचपन में उनका नाम त्यागमल था। वे बाल्यकाल से ही धार्मिक, निर्भीक, विचारवान और दयालु स्वभाव के थे। 

सन् 1675 में धर्म की रक्षा के लिए गुरु तेगबहादुर ने अपना बलिदान दिया था। मुगल बादशाह औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर जी को मौत की सजा सुनाई थी क्योंकि गुरु तेग बहादुर ने इस्लाम धर्म को अपनाने से इनकार कर दिया था। इसके बाद मुगल बादशाह के आदेश पर सबके सामने गुरु जी का सिर कलम कर दिया गया था।

दिल्ली स्थित गुरुद्वारा शीश गंज साहिब और गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब उनके सर्वोच्च बलिदान का प्रतीक स्थल हैं। दरअसल, गुरु तेगबहादुर की याद में उनके शहीदी स्थल पर जो गुरुद्वारा बना है, उसे गुरुद्वारा शीश गंज साहिब के नाम से जाना जाता है। वहीं गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब में गुरु तेगबहादुर का अंतिम संस्कार किया गया था।

बता दें कि दिल्ली बॉर्डरों पर कृषि कानूनों के विरोध में पआदर्शन कर रहे किसान भी 20 दिसंबर यानी आज श्रद्धांजलि दिवस का आयोजन कर रहे हैं, नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी आंदोलन में जान गंवाने वालों की याद में देशभर के किसान 'श्रद्धांजलि दिवस' के रूप में मनाएंगे। इस दौरान प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया जाएगा।

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