गुरुवार, 24 दिसंबर 2020

ऐसे ही नहीं होती तुलसी की पूजा


➨ मिर्गी और कोमा की स्थिति में तुलसी के रस में सेंधा नमक मिलाकर नाक में डालें । स्वास्थ्य में जल्दी सुधार होता है । सर्दियों के दिनों में गरम पानी में रखकर फिर डालें ।


➨ एक चुटकी तुलसी बीज रात को पानी में भिगो दें । अगले दिन सुबह खाली पेट खायें, बुढ़ापा जल्दी नहीं आयेगा, ब्रह्मचर्य की रक्षा होगी ।


➨ तुलसी की माला गले में धारण करने से शरीर में विद्युत शक्ति का संचार अच्छा होता है । जीवन शक्ति बढ़ती है, शरीर में ओज-तेज बना रहता है ।


➨ तुलसी की माला धारण करके किया गया शुभ कर्म अनंत फल देता है ।


➨ कफजन्य रोग, दमा, अस्थमा आदि रोगों में तुलसी वरदानस्वरूप है ।


➨ तुलसी की जड़ या जड़ों के मनके की माला कमर में बांधने से गर्भवती स्त्रियों को विशेष लाभ होता है, प्रसव की पीड़ा नहीं होती ।


➨ नियमित रूप से तुलसी का सेवन करने से ट्यूमर आदि नहीं बनता । अनगिनत बीमारियाँ तो मात्र तुलसी की माला पहनने से ही दूर हो जाती हैं ।


➨ 10 ग्राम तुलसी का रस और 10 ग्राम शहद/10 ग्राम तुलसी का रस और 50 ग्राम ताजा दही का सेवन करने से कैंसर रोग में राहत मिलती है ।

➨ विश्वभर के फूलों और पत्तों से जितनी भी दवाइयाँ बनती हैं और उनसे जितना आरोग्य प्राप्त होता है, उतना ही आरोग्य तुलसी से आधे पत्ते से मिल जाता है ।


➨ तुलसी के निकट रहने से मन शांत रहता है, क्रोध जल्दी नहीं आता ।


➨ फ्रेंच वैज्ञानिक डॉ. विक्टर रेसिन ने कहा कि इससे हिमोग्लोबिन बढ़ता है, लिवर नियंत्रित होता है, कोलेस्ट्रोल कंट्रोल होता है । कई प्रकार के बुखार मलेरिया, टाइफाइड आदि दूर होते हैं । हृदय रोगों में विशेष लाभकारी है ।


➨ दरिद्रता मिटाने के लिए अमावस्या और 25 दिसंबर के दिन तुलसी जी की 108 परिक्रमा करने से लाभ होता है ।


➨ मृतक व्यक्ति के मुँह में तुलसीदल और गंगाजल डालने से उसकी सद्गति होती है ।


➨ तुलसी की लकड़ी से शरीर का दाह संस्कार किया जाये तो उसका पुनर्जन्म नहीं होता ।


➨ जो व्यक्ति तुलसी के 5-7 पत्ते सुबह चबाकर पानी पीता है उसकी यादशक्ति बढ़ती है, ब्रह्मचर्य मजबूत होता है और जलोदर, भगंदर कभी नहीं होता है । 800 बीमारियाँ दूर करने की ताकत तुलसी के पत्तों में है । बहुत सारी बीमारियाँ जिनका उपचार हम नहीं जानते उन पर भी तुलसी का बहुत असर होता है, जैसे – पेट की खराबी, कैंसर या कोई अन्य खतरनाक बीमारी आदि ।


➨ तिरुपति के एस.वी. विश्वविद्यालय में किये गये एक अध्ययन के अनुसार ‘तुलसी का पौधा उच्छ्वास में ओजोन वायु छोड़ता है, जो विशेष स्फूर्तिप्रद है ।’


➨ डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन के वैज्ञानिकों द्वारा किये गये अनुसंधानों से यह सिद्ध हुआ है कि ‘तुलसी में एंटी ऑक्सीडंट गुणधर्म है और वह आण्विक विकिरणों से क्षतिग्रस्त कोषों को स्वस्थ बना देती है । कुछ रोगों एवं जहरीले द्रव्यों, विकिरणों तथा धूम्रपान के कारण जो कोषों को हानि पहुँचाने वाले रसायन शरीर में उत्पन्न होते हैं, उनको तुलसी नष्ट कर देती है ।’


➨ आभामंडल नापने के यंत्र ‘यूनिवर्सल स्केनर’ के माध्यम से तकनीकी विशेषज्ञ श्री के.एम. जैन द्वारा किये गये परीक्षणों से यह बात सामने आयी कि ‘यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन तुलसी या देशी गाय की परिक्रमा करे तो उसके शरीर में धनात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है, जिससे शरीर पर रोगों के आक्रमण की सम्भावना भी काफी कम हो जाती है । यदि कोई व्यक्ति तुलसी के पौधे की 9 बार परिक्रमा करे तो उसके आभामंडल के प्रभाव-क्षेत्र में 3 मीटर की आश्चर्यकारक बढ़ोतरी होती है ।’


➨ अभी वैज्ञानिकों ने प्रयोग किया कि एक मुर्दे के इर्द-गिर्द तुलसी के खूब गमले रख दिये गये, 4 दिन तक मुर्दे में कोई फर्क नहीं पड़ा । नहीं तो मुर्दा तो बिल्कुल फूल जाता है । दूसरी दवाएँ कीटाणु नष्ट करती हैं लेकिन तुलसी की हवा तो कीटाणु पैदा ही नहीं होने देती है ।’


➨ विज्ञान के अनुसार घर में तुलसी-पौधे लगाने से स्वस्थ वायुमंडल का निर्माण होता है । तुलसी से उड़ते रहने वाला तेल आपको अदृश्य रूप से कांति, ओज और शक्ति से भर देता है । अतः सुबह-शाम तुलसी के नीचे धूप-दीप जलाने से नेत्रज्योति बढ़ती है, श्वास का कष्ट मिटता है । तुलसी के बगीचे में बैठकर पढ़ने, लेटने, खेलने व व्यायाम करने वाले दीर्घायु व उत्साही होते हैं । तुलसी उनकी कवच की तरह रक्षा करती है ।


➨ तुलसी के पास बैठकर प्राणायाम करने से शरीर में बल तथा बुद्धि और ओज की वृद्धि होती है ।


➨ मात्र भारत में ही नहीं वरन् विश्व के कई अन्य देशों में भी तुलसी को पूजनीय व शुभ माना गया है । ग्रीस में इस्टर्न चर्च नामक सम्प्रदाय में तुलसी की पूजा होती थी और सेंट बेजिल जयंती के दिन ‘नूतन वर्ष भाग्यशाली हो’ इस भावना से देवल में चढ़ाई गयी तुलसी के प्रसाद को स्त्रियाँ अपने घर ले जाती थीं ।


➨ तुलसी के पत्तों को जल में डालने से जल सुगंधित व तुलसी के समान गुणकारी हो जाता है । यदि पानी में उचित मात्रा में तुलसी-पत्ते डालकर उसे शुद्ध किया जाए तो उसके सारे दोष समाप्त हो जाते हैं । यह पानी शरीर को पुष्ट बनाता है तथा मुख का तेज, शरीर का बल एवं मेधा व स्मरण शक्ति बढ़ाता है ।


➨ व सत्संग में आता है कि ‘‘जिस घर में बीमारियों का भय हो वहाँ तुलसी के पौधे बढ़ा दो । सुबह तुलसी के दर्शन करो, तुलसी के आगे सूर्योदय के समय (सूर्य की किरणें नाभि पर पड़ें इस प्रकार बैठकर) प्राणायाम करो तो दमा-वमा दूर रहेगा, निरोगता आ जायेगी ।’’


➨ तुलसी बड़ी पवित्र एवं अनेक दृष्टियों से महत्वपूर्ण है । यह माँ के समान सभी प्रकार से हमारा रक्षण व पोषण करती है । हिन्दुओं के प्रत्येक शुभ कार्य में, भगवान के प्रसाद में तुलसी-दल का प्रयोग होता है । जहाँ तुलसी के पौधे होते हैं, वहाँ की वायु शुद्ध और पवित्र रहती है । तुलसी के पत्तों में एक विशिष्ट तेल होता है जो कीटाणुयुक्त वायु को शुद्ध करता है । तुलसी की गंधयुक्त वायु से मलेरिया के कीटाणुओं का नाश होता है । तुलसी में एक विशिष्ट क्षार होता है जो दुर्गन्ध को दूर करता है । जिसके मुँह से दुर्गन्ध आती हो वह रोज तुलसी के पत्ते खाये तो मुँह की दुर्गन्ध दूर होती है ।


➨ ‘गरुड़ पुराण’ के अनुसार ‘तुलसी का वृक्ष लगाने, पालन करने, सींचने तथा ध्यान, स्पर्श और गुणगान करने से मनुष्यों के पूर्व जन्मार्जित पाप जलकर विनष्ट हो जाते हैं ।’


➨ कुछ लोग इस पवित्र पौधे का आदर नहीं करते हैं । तुलसी तो माता है । हर घर में तुलसी के 12 पौधे तो होने ही चाहिए ।


➨Tulsi benefits for skin & Hairs : तुलसी के पत्तों का उबटन लगाने से अनेक असाध्य त्वचा रोग दूर होते हैं ।

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