मुजफ्फरनगर। पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन अशोक बालियान के निवास पर पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के जन्म दिन को किसान दिवस के रूप में मनाया गया।
इस विचार गोष्ठी मे एसोसिएशन के चेयरमैन अशोक बालियान ने कहा कि चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर, 1902 को बाबूगढ़ छावनी के निकट नूरपुर गांव, तहसील हापुड़, जनपद-गाजियाबाद, कमिश्नरी मेरठ के एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। चौधरी चरण सिंह ने आगरा विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा ग्रहण की और गाजियाबाद में वकालत प्रारंभ की महात्मा गांधी के नेतृत्व में चल रहे आंदोलन में कई बार आपको जेल भी जाना पड़ा। जेल में उन्होंने श्शिष्टाचारश् नामक एक किताब भी लिखी, जो भारतीय संस्कृति और समाज के शिष्टाचार के नियमों का एक बहुमूल्य दस्तावेज है।
उन्होंने बताया कि आजादी के बाद वे समाज के किसानों की आवाज को जोर शोर से उठाने लगे। एक जुलाई 1952 को यूपी में चौधरी चरण सिंह के प्रयास से जमींदारी प्रथा का उन्मूलन हुआ और गरीबों को अधिकार मिला। चौधरी चरण सिंह पहली बार 3 अप्रैल 1967 को यूपी का मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने किसानों और कुटीर उद्योग के विकास के लिए अनेक योजनाएं पारित की, जिससे लोगों को काफी लाभ हुआ ओर आप पुनरू 17 फरवरी 1970 को वे उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री बने। दूसरे कार्यकाल में उन्होंने कृषि उत्पादन बढ़ाने की नीति पर जोर दिया और उर्वरकों पर से बिक्री कर उठा लिया। अपने कार्यकाल में उन्होंने सीलिंग से प्राप्त जमीनों को भूमिहीनों, गरीबों और हरिजनों में बांट दिया। गुंडा विरोधी अभियान चलाकर यूपी में उन्होंने कानून का राज चलाया। जब वे केंद्र सरकार में गृहमंत्री बने तो उन्होंने मंडल और अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की। 1979 में वित्त मंत्री और उपप्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड)की स्थापना की। चौधरी चरण सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान उर्वरकों और डीजलों के दामों में कमी की और कृषि यंत्रों पर उत्पाद शुल्क घटाया।
28 जुलाई 1979 को चौधरी चरण सिंह देश के प्रधानमंत्री बने। चौधरी चरण सिंह अपनी योग्यता और प्रशासनिक क्षमता के साथ देश के प्रधानमंत्री के पद पर अल्प समय के लिए ही रहे। अगर वे प्रधानमंत्री का एक सत्र भी पूरा करते तो इसमें संदेह नहीं कि आज किसानों की स्थिति कुछ और अच्छी होती। 29 मई 1987 को देश के किसानो व आम जनमानस का यह नेता इस दुनिया को छोड़कर चला गया। चौधरी चरण सिंह तो इस दुनिया को छोड़कर चले गए लेकिन लोगों के जेहन में उनका प्रभाव पहले ही की तरह बरकरार है।हम उनको सादर नमन करते है।
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