मंगलवार, 1 सितंबर 2020

आज है अनंत चतुर्दशी : जानिए इसका महत्व

*अनन्त चतुर्दशी* 


 


*भाद्रपद, शुक्लपक्ष, मंगलवार,1 सितम्बर 2020: 14 गांठों वाला अनन्त क्यों जरुरी हैं पहनना "अनन्त चतुर्दशी" की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त यहाँ जानिए*


 


 अनन्त चतुर्दशी 1 सितंबर 2020 दिन मंगलवार को हैं। इस दिन भगवान हरि के अनन्त रुप की आराधना की जाती हैं। इस दिन 14 गांठें बनाकर एक अनन्त धागा बनाया जाता हैं जिसकी श्रद्धा भाव विश्वास युक्त होकर पूजा करने के बाद उसे अपने बाजू पर बांध लिया जाता हैं। अनन्त चतुर्दशी के दिन ही कई जगह गणेश विसर्जन भी किया जाता हैं।


 


14 गांठों वाला अनन्त क्यों जरुरी हैं पहनना, अनन्त चतुर्दशी की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त यहां जानिए


 


अनन्त चतुर्दशी 2020, 1 सितंबर दिन मंगलवार को हैं। इस दिन भगवान हरि के अनन्त रुप की आराधना की जाती हैं।


 


 भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनन्त चतुर्दशी व्रत रखा जाता हैं। जो इस बार 1 सितंबर दिन मंगलवार को हैं। इस दिन भगवान हरि के अनन्त रुप की बिशेष प्रार्थना की जाती हैं। इस दिन 14 गांठें बनाकर एक अनन्त धागा बनाया जाता हैं जिसकी पूजा करने के बाद उसे अपने बाजू पर बांध लिया जाता हैं। अनंत चतुर्दशी अनन्त धागा क्या हैं? शास्त्रों में अनन्त चतुदर्शी व्रत रखने के साथ ही भगवान विष्णु के अनन्त स्वरुप की पूजा का विधान हैं। अनन्त चतुर्दशी की पूजा में अनन्त सूत्र का बड़ा महत्व हैं। यह अनन्त सूत्र सूत के धागे को हल्दी में भिगोकर 14 गाँठ लगाकर तैयार किया जाता हैं। यह एक रक्षा सूत्र हैं। इसे पूजा के बाद हाथ या गले में धारण किया जाता हैं। हर गाठ में *श्री मन्नारायण ॐ नमो भगवते वासुदेवाय* विभिन्न नामों से पूजा की जाती हैं। ये 14 गांठें हरि द्वारा उत्पन्न 14 लोकों *तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू, भुवः, स्वः, जन, तप, सत्य, मह,* की रचना की प्रतीक हैं। ऐसी धार्मिक मान्यता हैं कि इस व्रत को यदि 14 वर्षों तक किया जाए, तो व्रती को विष्णु लोक की प्राप्ति होती हैं।


 


पूजा विधि- इस दिन सुबह सुबह स्नान कर साफ सुथरे कपडे़ पहन लें उसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें और पूजा स्थल पर कलश की स्थापना करें। कलश पर कुश से बने भगवान अनन्त की स्थापना करें अब एक डोरी या धागे में कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर अनन्त सूत्र बना लें जिसमें 14 गांठें लगाएँ इस सूत्र को भगवान विष्णु को अर्पित करें। अब भगवान विष्णु और अनन्त सूत्र की षोडशोपचार अथवा सुविधानुसार विधि विधान से पूजा शुरू करें और इस मंत्र का जाप करें *अनन्त संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव। अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।* पूजन के बाद इस अनन्त रुपी अनन्ता सूत्र को अपनी बाजू पर बांध लें। इस बात का ध्यान स्मरण रहें कि अनन्त सूत्र पुरुष अपने दाएं हाथ पर और महिलाएं बाएं हाथ पर बांधे। ऐसा करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और सपरिवार प्रसाद ग्रहण करें।।


 


*अनन्त चतुदर्शी की अनन्त शुभकामनाएँ*🙏💐


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