मंगलवार, 25 अगस्त 2020

जिले में यूरिया वितरण में बड़ा घोटाला समितियों के कर्मचारियों पल्लेदारों ने रिश्तेदारों को ही बांट दिया यूरिया

टीआर ब्यूरो


मुजफ्फरनगर l समितियों में यूरिया के वितरण को लेकर बडा खेल हुआ है। जांच में बडा खुलासा हुआ समितियों पर कार्यरत कर्मचारी और पल्लेदारों ने स्वयं यूरिया ले लिया है। स्टॉक खारिज करने के लिए इन कर्मचारियों और पल्लेदारों ने अपने परिवार व रिश्तेदारों के आधार कार्ड पर यूरिया का वितरण दर्शा दिया है।


कृषि अधिकारी ने 40 सहकारी समिति और दो निजी बिक्री केन्द्र को कारण बताओ नोटिस दिया है। तीन दिन के अंदर स्पष्टीकरण देने के निर्देश दिए है। वहीं संबंधित जांच अधिकारी के समक्ष सभी सक्ष्य लेकर उपस्थित होने के आदेश दिए गए है। उधर जांच में कुछ गोलमाल होने की बू भी आ रही है। कुछ सचिव और अधिकारियों को बचाने का प्रयास किया गया है। इस वर्ष यूरिया का लक्ष्य 49 हजार 40 मैट्रिक टन निर्धारित था। लेकिन लक्ष्य के सापेक्ष इस बार अधिक यूरिया जनपद में आया है।


इस बार 51 हजार 254 मैट्रिक टन यूरिया प्राप्त हुआ है। यूरिया को खूब आया है, लेकिन कालाबाजारी और ब्लेक के कारण जरूरतमंद किसानों के खेत तक यूरिया नहीं पहुंच पाया है। जनपद के 20 किसानों के नाम दर्ज 20941 बोरों की सूची केन्द्र सरकार ने जांच के लिए भेजी तो जिला प्रशासन हरकत में आया। डीएम सेल्वा कुमारी जे. ने चारों एसडीएम को इस मामले की जांच करने के निर्देश दिए गए। चारों एसडीएम ने यूरिया के बफर, समिति और निजी बिक्री केन्द्रों की जांच पडताल की है।


जांच में चौकाने वाला मामला प्रकाश में आया है। यूरिया वितरण प्रक्रिया में गडबडी मिली है। वितरण में काफी अनियमितताए पायी गई है। समितियों पर कार्यरत पल्लेदार और कर्मचारियों ने अपने परिवार और रिश्तेदारों को यूरिया दिया हुआ है, जो अन्य जनपदों में निवास करते है। यूरिया वितरण प्रक्रिया में अनियमितताए मिलने पर कृषि अधिकारी/अधिसूचित प्राधिकारी ने 40 समितियों व दो निजी बिक्री केन्दों को कारण बताओ नोटिस दिया है। नोटिस में तीन दिन के अंदर स्पष्टीकरण देने के निर्देश दिए गए है।


वहीं संबंधित जांच अधिकारी के समक्ष वस्तु स्थिति स्पष्ट करते हुए समस्त अभिलेख सहित उपस्थित होने के आदेश दिए गए है। जिला कृषि अधिकारी ने कहा कि यूरिया प्रकरण को लेकर चल रही जांच पूरी हो गई है। चारों एसडीएम ने जांच पूरी कर डीएम को सौंप दी है। यूरिया के बफर, सहकारी समिति, निजी बिक्री केन्द्रों की जांच पडताल की गई है। यूरिया वितरण प्रक्रिया में अनियमितताए मिली है। 40 समितियों और दो निजी बिक्री केन्द्रों को कारण बताओ नोटिस दिया गया है।


कोविड-19 महामारी के दौरान जनपद में यूरिया की खेप आयी। यूरिया लेने के लिए समिति और गोदामों पर किसानों की कतार लग गई। यूरिया का वितरण करते समय समितियों के सचिव और गोदाम प्रभारियों ने किसानों से आधार कार्ड नहीं लिए और उन्हें यूरिया के बोरे दे दिए। जबकि शासनादेश थे कि किसान से आधार कार्ड लेने के बाद ही यूरिया दिया जाना है। वितरण के दौरान लापरवाही बरती गई है।


बाद में स्टॉक खारिज करने के लिए कर्मचारी और पल्लेदारों ने अपने परिवार के सदस्य और रिश्तेदारों के आधार कार्ड लेकर स्टॉक खारिज किया। यूरिया की जांच पडताल में एक ही किसान को बार-बार यूरिया बेचने का मामला सामने आया है।


एक ही किसान को 24 मई को 90 बैग यूरिया, 15 जून को 50 बैग, 29 जून को 40 बैग, 8 जुलाई को 45 बैग, फिर 8 जुलाई को 40 बैग, 9 जुलाई को 30 बैग, 15 जुलाई को 30 बैग यूरिया के दिए गए है। इस तरह से एक ही किसान को 325 बैग यूरिया के दिए गए है। गन्ना अधिकारी ने भी यूरिया प्रकरण में जांच पडताल की है।


खतौली सहकारी समिति के एक कर्मचारी ने अपने नाम कई सौ बैग यूरिया दर्शाया हुआ है। कर्मचारी अन्य जनपद का रहने वाला है। इस मामले में गन्ना सचिव और निरीक्षक को तलब किया गया है। यूरिया घोटाले को लेकर हुई जांच पडताल में चार सहकारी समितियों की भूमिका अतिगंभीर बतायी जा रही है। वितरण प्रक्रिया में सबसे अधिक गडबडी इन चारों समितियों में है।


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