शनिवार, 1 अगस्त 2020

धन प्राप्ति से सुख-समृद्धि तक क्या आप जानते हैं मोर पंख के ये चमत्कारी उपाय

साधारण सा दिखने वाला मोरपंख बेहद चमत्कारिक है!। इसका उपयोग आपकी कई समस्याओं का समाधान कर सकता है। घर के क्लेश हो या धन की कमी मोर पंख आपको हर समस्या का समाधान देता है।


 मोरपंख के चमत्कारिक उपाय आजमा कर देखिए 


 


1. घर के मुख्य द्वार पर मोरपंख को लगाना हमेशा शुभ होता है, इससे नकारात्मक ऊर्जा और जीव-जंतु घर में प्रवेश नहीं कर पाते। इसके लिए 3 मोरपंख लगाकर 'ॐ द्वारपालाय नम: जाग्रय स्थापयै स्वाहा' मंत्र लिखें और नीचे गणेश जी की मूर्ति लगाएं।


 


2. आर्थिक लाभ के लिए किसी मंदिर में जाकर मोरपंख को राधा कृष्ण के मुकुट में लगाएं और 40 दिन बाद इसे लाकर तिजोरी में रख दें।


 


3. बुरी नजर से बच्चों को बचाने के लिए नवजात बालक को मोरपंख चांदी के ताबीज में पहनाएं।


 


4. यदि आपका बच्चा बहुत रोता है, चिढ़ता है या जिद्दी है तो छत के पंखों पर पंख लगाने से जिद कम हो जाती है। 


 


5. अगर आप दुश्मनों से परेशान हैं तो मोरपंख पर हनुमान जी के मस्तक का सिंदूर, मंगलवार एवं शनिवार उनका नाम लेकर लगाएं और सुबह बिना मुंह धोए इसे बहते हुए पानी में बहा दें। 


6. आग्नेय कोण में मोरपंख लगाने से घर के वास्तु दोष को ठीक किया जा सकता है। इसके अलावा ईशान कोण में कृष्ण भगवान की फोटो के साथ मोरपंख लगाएं। 


 


7. ग्रहों के अशुभ प्रभाव होने पर मोरपंख पर 21 बार ग्रह का मंत्र बोलकर पानी का छींटें दें और इसे श्रेष्ठ स्थान पर स्थापित करें जहां से यह दिखाई दे।


 


ज्योतिष शास्त्र में भी मोर के पंखों का विशेष महत्व बताया गया है। यदि विधिपूर्वक मोर पंख को स्थापित किया जाए तो घर के वास्तु दोष दूर होते हैं और कुंडली के सभी नौ ग्रहों के दोष भी शांत होते हैं।


 


घर का द्वार यदि वास्तु के विरुद्ध हो तो द्वार पर तीन मोर पंख स्थापित करें।


 


शनि के लिए : शनिवार को तीन मोर पंख ले कर आएं। पंख के नीचे काले रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंखों के साथ तीन सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें-


 


ॐ शनैश्वराय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:


 


तीन मिटटी के दीपक तेल सहित शनि देवता को अर्पित करें।


 


गुलाब जामुन या प्रसाद बना कर चढ़ाएं। इससे शनि संबंधी दोष दूर होता है। 


 


चंद्र के लिए : सोमवार को आठ मोर पंख लेकर आएं, पंख के नीचे सफेद रंग का धागा बांध लें। इसके बाद एक थाली में पंखों के साथ आठ सुपारियां भी रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।


 


ॐ सोमाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:


 


पान के पांच पत्ते चंद्रमा को अर्पित करें। बर्फी का प्रसाद चढ़ाएं।


 


मंगल के लिए : मंगलवार को सात मोर पंख लेकर आएं, पंख के नीचे लाल रंग का धागा बांध लेँ। इसके बाद एक थाली में पंखों के साथ सात सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें…


 


ॐ  भू पुत्राय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:


 


पीपल के दो पत्तों पर चावल रखकर मंगल ग्रह को अर्पित करें। बूंदी का प्रसाद चढ़ाएं।


 


बुध के लिए : बुधवार को छ: मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे हरे रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंखों के साथ छ: सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।


 


ॐ बुधाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:


 


जामुन बुध ग्रह को अर्पित करें। 


 


केले के पत्ते पर रखकर मीठी रोटी का प्रसाद चढ़ाएं।


 


गुरु के लिए : गुरुवार को पांच मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे पीले रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंखों के साथ पांच सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।


 


ॐ बृहस्पते नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:


 


ग्यारह केले बृहस्पति देवता को अर्पित करें।


 


बेसन का प्रसाद बनाकर गुरु ग्रह को चढ़ाएं।


 


शुक्र के लिए : शुक्रवार को चार मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे गुलाबी रंग का धागा बांध लेँ। एक थाली में पंखों के साथ चार सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।


 


ॐ शुक्राय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:


 


तीन मीठे पान शुक्र देवता को अर्पित करें।


 


गुड़-चने का प्रसाद बना कर चढ़ाएं।


 


सूर्य के लिए : रविवार के दिन नौ मोर पंख लेकर आएं और पंख के नीचे मैरून रंग का धागा बांध लें। इसके बाद एक थाली में पंखों के साथ नौ सुपारियां रखें, गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।


 


ॐ सूर्याय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:


 


इसके बाद दो नारियल सूर्य भगवान को अर्पित करें।


 


राहु के लिए : शनिवार को सूर्य उदय से पूर्व दो मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे भूरे रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंखों के साथ दो सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें…


 


 


ॐ राहवे नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:


 


चौमुखा दीपक जलाकर राहु को अर्पित करें।


 


कोई भी मीठा प्रसाद बनाकर चढ़ाएं।


 


केतु के लिए : शनिवार को सूर्य अस्त होने के बाद एक मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे स्लेटी रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंख के साथ एक सुपारी रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें।


 


ॐ केतवे नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:


 


पानी के दो कलश भरकर राहु को अर्पित करें।


फलों का प्रसाद चढ़ाएं।


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