मुजफ्फरनगर । टेंडर और नौकरी दिलाने के नाम पर अवैध वसूली के आरोपों में फंसे जिला कार्यक्रम अधिकारी स्वच्छता मिशन स बलजीत सिंह को चेयरमैन मेन अंजू अग्रवाल ने कार्य मुक्त कर दिया है l दूसरी ओर पालिकाध्यक्ष द्वारा जेई मूलचन्द को रिलीव करने के आदेश को शासनादेश के विरूद्ध मानते हुए नगर निकाय निदेशक डाक्टर काजल ने निरस्त कर दिया है और मूलचन्द को तत्काल प्रभाव से वापस कार्यभार ग्रहण करने के निर्देश दिए है।
नगर निकायों में स्वच्छ भारत मिशन के कार्यों का ठेका दिलाने के नाम पर ठगी के आरोपों में घिरे जिला कार्यक्रम प्रबंधक (डीपीएम) बलजीत सिंह को पालिका चेयरमैन ने रिलीव कर दिया है। आरोप है कि डीपीएम अपने कार्यों का सही से निर्वहन नहीं करते तथा कार्यों से पालिका की छवि धूमिल हो रही है।स्व च्छ भारत मिशन (शहरी) के तहत डीपीएम बलजीत सिंह की तैनाती सेवा प्रदाता कंपनी मैसर्स रामा इंफोटेक प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा 16 जनवरी 2018 को हुई थी। चेयरमैन अंजू अग्रवाल ने अपने आदेश में कहा है कि बलजीत सिंह के प्रमाणपत्रों के साथ ही पत्रावली में भी न तो उनका सरनेम और न ही पिता का नाम अंकित है। डीपीएम के रूप में उन्हें एसबीएम के कार्यों में तकनीकी सहायता प्रदान करना, एमआईएस कार्य योजना तैयार करना, प्रशिक्षण देना, प्रगति की रिपोर्ट मिशन निदेशक को देना था, लेकिन वह यह काम नहीं करते। पालिका में उपस्थिति भी दर्ज नहीं करते। जून में एक बार भी पालिका नहीं आए। गोल मार्केट पर आवंटित भवन में डीपीएम कार्यालय भी शुरू नहीं किया। किराये पर ली गई गाड़ी का प्रयोग करते हुए समाज में रुतबा दिखाकर लोगों को प्रभाव में लिया तथा एसबीएम में खरीदारी के नाम पर धोखाधड़ी एवं नौकरी के नाम पर ठगी की गई। इस तरह की कई ऑडियो, वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुईं। ठेकेदार लवी त्यागी ने भी उनके खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया। इससे नगर पालिका की छवि खराब हुई है। आरोप यह भी है कि डीपीएम बलजीत सिंह ने बिना टेंडर एवं पालिका के कार्यादेश के रेडियो एसडी एफएम से प्रचार-प्रचार कराया तथा 1.56 लाख रुपये का बिल अपने नाम से विभाग को भुगतान के लिए प्राप्त कराए। इसके अलावा भी अन्य पत्रावलियों में स्वीकृति से अधिक बिल प्राप्त कराए गए। चेयरमैन ने नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. आरएस राठी एवं ईओ विनय कुमार मणि त्रिपाठी की आख्या के आधार पर डीपीएम बलजीत सिंह को कार्यमुक्त कर दिया है।
उधर बोर्ड बैठक में सभासदों ने निर्माण विभाग के जेई मूलचन्द पर गंभीर आरोप लगाते हुए उसे हटाने का प्रस्ताव पास किया था। जेई मूलचन्द को हटाने के लिए करीब 35 सभासदों ने अपना समर्थन किया था। वहीं पालिकाध्यक्ष ने भी बोर्ड बैठक में बहुमत के आधार पर जेई को रिलीव करने की घोषण की थी। 30 जून को पालिकाध्यक्ष ने जेई मूलचन्द को रिलीव करने के आदेश जारी कर दिए। ईओ विनय कुमार मणि त्रिपाठी ने भी पालिकाध्यक्ष द्वारा जारी किए गए आदेश को शासनादेश के विरूद्ध बताया था, वहीं इस संबंध में पून: विचार करने के लिए पालिकाध्यक्ष को ईओ ने पत्र भेजा था। उधर जेई ने भी शासनादेश को लेकर पालिकाध्यक्ष से मिलने का प्रयास किया, लेकिन पालिकाध्यक्ष ने मिलने से इंकार कर दिया। इसके बाद जेई ने पालिकाध्यक्ष के आदेश के खिलाफ निदेशालय में अपील कर दी। नगर निकाय निदेशक डा. काजल ने जेई के पत्र को गंभीरता से लिया है।
वहीं पालिकाध्यक्ष के आदेश को शासनादेश के विरूद्ध बताते हुए निरस्त कर दिया। निदेशक ने जेई मूलचन्द को वापस कार्यभार ग्रहण करने के निर्देश दिए है। “नगर पालिका में नगर निकाय निदेशक डा. काजल का पत्र आया है। निदेशक ने पालिकाध्यक्ष के आदेश को शासनादेश के विरूद्ध माना है। टीआर न्यूज़ ने इस घोटाले को प्राथमिकता से प्रसारित किया था जिसके बाद विभाग हरकत में आए थे
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